रविवार, 10 फ़रवरी 2019

फिर एक बार मोदी सरकार


मित्रों, पिछले दिनों भारत के राजनैतिक मंच पर काफी कुछ घटित हुआ है. उनमें से कुछ घटनाएँ तो ऐसी भी हैं जो इससे पहले कभी देखी ही नहीं गई. कहते हैं कि जब कोई ईमानदार फंसता है तो उसको कोई नहीं बचाता लेकिन जब कोई बेईमान फंसता है तो दुनिया के सारे बेईमान उसे बचाने के लिए आगे आ जाते हैं.
मित्रों, कुछ ऐसा ही घटित हुआ बंगाल में और कुछ ऐसा ही घटित हो रहा है पूरे देश में भी. इन दिनों सारे निशानदार नेता जबरजस्त और शानदार एकजुटता का परिचय दे रहे हैं. इनमें से ज्यादातर तो ऐसे हैं जिनका पूरा राजनैतिक जीवन ही एक-दूसरे को गालियाँ देते हुए बीता है. मैं गंगा किनारे के गाँव का रहनेवाला हूँ इसलिए गंगा में बाढ़ के आने का मुझे काफी पूरा और पुराना अनुभव रहा है. मैंने देखा है कि जब बाढ़ आती है तो डूबने से बचने के लिए चूहे, सांप, नेवले, बिच्छू सभी एक ही पेड़ पर चढ़ जाते हैं. वो कहते हैं न कि मरता क्या नहीं करता.
मित्रों, कुछ ऐसी ही स्थिति इन दिनों ममता बनर्जी के घर पर जमावड़ा लगाने वाले नेताओं की है. इनमें से को बड़ छोट कहत अपराधू। सुनि गुन भेदु समुझिहहिं साधू॥ इन लोगों में तो कोई गुणभेद है ही नहीं.सब एक से एक बढ़कर एक चोर. अगर इनके इतिहास पर नजर डालें तो इनमें ज्यादातर कांग्रेस के खिलाफ कमाएगा लंगोटीवाला और खाएगा धोतीवाला नहीं चलेगा नहीं चलेगा कहकर सत्ता में आए थे लेकिन आज इनमें से सारे-के-सारे धोतीवाला तो छोडिये कोठीवाला बन गए हैं. ऐसे में जब पहली बार केंद्र में एक ऐसी ईमानदार सरकार आई है जो इनसे इनके बेहिसाब गुनाहों का हिसाब मांग रही है तो ये सारे चौकीदार चोर है का नारा लगाते हुए एक जगह पर जमा हो गए हैं. 
मित्रों, हम समझ सकते हैं कि यह उनकी मजबूरी है लेकिन जनता के लिए उनको वोट देना बिल्कुल भी जनता की मजबूरी नहीं है. जनता ने देखा है कि किस तरह आज तक किसी भी राजनेता को उसी तरह से किसी भी भ्रष्टाचार के मामले में कभी सजा नहीं हुई जैसे कि अगलगी में कुत्ता नहीं जलता है. जनता ने देखा है कि किस तरह केजरीवाल २०१३-१५ में कांग्रेस नेताओं के खिलाफ ३५०-४०० पृष्ठों का आरोप-पत्र लिए घूमता था और किस तरह वही केजरीवाल इन दिनों कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए छान-पगहा तोड़ रहा है. 
मित्रों, हमने माना कि जनता की कुछ नाराजगी है मोदी सरकार के साथ लेकिन क्या जनता विपक्ष से किसी भी तरह की उम्मीद रख भी सकती है? नहीं, कदापि नहीं. बल्कि जनता यह अच्छी तरह से समझती है कि देश के लिए कुछ करने का जज्बा अगर किसी में है तो वो सिर्फ और सिर्फ भारतीय जनता पार्टी में है. कुछ अच्छा अगर सकती है वो सिर्फ और सिर्फ भाजपा ही कर सकती है. जो काम अब नहीं हुए थे उनको अगर आज तक किसी ने किया है तो वो सिर्फ और सिर्फ भाजपा ने किया है वरना किसने सोंचा था कि छगन भुजबल, लालू, सज्जन कुमार जैसे लोग जेल में सड़ेंगे. भारत को बनाना रिपब्लिक कहनेवाले राष्ट्रीय दामाद रोबर्ट वाड्रा से कभी पूछताछ भी होगी और उसके सहित कभी वो पूरी गन्दी गाँधी फैमिली जमानत पर भी होगी जिसको देश को लूटने का खानदानी लाईसेंस मिला हुआ था. किसने सोंचा था कि भारत एफडीआई के मामले में दुनिया का सरताज होगा, किसने सोंचा था कि फोन पर बातचीत मुफ्त में भी हो सकती है और ३ रूपये में १ जीबी मोबाईल डाटा भी मिल सकता है, किसने सोंचा था कि सवर्ण गरीबों की पीड़ा को भी कोई समझेगा और किसने सोंचा था कि किसानों को वेतन भी मिल सकता है, किसने सोंचा था कि पाकिस्तान कंगाल हो सकता है और भारत में हाई स्पीड ट्रेनें चलेंगी. किसने सोंचा था कि एमएसपी को एकबारगी डेढ गुना कर दिया जाएगा, किसने सोंचा था कि देश के सारे परिवारों का बैंकों में खाता होगा और सब्सिडी का पैसा सीधे खाते में जाएगा. किसने सोंचा था कि सारे पेमेंट और ट्रांजैक्शन पलक झपकते मोबाईल से ही हो जाएंगे, किसने सोंचा था कि सौर ऊर्जा और मोबाईल निर्माण के मामले में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर होगा, किसने सोंचा था कि गौमाता के कल्याण के लिए भी कोई आयोग बनेगा, किसने सोंचा था कि तीन तलाक समाप्त भी होगा, किसने सोंचा था कि केंद्रीय और राज्य मंत्रिमंडल की बैठक कुम्भ के मेले में भी हो सकती है, किसने सोंचा था कि राहुल गाँधी कभी मंदिर भी जाएँगे और अखिलेश-मुलायम कुम्भ में स्नान भी करेंगे..........
मित्रों, कुल मिलाकर देश की जनता के समक्ष और कोई विकल्प है ही नहीं इसलिए दोनों मुठ्ठी बांधकर पूरे भारत की जनता को नारा लगाना होगा फिर से जोड़दार फिर एक बार मोदी सरकार.

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