बुधवार, 12 जून 2019

बर्बाद बिहार है नीतिशे कुमार हैं-१


मित्रों, साल २०१५ के बिहार विधान-सभा चुनाव का प्रचार चल रहा था. नीतीश जी लालू जी की गोद में बैठे थे और एनडीटीवी के रवीश कुमार जी पूरे बिहार में घूम-घूम कर जनता से पूछ रहे थे और उसके आधार पर दावा कर रहे थे कि बिहार में बारहमासी बहार है जो नीतीश कुमार के कारण है.
मित्रों, वक़्त बदला, हालात बदले यहाँ तक कि नीतीश जी ने पार्टनर भी बदल लिया मतलब सबकुछ बदला बस नहीं बदला तो बिहार की फूटी तक़दीर. इस आलेख में जो इस शृंखला की पहली कड़ी है हम सिर्फ नीतीश जी के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान का विश्लेषण करेंगे.
मित्रों, आपको भी पता होगा कि अपने नीतीश जी घनघोर ईमानदार हैं इतने कि हम उनको इस मामले में चरम आदरणीय अरविन्द केजरीवाल जी का गुरु भी कह सकते हैं. नीतीश ने मुख्यमंत्री बनते ही निगरानी विभाग का पुनर्गठन किया और आदेश दिया कि ताबड़तोड़ छापे मारो. फिर तो जैसे रिश्वतखोरों की शामत ही आ गयी. सबसे ज्यादा चपेट में आए पुलिसवाले, भू राजस्व और शिक्षा विभाग वाले क्योंकि हमेशा से इनमें ही ज्यादा भ्रष्टाचार है. पहले लोगों में को सिर्फ निलंबित करके छोड़ दिया जाता था लेकिन देखा गया कि वही आदमी दोबारा और कई बार तो तिबारा घूस लेते हुए पकड़ा गया. इसी बीच बक्सर के किसी जिलाधिकारी ने रिश्वतखोरों को सीधे बर्खास्त करने की परंपरा को जन्म दिया और इसके बाद जो भी घूस लेता हुआ पकड़ा गया उसे सीधे बर्खास्त कर दिया जाने लगा.
मित्रों, इसी बीच वर्ष २००६-०७ में मेरे चचेरे मामा राजेश्वर प्रसाद सिंह जो उस समय वैशाली जिले के जन्दाहा प्रखंड के नाडी गाँव के मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक थे भी रिश्वत लेते रंगे हाथों पकडे गए. मुझे लगा अब राम राज्य आकर रहेगा क्योंकि मैं जानता था कि मेरे मामा दशकों से बहुत बड़े रिश्वतखोर थे. मामा पहले निलंबित और बाद में बर्खास्त भी किये गए. लेकिन इस बार जब मैं ननिहाल गया तो पाया कि मामा जी काफी खुश हैं. पता लगा कि वे पटना उच्च न्यायालय से मुकदमा जीत गए हैं और उनका पेंशन तो बहाल हो ही गया है साथ ही सेवानिवृत्ति लाभ की राशि भी सूद सहित मिली है वो भी ८० लाख. मैं सुनकर स्तब्ध था. जो व्यक्ति रंगे हाथों घूस लेता हुआ पकड़ा गया हो वो बरी कैसे हो सकता है. तो क्या नीतीश जी की सरकार में जितने भी लोग रंगे हाथों घूस लेते हुए पकडे गए हैं वे सब बारी-बारी से चुपके-चुपके कोर्ट से बरी होते जा रहे हैं? प्रत्यक्ष को प्रमाण क्या? मेरे मामा खुद ही प्रमाण हैं.
मित्रों, नीतीश जी के बारे में कभी लालू जी ने कहा था कि इसके पेट में भी दांत है. मुझे लगता है कि पेट के अतिरिक्त नीतीश जी के हाथी की तरह दो और भी दांत हैं जो सिर्फ दिखाने के काम आते हैं. अब मैं मुखतिब होना चाहूँगा रवीश जी की तरफ और उनको बताना चाहूँगा कि बिहार में सचमुच बहार है. जैसा कि आपने देखा कि बिहार में भ्रष्टाचारियों की बहार है. आगे और भी प्रकार के बहारों की हम आपको सैर करवाएंगे. आओ हुजुर तुमको बहारों में ले चलूँ दिल झूम जाए ऐसे नजारों में ले चलूँ....

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