शनिवार, 2 फ़रवरी 2019

सबके मतलब का बजट

 

मित्रों, मोदी सरकार का अंतिम तथा अंतरिम बजट आज देश के सामने आ चुका है. बजट हमारे हिसाब से उम्मीद से ज्यादा अच्छा रहा है. हमें ऐसी उम्मीद नहीं थी कि यह सरकार इस तरह का बजट पेश भी कर सकती है. क्या गरीब, क्या किसान, क्या मजदूर, क्या महिला, क्या माई और क्या गाय, क्या खानाबदोश, क्या कूड़ा बीननेवाला, क्या युवा, क्या मध्यम वर्ग सबका अप्रत्याशित रूप से इस बजट में ख्याल रखा गया है. साथ ही ख्याल रखा गया है देश का और देश की सुरक्षा का.


मित्रों, बजट में सबसे अच्छी बात जो है वो यह है कि पहली बार देश के किसानों को सीधा पैसा दिया गया है. हालांकि यह राशि ६००० रूपये सालाना काफी कम है लेकिन कम-से-कम किसी ने तो पहली बार किसानों की जेब में सीधे-सीधे पैसा डालने का काम किया है. अपने बजट भाषण के दौरान गोयल ने असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए बड़ा एलान किया है. बजट पेश करते हुए पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को 3,000 रुपये हर महीनें पेशन दी जाएगी. इस योजना से 10 करोड़ कामगारों को लाभ होगा और यह अगले पांच सालों में असंगठित क्षेत्र के लिए विश्व की सबसे बड़ी पेंशन योजना बन सकती है. इस योजना के तहत, कामगारों को 60 साल की उम्र के बाद 3,000 रुपये की मासिक पेंशन मिलेगी. इस योजना का लाभ लेने के लिए सभी मजदूरों को हर महीने 100 रुपये सरकार के खाते में जमा करवाना होगा. इतना ही नहीं मध्यम वर्ग के लोगों को टैक्स से राहत देते हुए गोयल ने टैक्स की सीमा को 2.5 लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर दिया है. विदित हो कि भारत के कुल ६.८७ करोड़ करदाताओं में से ३ करोड़ ऐसे हैं जिनकी आय ५ लाख सालाना से कम है. अंतरिम बजट में श्रमिकों का बोनस बढ़ाकर 7 हजार रुपए और 21 हजार रुपए तक के वेतन वालों को बोनस दिए जाने की घोषणा की गई है। इसके अलावा पीएम श्रमयोगी मानधन योजना की घोषणा भी की गई है, जिसके तहत 15 हजार रुपए तक कमाने वाले 10 करोड़ श्रमिकों को इस योजना का लाभ मिलेगा। उनकी ग्रेच्युएटी को बढाकर १० से २० लाख कर दिया गया है. पशुपालन और मत्स्य पालन के लिए कर्ज में 2 फीसदी ब्याज छूट की घोषणा की गई है। अंतरिम बजट में ईन्सानों के साथ-साथ गो वंश को लेकर भी बड़ा ऐलान किया गया है। केंद्र सरकार राष्ट्रीय कामधेनु योजना शुरू करेगी। इसके अलावा घूमंतू समाज के लिए एक वेलफेयर बोर्ड बनाने का फैसला किया गया है।  बजट के मुताबिक, सही पहचान होने के बाद सरकार की योजनाओं का लाभ इन्हें भी मिलेगा।

मित्रों, अगर आप भी दो घर खरीदने का प्लान कर रहे हैं तो मोदी सरकार ने बड़ी राहत दी है। गोयल ने फोर्डेबल हाउसिंग को बढ़ावा देने के लिए बड़ा ऐलान किया। टैक्स छूट एक और साल तक रहेगी जारी। 2020 तक रजिस्ट्रेशन कराने वालों को कोई आयकर नहीं देना होगा। इसके अलावा, दूसरे मकान के नोशनल रेंट पर टैक्स नहीं देना होगा। रेंटल इनकम पर टीडीएस को भी 1.8 लाख से बढ़ाकर 2.4 लाख करने का ऐलान किया गया है। इससे रियल स्टेट सेक्टर को एक बार फिर से गति मिलेगी जो पिछले सालों में मंदी से जूझती रही है.

