बुधवार, 30 जुलाई 2008

कर्तव्यहीनता

कर्तव्यहीनता की स्थिति है पूरे भारत में,
राजनेता राजनीति छोड़ सब kuch kar rahe hain,
चोरी, डकैती, अपहरण, बलात्कार,
इसी तरह खिलाड़ी खेल छोड़ हर तरह के काम कर रहे हैं,

गुरुवार, 24 जुलाई 2008

जीना किसे कहते हैं.

क्या हम जिस तरह जी रहे हैं, वह सही है। क्या इसे ही जीना कहते हैं? जीवन के बहाव में बहते जाना तो जीना नहीं हो सकता। कभी ग़ालिब ने कहा था
आ के इस दुनिया में ग़ालिब और क्या हम कर गए,
पैदा हुए शादी हुई बूढे हुए और मर गए।
मेरे अनुसार तो यह जीना नहीं है। जीना है परिस्थियों से लड़ना और बदल जाने के लिए बाध्य कर देना। आपकी क्या राय है।

रविवार, 20 जुलाई 2008

मेरी जिंदगी

जिंदगी एक जुआ
मैं चाहे अनचाहे खेलता रहा हूँ जुआ
जिंदगी का जुआ
लगता रहा हूँ दांव पर दांव
कभी जीतता तो कभी हारता रहा हूँ
फ़िर भी अब तक नहीं जान पाया हूँ
कि कब कौन सा दांव सीधा पड़ेगा
और कौन सा दांव उल्टा.