गुरुवार, 30 जुलाई 2020

आज हमें अपने आप पर गर्व है


मित्रों, अगर आप मुझे नियमित रूप से पढ़ते हैं तो आपको याद होगा कि ऐसी ही कुछ पंक्तियाँ मैंने तब भी लिखी थीं जब २०१४ में नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे. तब मैंने लिखा था कि छोड़ो कल की बातें कल की बात पुरानी इसी तरह साल के अंत में हमने लिखा था कि भारतीय इतिहास का प्रस्थान विन्दु था 2014

मित्रों, तब मैंने वर्ष २०१४ के सत्ता परिवर्तन को १९४७ और १९७७ से भी बड़ी क्रान्तिकारी घटना बताया था. उससे भी पहले १५ अगस्त १९१३ को जब मोदी जी ने लालन कॉलेज, भुज से अपना ऐतिहासिक भाषण दिया था तभी मैंने भविष्यवाणी कर दी थी कि मोदी भारत के अगले प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं. और यह भी कहा था कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो भारत फिर से गुलाम हो जाएगा. उसी साल २ अक्तूबर को मैंने मोदी चालीसा लिखी थी और कहा था कि मोदी भारत के लिए वरदान हैं.

मित्रों, अगर हैं आज यह कहूं कि कल का दिन भी भारत के लिए ऐतिहासिक दिन था तो ऐसा कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी. कल १८ साल बाद भारत में नए लड़ाकू विमान का आगमन हुआ. राफेल से पहले वर्ष २००२ में भारत ने वाजपेयी के समय रूस से सुखोई ख़रीदा था. बीच के समय में कांग्रेस पार्टी की सरकार सत्ता में थी और उसने भारतीय सेना को कमजोर करने की दिशा में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. अब जबसे मोदी सरकार सत्ता में आई तभी से उसने नई पीढी के लड़ाकू विमान के लिए प्रयास शुरू किया. और तभी से कांग्रेस पार्टी के नेता पगलाए हुए से हैं. शायद उनको इस बात का मलाल है कि रक्षा-खरीद में उनको कमीशन मिलना बंद हो गया है. साथ ही कांग्रेस पार्टी का चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ गुप्त समझौता भी है जिसके चलते कांग्रेस पार्टी नहीं चाहती कि भारत चीन पर हावी हो.

मित्रों, राफेल के आ जाने के बाद अब भारत अपनी ही जमीन से चीन और पाकिस्तान के अंदरूनी ठिकानों पर हवाई हमले बोल पाएगा. इतना ही नहीं वो एक साथ चीन और पाकिस्तान से निबट सकेगा. भारत की इस महँ उपलब्धि से जहाँ कांग्रेस पार्टी को खुश होना चाहिए वहीँ उसका चेहरा कद्दू की तरह लटका हुआ है.

मित्रों, भारत के इतिहास में कल एक और ऐसी घटना घटी है जो आनेवाले समय में भारत को विश्व-गुरु बनाने की दिशा में सहायक सिद्ध होनेवाली है. कल भारत सरकार ने नई शिक्षा नीति की घोषणा की है. यह शिक्षा-नीति मैकाले की शिक्षा-नीति को उलटकर रख देगी जो अब तक सिर्फ किरानियों का उत्पादन कर रही है. अब भारत की शिक्षा-प्रणाली किरानियों के बदले उद्यमी पैदा करेगी. क्योंकि अब किताबी ज्ञान से ज्यादा हुनर और ज्ञान पर जोर होगा. बच्चे मातृभाषा में शिक्षा ग्रहण करेंगे. साथ ही संस्कृत-शिक्षण पर भी बल दिया जाएगा. कहा भी गया है कि भारत की संस्कृति संस्कृत से है. इतना ही नहीं बीच में पढाई छोड़नेवाले बच्चों को भी प्रमाणपत्र दिया जाएगा. अब बच्चे जब चाहे तब स्ट्रीम भी बदल पाएँगे. कुल मिलाकर सिर्फ परीक्षा लेनेवाली शिक्षा-प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन होने जा रहा है जिसकी आवश्यकता आजादी के बाद से ही महसूस की जा रही थी.

मित्रों, आज सचमुच हमें अपने आप पर गर्व हो रहा है कि हमने दो-दो बार एक ऐसी सरकार को वोट दिया जो पूरी तरह से राष्ट्र पर समर्पित है और जिसका मानना है कि राष्ट्र रक्षासमं पुण्यं, राष्ट्र रक्षासमं व्रतम्, राष्ट्र रक्षासमं यज्ञो, द्रष्टो नैव च नैव च. वेल डन मोदी जी हमें आज आप पर भी गर्व है.

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