रविवार, 13 जनवरी 2019

आरम्भ है प्रचंड देशद्रोहियों में हडकंप

मित्रों, २०१९ का लोकसभा चुनाव अब जैसे आने-आने को है. इस बार का रण अत्यंत भीषण होनेवाला है. स्थितियां २००४ जैसी ही हैं. तथापि जब द्वापर में हुए महाभारत में धर्म का पालन नहीं हो पाया तो फिर आज का युग तो घोर कलियुग का है इसलिए युद्धक्षेत्र में आज धर्म की बात करना तो दूर सोंचना भी पाप है. माना कि अटल बिहारी वाजपेयी ने छल और प्रपंच का मार्ग चुनने के बदले अपनी सरकार का एक वोट से गिर जाना मन्जूर किया. लेकिन उसका खामियाजा देश को १० सालों के भ्रष्टतम शासन से चुकाना पड़ा हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए. मैं जानता था कि मोदी २०१९ को आसानी से २००४ नहीं बनने देंगे इसलिए मैंने कहा था और बार-बार कहा था कि २०१९ में पराजय संभावित तो है लेकिन हमें मोदी और वाजपेयी के फर्क को भी देखना होगा. मोदी कदापि वाजपेयी नहीं है फिर धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में भी एक बार युधिष्ठिर को विजय का अन्य कोई मार्ग दिखाई नहीं देने की अवस्था में झूठ बोलना पड़ा था-अश्वत्थामा हतो नरो वा कुंजरो वा. इसलिए अगर आज धर्म के विजय के लिए मोदी साम, दाम, दंड और भेद का इस्तेमाल करते हैं तो ऐसा करना उचित ही नहीं अपेक्षित भी होगा.

मित्रों, इस समय मोदी सरकार द्वारा अनारक्षित जातियों को दिए गए १० प्रतिशत आरक्षण से पूरा-का-पूरा राजनैतिक परिदृश्य ही बदल गया है. ऐसा करके मोदी ने कदाचित आरक्षण की पूरी राजनीति को ही समाप्त कर दिया है. लगभग देश की सारी जनता,सारे धर्म और सारी जातियां अब आरक्षण के दायरे में आ गए हैं. अब ऐसा कोई बचा ही नहीं जिसे आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा हो बस उसके परिवार की सालाना आय ८ लाख से कम होनी चाहिए.
मित्रों, यह भी सत्य है कि मोदी और शाह की जोड़ी ५ राज्यों में मिली चुनावी हार के बाद काफी कुछ बदली-बदली सी नजर आ रही है. अभी दिल्ली के रामलीला मैदान से जो ख़बरें मिल रही हैं उसके अनुसार मोदी ने पहली बार अपने भाषण में लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी का नाम लिया है. मैदान में चल रहे भाजपा के राष्ट्रीय सम्मलेन में सारे क्षत्रपों को भी पोस्टरों में भरपूर स्थान दिया गया है. उधर गडकरी जी और आरएसएस के बदलते तेवरों ने भी मोदी-शाह की जोड़ी को बैक फुट पर ला दिया है. परन्तु मुझे पहले भी लगता था और अब भी लगता है कि मोदी बिना लड़े हार माननेवालों में से हैं ही नहीं. यह सही है कि उन्होंने पिछले ५ सालों में कई सारी गलतियाँ की हैं, चाहे वो मंत्रिमंडल के गठन के स्तर पर हो या आर्थिक मोर्चों पर लेकिन सत्य यह भी है कि मोदी आज भी देश की आवश्यकता हैं, जरुरत हैं. क्योंकि मोदी के नेतृत्व में देश ने बहुत कुछ पाया है और उसे आगे बहुत-कुछ पाना है
आज मोदी के नेतृत्व में भारत चीनी उत्पादन में नंबर एक, मोबाईल, स्टील उत्पादन और वस्त्र निर्यात में नंबर २, बिजली उत्पादन में नंबर ३, ऑटोमोबाइल उत्पादन में नंबर ४ और जीडीपी में नंबर ६ पर आ गया है. अगर मोदी हारते हैं तो यही नहीं पता कि उनकी जगह कौन प्रधानमंत्री बनेगा या बनेगी. फिर सारे चोर दलों का एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाया जाएगा कि किस प्रकार मिलकर देश को लूटना है.
मित्रों, वैसे मोदी सरकार में मंत्री रविशंकर प्रसाद ने जिस तरह से संसद में गर्जना करते हुए कहा है कि अभी और भी छक्के आने वाले हैं क्योंकि अभी तो खेल शुरू हुआ है उससे तो यही लगता है कि अभी तो अर्जुन की गांडीव से और भी दिव्यास्त्र छूटने वाले हैं जिनकी गर्मी से विपक्ष को इस प्रचंड सर्दी में भी पसीना आने लगेगा.इब्तिदा-ए-इश्क़ है रोता है क्या,
आगे-आगे देखिये होता है क्या.

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