शुक्रवार, 8 सितंबर 2023
विश्वगुरु बनता भारत
मित्रों, अगर हम कहें कि इनदिनों भारतवासियों के कदम जमीन पर नहीं चाँद-सूरज पर हैं तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. जहाँ भारत के कदम चाँद और सूरज पर हैं वहीँ पूरी दुनिया सिमट कर भारत के दिल दिल्ली में आ गई है. सारी-की-सारी रेटिंग एजेंसियों में जैसे भारत की रेटिंग बढ़ाने की होड़-सी लगी हुई है.
मित्रों, वर्षा ऋतु में वसंत के आगमन से जहाँ भारतमाता के भक्तों में उल्लास और होली-दिवाली का माहौल है वहीँ भारत के आतंरिक और बाह्य शत्रुओं के चेहरे लौकी की माफिक लटक-से गए हैं. आपको याद होगा जब १९९९ समाप्त हो रहा था और दुनिया और भारत नई सहस्राब्दी में प्रवेश कर रहे थे तब कंधार विमान अपहरण के कारण हम सभी भारतवासियों में उदासी छाई हुई थी. तब किसी ने भी नहीं सोंचा था कि मात्र २३ साल बाद ऐसी स्थिति भी आएगी कि उधर चीन-पाकिस्तान जैसे भारत के चिर-शत्रुओं का सूर्य अस्त हो रहा होगा और ईधर भारत के भाग्य का सूरज पूर्व दिशा में क्षितिज पर दस्तक दे रहा होगा.
मित्रों, किसी भी देश या समाज के जीवन में नेतृत्व का अपना अलग महत्व होता है वर्ना फ़्रांस में सिर्फ नेपोलियन ही तो राजा नहीं बना था. जहाँ भारत का पिछला नेतृत्व एक परिवार का गुलाम था, जहाँ उसको भारतवासियों की ख़ुशी, भारत के गौरव से कोई मतलब ही नहीं था, जहाँ वह थका-मांदा था, जहाँ उसके कंधे झुके हुए रहते थे, जहाँ वो वैश्विक मंचों पर कोनों की तलाश करता था वहीँ भारत का नया नेतृत्व नित-नई ऊर्जा से आप्लावित है, इस नए नेतृत्व के पास न केवल अपने देश के लिए योजनाएं हैं बल्कि वह पूरी दुनिया को किसी भी संकट से उबार लेने का माद्दा भी रखता है. न तो नेपोलियन के शब्दकोश में असंभव शब्द था और न ही नरेन्द्र मोदी के शब्दकोश में इस दुनिया के सबसे फालतू शब्द के लिए कोई स्थान है.
मित्रों, जहाँ एक तरफ उस भारत का भाग्योदय हो रहा है जो एक हजार साल तक गुलाम रहा तो वहीँ दूसरी ओर भारत के उन घृणित लोगों के छिपे हुए उद्देश्य सामने आने लगे हैं जो सदा सनातन भारतीय धर्म और संस्कृति से बेवजह सख्त घृणा करते हैं. वो भूल गए हैं कि आज से पांच सौ साल पहले फ्रांस के प्रसिद्ध भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस ने भविष्यवाणी कर दी थी कि २१वीं सदी में जिस देश और धर्म का नाम एक महासागर के नाम पर होगा वो विश्व और मानवता का नेतृत्व करेगा. वो तो वाजपेयी और मोदी के बीच भारत के विघ्नसंतोषियों के हाथों में सत्ता चली गई थी वर्ना कई साल पहले भारत वैश्विक और आर्थिक महाशक्ति बन जाता. तो आईए जी२० के शिखर-सम्मलेन की पूर्व-संध्या पर दोनों मुट्ठियों को भींचकर पूरी ताकत के नारा लगाएं-
जय भारत, जय जगत.