मित्रों, बजट में रेलवे, रक्षा, शिक्षा, मनरेगा और स्वास्थय के मद में पहले से ज्यादा आवंटन किया गया है. पहली बार भारत का रक्षा व्यय ३ लाख करोड़ रूपये को पार कर गया है.

मित्रों, कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने पूर्वोत्तर राज्यों के लिए बजट आवंटन को 21 प्रतिशत बढ़ाने का प्रस्ताव किया है। गोयल ने शुक्रवार को लोकसभा में 2019-20 का अंतरिम बजट पेश करते पूर्वोत्तर क्षेत्र में सरकार की विकास पहलों को आगे बढ़ाने के लिए 58,166 करोड़ रुपए का आवंटन करने की घोषणा की। गोयल ने कहा कि बुनियादी ढांचे के विकास से पूर्वोत्तर के लोगों को काफी लाभ मिला है। विदित हो कि पूर्वोत्तर का क्षेत्र देश के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण से तो महत्वपूर्ण है ही चुनावी दृष्टि से भी कम महत्त्व का नहीं है.

मित्रों, अब बात कर लेते हैं कि सरकार खर्च के लिए पैसे कहाँ से लाएगी. सरकार के खजाने में आने वाले हर एक रुपए में 70 पैसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के जरिए आएंगे। इसी तरह सरकार हर एक रूपए के व्यय में 23 पैसे राज्यों को करों एवं शुल्कों में उनके हिस्से के रूप में दिया जाएगा।  वित्त मंत्री पीयूष गोयल द्वारा शुक्रवार को लोकसभा में पेश अंतरिम बजट 2019-20 के अनुसार सरकार की आय का सबसे बड़ा स्रोत माल एवं सेवा कर (जीएसटी) होगा और हर एक रूपए की प्राप्ति में इसका योगदान 21 पैसे होगा। कॉरपोरेट कर से 21 पैसे, आयकर से 17 पैसे और सीमा शुल्क से चार पैसे प्राप्त होंगे। इसी तरह कर्ज एवं अन्य देनदारियों से 19 पैसे, केंद्रीय उत्पाद शुल्क से सात पैसे, गैर कर स्रोतों से आठ पैसे तथा कर्ज से इतर पूंजीगत आय से तीन पैसे प्राप्त होंगे। इसी तरह प्रति एक रुपए के खर्च में केंद्रीय करों एवं शुल्कों में राज्यों की हिस्सेदारियों का अंतरण है और इस मद में 23 पैसे खर्च होंगे। ब्याज भुगतान पर 18 पैसे, रक्षा क्षेत्र पर आठ पैसे, केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं पर 12 पैसे तथा केंद्र द्वारा वित्तपोषित योजनाओं पर नौ पैसे खर्च होंगे। वित्त आयोग तथा अन्य हस्तांतरण पर आठ पैसे, छूट (सब्सिडी) पर नौ पैसे और पेंशन पर पांच पैसे खर्च होंगे। आठ पैसे अन्य मदों पर खर्च होंगे।

मित्रों, कुल मिलाकर हम इस बजट को सर्वस्पर्शी और सर्वसमावेशी कह सकते हैं. भारत के कुल ९० करोड़ मतदाताओं में से इसमें ६० करोड़ लोगों का सीधा ख्याल रखा गया है. इस बजट से सबको लाभ होगा चाहे वो किसी भी जाति-धर्म का हो किसी भी दल का समर्थक हो. मध्यमवर्ग, किसानों, मजदूरों के हाथों में पैसा आने से जहाँ नोटबंदी और जीएसटी के दुष्प्रभाव दूर होंगे वहीँ दूसरे घर पर टैक्स माफ़ी से रियल स्टेट सेक्टर को एक बार फिर से जी नया जीवन मिलेगा. हालाँकि जिस तरह से वित्त वर्ष 2018-19 के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से लगातार चूक के बावजूद वित्त वर्ष 2019-20 के लिए लक्ष्य को उसी स्तर पर कायम रखना आश्चर्यजनक है। सारांश यह कि यह  गरीबों, किसानों, मध्यवर्ग और असंगठित मजदूरों का बजट है. विपक्ष इसे चुनावी बजट कह सकता है लेकिन यह साल यह साल राजनैतिक गुना-भाग का है न कि आर्थिक गुना-भाग का.

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