मंगलवार, 29 जून 2010

सपनों का पेटेंट

कल का दिन हिमाचल प्रदेश के लोगों के लिए खास दिन था.अवसर था लेह-मनाली मार्ग पर रोहतांग सुरंग के शिलान्यास का.गांधी-नेहरु परिवार की वर्तमान मुखिया सोनिया गांधी ने अपने कर-कमलों द्वारा इस महत्वपूर्ण परियोजना की नींव डालने के बाद अपनी ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह परियोजना उनके पति स्वर्गीय राजीव गांधी का एक सपना था जिसे उन्होंने पूरा किया.शायद इस सुरंग का नाम भी भविष्य में राजीव गांधी के नाम पर राजीव गांधी सुरंग हो जाए.जब भी कांग्रेस सत्ता में आती है उसे गांधी-नेहरु परिवार के मर चुके लोगों के सपने याद आने लगते हैं और फ़िर उस सड़क,भवन या फ़िर सुरंग आदि का नाम परिवार के किसी मृत व्यक्ति के नाम पर रख दिया जाता है.जवाहर सुरंग, इंदिरा गांधी स्टेडियम वगैरह-वगैरह लाखों उदाहरण हैं.क्या रोहतांग सुरंग सिर्फ राजीव गांधी का ही सपना था?उस इलाके की हरेक आँखों ने यह सपना कभी खुली तो कभी बंद आँखों से नहीं देखा था.कांग्रेस का मानना है कि राजीव जी ने बेशुमार सपने देखे.शायद वे दिन-रात सिर्फ सपने ही देखते रहते थे वरना इतने छोटे से राजनीतिक जीवन वे इतने सारे सपने कैसे देख गए?वैसे भी सपने देखने में कुछ भी खर्च नहीं करना पड़ता.राजीव ने जो सपने देखे हो सकता है वही सपना भैंस चरानेवाले राम खेलावन ने भी देखा हो.लेकिन वे छोटे लोग हैं और छोटे लोगों के पास सिर्फ सपने होते हैं सामर्थ्य नहीं कि जिससे वे अपने सपनों को हकीकत में बदल सकें और उन सपनों को अपना नाम दे सकें जैसा कि कांग्रेस कर रही है.इतिहास के साथ-साथ शिलान्यास और उद्घाटन पट्ट भी इस बात के गवाह हैं कि कांग्रेस के राज में जब भी कोई अच्छा काम होता है तो उसे वे गांधी-नेहरु परिवार के किसी नेता का सपना कहकर उनका नाम दे देती है.वर्तमान सरकार अपने प्रत्येक काम को राजीव गांधी का सपना बताती है यानी यह राजीव गांधी के सपनों के साकार होने का युग है.जब राजीव सत्ता में थे तो वह इंदिरा और जवाहर के सपनों के सच होने का काल था.ऐसा भी नहीं है कि राजीव जी ने सिर्फ अच्छे सपने ही देखे हों लेकिन कांग्रेस उनके बुरे सपनों को बखूबी छिपा लेती है.क्या बोफोर्स घोटाला या एंडरसन को अमेरिका भेजना उनका सपना नहीं था?या फ़िर सिखों का कभी न भुलाया जा सकनेवाला नरसंहार उनका सपना नहीं था या श्रीलंका में शांति सेना भेजना भी तो उन्हीं का सपना था.लेकिन कांग्रेस इन्हें उनका सपना मानने को तैयार नहीं है.यानी चित्त भी उसका और पट्ट भी उसका.वर्तमान काल में कांग्रेस जिस तरह हरेक निर्माण पर राजीव गांधी के नाम का ठप्पा लगाती जा रही है उससे तो ऐसा लगता है मानों भारतीयों की आँखों में तैरने वाले सारे अच्छे सपने सिर्फ राजीव गांधी के सपने हैं.मानों उन सपनों का उन्होंने जैसे पेटेंट करवा लिया था.लोकतंत्र में तानाशाही शासन की तरह की व्यक्ति पूजा को बढ़ावा देना अच्छा नहीं माना जा सकता.लेकिन कांग्रेस को तो आदर-सम्मान और पूजा के लायक एक ही परिवार सूझता है और वो है गांधी-नेहरु परिवार.देश में आज भी ईमानदारों की कमी नहीं है लेकिन किसी निर्माण कार्य को उनका नाम नहीं मिलेगा.फ़िर राजीव गांधी के नाम जितने अच्छे काम दर्ज हैं उससे कहीं ज्यादा उनके नाम बुरे कामों से जुड़े हुए हैं.उनके कई काम तो ऐसे रहे जिनसे देश को भारी क्षति उठानी पड़ी आर्थिक भी और कूटनीतिक या सामरिक भी.फ़िर कैसे इस तरह के व्यक्ति को कांग्रेस जबरन आदरणीय बनाने का प्रयास कर रही है?उनके किस काम से हमारे बच्चे प्रेरणा लें?जनता को धोखा देने और सिखों का कत्लेआम कराने से!

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