बुधवार, 1 मई 2024
अबकी बार ४०० पार
मित्रों, इन दिनों पूरा भारत चुनावी बुखार से तप रहा है. भारतीय जनता पार्टी अपने दो चिर विलम्बित वादों को पिछले कार्यकालों में पूरा कर चुकी है और अब बारी है सबसे बड़े वादे की अर्थात समान नागरिक संहिता की. यह ऐसा वादा है जो वादा मूलतः हमारे संविधान निर्माताओं ने देश की जनता से किया था. कांग्रेस पार्टी जिसकी संविधान सभा में सबसे बड़ी भागेदारी थी इस वादे को बहुत पहले भूल चुकी है और कई दशकों से भारत में समान नागरिक संहिता लागू करने की बजाए गजवाए हिन्द लाने के कुत्सित प्रयास कर रही है. कांग्रेस पार्टी के इस बार के चुनावी घोषणा-पत्र को अगर हम देखें तो पाएँगे कि या तो वह स्वतंत्रता पूर्व मुस्लिम लीग का घोषणा-पत्र है या फिर वर्तमान पाकिस्तान का. उद्देश्य है हिन्दुओं में फूट डालना और मुसलमानों का शत-प्रतिशत मत प्राप्त करना. कांग्रेस ने अपने घोषणा-पत्र में हिन्दुओं के लिए कोई वादा किया ही नहीं है बल्कि उसके सारे वादे मुस्लिम-तुष्टिकरण की पराकाष्ठा हैं. राहुल गाँधी अपने भाषणों में जिस क्रांति का वादा कर रहे हैं वास्तव में वो इस्लामिक क्रांति है जो पिछली सदी में ईरान और अफगानिस्तान में देखने को मिली थी.
मित्रों, मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि अपना देश इस समय संक्रमण काल से गुजर रहा है. हमें शरियत और संविधान के मध्य चुनाव करना है. ५०० साल बाद मोदी जी की शुभेच्छा से रामलला अपने भवन में पधारे हैं और देश के माथे से धारा ३७० जिसने कश्मीर को हिन्दूविहीन बना दिया का कलंक मिटाया जा चुका है. भारत में पहली बार एक ऐसी सरकार सत्ता में है जिस पर दस साल तक लगातार सत्ता में रहने के बावजूद भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है. देश की अर्थव्यवस्था नित नई ऊंचाई छू रही है, २५ करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं. पहली बार गरीबी मिटाना नारा न होकर एक हकीकत है. जो लोग सबसे ज्यादा जनसँख्या बढ़ाकर जनसँख्या जिहाद चला रहे हैं वही लोग सबसे ज्यादा बेरोजगारी का रोना रो रहे हैं.
मित्रों, हजारों सालों की गुलामी और बर्बादी के बाद यह चुनाव नहीं है बल्कि अवसर है हजारों सालों के लिए देश का उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने का. चुनना आपको है कि आपको २०१४ से पहले वाला बम विस्फोटों, बलात्कारों, घोटालों वाला भारत चाहिए या फिर मौर्य और गुप्त काल वाला विश्वगुरु भारत चाहिए. मुसलमानों का एक भी वोट जाया नहीं जानेवाला है यह निश्चित है मगर क्या हम ऐसी ही गारंटी मोदी जी को हिन्दुओं के मतों को लेकर दे सकते हैं? इस बार कांग्रेस द्वारा अतीत में गजवाए हिंद की दिशा में उठाए गए सारे नापाक क़दमों चाहे वो मुस्लिम पर्सनल लॉ हो या वक्फ बोर्ड को मिटाने की बारी है और इसके लिए समान नागरिक संहिता लाना ही एकमात्र समाधान है सिर्फ उत्तराखंड से कुछ नहीं होनेवाला इसे पूरे भारत में लागू करना होगा और उसके लिए चाहिए ४०० पार. क्या हम गारंटी पुरुष मोदी जी को ४०० पार की गारंटी दे सकते हैं?