शुक्रवार, 22 जनवरी 2016

रोहित की कायरता पर छाती पीटनेवाले सावन पर खामोश क्यों?


हाजीपुर,ब्रजकिशोर सिंह। मित्रों,बंगाल और असम का चुनाव सिर पर है। ऐसे में पुरस्कार-सम्मान लौटाऊ गैंग और कथित पंथनिरपेक्ष मीडिया का आर्तनाद फिर से प्रारंभ हो गया है। इस बार इन भारतविरोधियों ने इसके लिए बहाना लिया है हैदराबाद में आत्महत्या जैसी सबसे बड़ी कायरता का प्रदर्शन करनेवाले कथित दलित रोहित का। बिहार चुनाव के बाद अर्द्धनिद्रा में चले गए धूर्त बुद्धि से अटे-पटे और अक्ल से हीन शकुनिसदृश लोग फिर से अपने रंग में आकर रंगभूमि में पधार चुके हैं।
मित्रों,मैं अपने पहले के आलेखों में भी इन मक्कारों की पोल खोलता रहा हूँ। आप भी जानते-मानते हैं कि आत्महत्या से बड़ी कोई कायरता हो ही नहीं सकती। भले ही आप 84 लाख योनियों में भटकने के शास्त्रीय सिद्धांत को नहीं मानें लेकिन इतना तो जरूर मानेंगे कि जीवन अनमोल होता है और यूँ ही खो देने के लिए नहीं होता। संघर्ष तो राम को भी करना पड़ा था,राजा हरिश्चंद्र को भी करना पड़ा था फिर हम किस खेत की मूली हैं। फिर हमें यह भी देखना चाहिए कि खुदकुशी करनेवाले की विचारधारा क्या थी,उसकी सोंच कैसी थी।
मित्रों,यह अबतक जगजाहिर हो चुका है कि रोहित वेमुला चाहे वो पिछड़ी जाति से आता हो या दलित जाति से ओवैसी जैसे भारतविरोधियों के गंदे हाथों का खिलौना था। ब्रेनवॉश करके उसके मन में अपने ही पंथ के प्रति इस कदर जहर भर दिया गया था कि वो हिन्दुओं को देखना तक पसंद नहीं करता था। यहाँ तक वह इस कदर मानसिक विकृति का शिकार था कि जाने-अनजाने में याकूब मेनन जैसे आतंकवादियों का न केवल प्रशंसक बल्कि भक्त बन चुका था।
मित्रों,आश्चर्य है कि फिर भी वोट-बैंक की गंदी राजनीति करनेवाले लोग उसके लिए हाय-हाय कर रहे हैं। वोट-बैंक की राजनीति की पहली शर्त ही यही होती है कि उस वोट-बैंक से आनेवाला व्यक्ति चाहे कितना ही गिरा-पड़ा क्यों न हो उनका पृष्ठपोषण करना है और दूसरा पक्ष चाहे पीड़क की जगह पीड़ित ही क्यों न हो उसकी उपेक्षा या उसका विरोध करना है। कुछ इसी तरह के कार्य इशरत जहाँ की मौत के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था जिससे लाभ उठाकर वे तीसरी बार मुख्यमंत्री भी बन चुके हैं।
मित्रों,इसी दौरान पुणे के पंढ़रपुर में भी एक घटना घटी है। आत्महत्या की नहीं नृशंस हत्या की जिसको देखकर जंगली,हिंसक पशुओं को भी शर्म आ जाए लेकिन छद्मधर्मनिरपेक्षतावादी गिद्ध तो बहुत पहले ही शरमोहया को तिलांजलि दे चुके हैं। सावन राठौड़ नामक एक 17 साला महादलित युवक नाली साफ करने के दौरान 13 जनवरी को पुणे के बिठोबानगरी पंढ़रपुर में सड़क किनारे पेशाब कर रहा था। तभी इब्राहिम महबूब शेख,जुबेर तंबोली (26) और इमरान तंबोली (28) ने उससे पूछा कि वो हिंदू है या मुसलमान और हिंदू बताते ही उनलोगों ने घनघोर असहिष्णुता और क्रूरता का परिचय देते हुए बिना किसी पूर्व परिचय के पूर्व शत्रुता की दूर की बात रही पहले तो पटककर उसको पेट्रोल पिलाया और फिर आग लगा दी।
मित्रों,पुणे के सासून अस्पताल में घर से बाप से झगड़ाकर भागे गरीब ने दो दिन बाद दम तोड़ दिया। उसके पिता एक ईट भट्ठे में मजदूरी करते हैं। पीड़ित ने मरने से पहले अपने आखिरी बयान में जो कहा है बस उतना ही कहा है जितना ऊपर हमने आपको बताया। लेकिन आश्चर्य है कि रोहित वेमुला की कायरता पर चीत्कार करने वाले लोग सावन के परिवार के आस-पास भी नहीं फटक रहे हैं। खैर उनको तो लगता है कि सावन के घर जाने से छोटे वोटबैंक के चक्कर में बड़ा वोटबैंक नाराज हो जाएगा। लेकिन आश्चर्य तो इस बात को लेकर है कि महाराष्ट्र में सरकार चला रही भाजपा भी इस घनघोर सांप्रदायिक घटना को कानून-व्यवस्था से संबंधित छोटी घटना बता रही है जबकि उसको यह अच्छी तरह से पता है कि उसको मुसलमानों ने न कभी वोट दिया है और न कभी देंगे।
मित्रों,मेरा हमेशा से ऐसा मानना रहा है कि हिंदुस्तान को असली खतरा मुसलमानों से नहीं है,न ही पाकिस्तान या चीन से हैं बल्कि उन हिंदुओं से है जो क्षुद्र स्वार्थ के वशीभूत होकर देशहित में नहीं सोंचते हैं और छद्मधर्मनिरपेक्षतावादी,भेदभावपूर्ण व्यवहार करने लगते हैं और करने लगे हैं। जिनको दादरी तो दिखाई देती है लेकिन मालदा और पूर्णिया नजर नहीं आते। मैं यह नहीं कहता कि दादरी की घटना की प्रशंसा की जानी चाहिए लेकिन मैं यह भी नहीं कहता कि मुसलमानों को हिंदुओं को चिढ़ाने के लिए खुलेआम सरेबाजार गोवध करना चाहिए। खाने के लिए उनके खुदा ने इतनी चीजें दी हैं क्या वे उसमें से केवल एक का त्याग नहीं कर सकते? यहाँ मैंने उनके खुदा शब्द का प्रयोग न चाहते हुए भी इसलिए किया क्योंकि पिछले सप्ताह मिस्र की एक विद्वान महिला मुसलमान प्रोफेसर ने कहा है कि उनका खुदा मुसलमानों को गैरमुस्लिम महिलाओं के साथ गैंग रेप करने की ईजाजत देता है। पता नहीं उनका खुदा हमारे भगवान से कब और कैसे अलग हो गया जो दया को ही धर्म कहता है,अपनी स्त्री के अलावे सारी स्त्रियों को माता मानने की हिदायत देता है। वैसे पता नहीं भारत के छद्मधर्मनिरपेक्षतावादी हिंदुओं का कौन-सा वो खुदा है जो कहता है कि आत्मघाती रोहित के लिए हल्ला बोल दो और वास्तविक पीड़ित सावन के परिवार के आसपास भी नहीं फटको क्योंकि उनका अगर कोई भगवान होता तो वे यकीनन इसका उलट कर रहे होते।

कोई टिप्पणी नहीं: