शनिवार, 29 जून 2024

धारा ३५६ समाप्त किया जाए

मित्रों, आप सोंच रहे होंगे कि मुझे क्या हो गया है जो मैं भारत के प्रधानमंत्री से संविधान से धारा ३५६ को समाप्त करने की मांग कर रहा हूँ. तो भाई साब और बहन जी मैं बिल्कुल ठीक हूँ और पूरे होशो-हवास में यह मांग कर रहा हूँ. दरअसल पश्चिम बंगाल और केरल की पिछले कई सालों से चली आ रही स्थिति को देखकर मेरा मन बेहद क्रोधित और उद्विग्न है. इन दोनों राज्यों में विशेष रूप से बंगाल में लोकतंत्र पूरी तरह से समाप्त हो चुका है, भाजपा के मतदाताओं और महिला समर्थकों को सड़कों पर नंगा करके पीटा जा रहा है लेकिन मोदी जी जिद पकडे बैठे हैं कि वे कहीं भी धारा ३५६ का प्रयोग करेंगे ही नहीं भले ही उस राज्य में सारे-के-सारे भाजपा समर्थकों और कार्यकर्ताओं की बेरहमी से हत्या ही क्यों न कर दी जाए. मित्रों, आप ही बताईए कि जो नेता या पार्टी अपने ही समर्थकों की रक्षा नहीं कर पाए उसे कोई क्यों वोट दे? इसी तरह भाजपा और मोदी जी ने अपने आधार मतदाताओं की उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में जमकर उपेक्षा की और फिर भी उम्मीद करते रहे कि वे उनको ही वोट देंगे परिणाम पूरी दुनिया के सामने है. मैं अपनी सीट हाजीपुर लोकसभा सीट की ही बात करूं तो न तो कोई बीएलओ हमें मतदाता पर्ची देने आया और न ही भाजपा या लोजपा का कोई पोलिंग एजेंट बूथ पर मौजूद था. यह तो संयोग था या फिर एनडीए समर्थकों का दृढ़निश्चय कि चिराग पासवान यहाँ से जीत गए. मित्रों, विषयांतर के लिए क्षमा चाहता हूँ और मोदी जी से पूछना चाहता हूँ कि जब वो बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगा ही नहीं सकते तो फिर संविधान में धारा ३५६ की जरुरत ही क्या है? फिर क्यों नहीं धारा ३७० की तरह इसे भी संविधान से हटा दिया जाए? सिर्फ ५६ ईंच बोल देने से किसी का सीना ५६ ईंच का नहीं हो जाता बल्कि उसे चरितार्थ भी करना पड़ता है. माना कि मोदी जी टीम इंडिया में विश्वास करते हैं लेकिन ममता तो ऐसा नहीं मानती? उसका तो एकदलीय शासन में विश्वास है लोकतंत्र में विश्वास ही नहीं है. मित्रों, मोदी जी बंगाल के राज्यपाल की स्थिति कितनी दुर्बल बना दी है? कभी राज्यपाल की गाडी पर हमला हो जाता है तो कभी राज्यपाल को मुख्यमंत्री द्वारा किए गए अपमान के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करना पड़ता है. राज्य के संवैधानिक प्रधान की ऐसी दुर्गति? ५६ ईंच की कौन कहे मुझे तो लगता है कि मोदी जी के सीना है ही नहीं उसकी जगह पत्थर है. अगर सीना होता तो बंगाल में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं की हत्याओं पर अवश्य चीत्कारता. जिस तरह भाजपा समर्थक महिला की नग्न परेड कराई गई है अब तक तो भाजपा को सडकों पर उतर जाना चाहिए था और पूरे बंगाल को ठप्प कर देना चाहिए था तो यह भी नहीं हो रहा है. मित्रों, पहले भी अपने आलेख में मैं मोदी जी से निवेदन कर चुका हूँ कि मोदी जी को गाँधी नहीं सावरकर बनना होगा और अगर वे सावरकर नहीं बन सकते तो उनको योगी जी के लिए सिंहासन खाली कर देना चाहिए. गाँधी बननेवाले नेताओं की तो पहले से ही देश में कोई कमी नहीं थी. अच्छा हो कि मोदी जी समय निकालकर रणदीप हुड्डा की सावरकर फिल्म को एक बार देख लें शायद आधुनिक गाजी तुगलक मोदी जी को जोश आ जाए.

शुक्रवार, 7 जून 2024

रामचंद्र कह गए सिया से

मित्रों, कई दशक पहले गोपी फिल्म में एक गाना था कि रामचंद्र कह गये सिया से, ऐसा कलजुग आएगा, हंस चुगेगा दाना दुनका कौआ मोती खाएगा. इस बार के लोकसभा चुनाव परिणामों को देखकर यही कहा जा सकता है कि इस बार सच की हार हुई है और झूठ जीत गया है. यद्यपि मोदी जी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रहे हैं तथापि उनके हाथ कमजोर हुए हैं और कमजोर भी किसने किया है? उनलोगों ने जिनके लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया. हिन्दू ह्रदय सम्राट बाहुबली अपने लोगों कटप्पा द्वारा दिए गए धोखे से व्यथित है, भीतर-ही-भीतर रो रहा है ऊपर से कुछ बोल नहीं रहा. मित्रों, किसने कल्पना की थी कि भाजपा अयोध्या की सीट हार जाएगी, किसने कल्पना की थी? उस अयोध्या की सीट जहाँ ५०० सालों के बाद मोदी जी के प्रयास से राम जी फिर से भव्य मंदिर में विराजे हैं. किसने कल्पना की थी कि कसाब को फांसी दिलवाने वाले उज्ज्वल निकम चुनाव हार जाएँगे और जेलों में बंद पंजाब और कश्मीर के दुर्दांत आतंकवादी चुनाव जीतकर माननीय बन जाएँगे? किसने कल्पना की थी कि पूर्व आईपीएस अन्नामलाई चुनाव हार जाएँगे और सनातन को बीमारी बतानेवाली पार्टी तमिलनाडु में क्लीन स्वीप करेगी? मित्रों, सचमुच घनघोर कलयुग आ गया है. दुर्भाग्यवश हम हिन्दू बहुत आसानी से बहकावे और लालच में आ जाते हैं और इस बार तो हमने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी नहीं चलाई और बल्कि कुल्हाड़ी पर पैर मार लिया है. हम आखिर समय के संकेतों को क्यों नहीं समझ पा रहे? मैं यहाँ गैर यादवों की बात कर रहा हूँ क्योंकि यादव तो बहुत पहले से हिन्दू नहीं रहे. जेहादी अजगर छद्मधर्मनिरपेक्षतावादी भ्रष्ट दलों की सहायता से सनातन को निगलने के लिए तैयार बैठा है. यूपी में सहारनपुर में मोदी जी को बोटी-बोटी कर देने की धमकी देनेवाले मसूद को भी आपने जितवा दिया. और कल-परसों से ही वहां के मुसलमान हिन्दुओं के घरों पर चढ़कर गालियाँ भी देने लगे हैं. कहाँ जाओगे भागकर सोंचा भी है? मित्रों, बंगाल की हार के लिए मैं हिन्दुओं को नहीं बल्कि स्वयं मोदी जी को दोषी ठहराता हूँ. जब संविधान में अनुच्छेद ३५६ का प्रावधान किया गया है तो उन्होंने अब तक उसका इस्तेमाल क्यों नहीं किया? सवाल उठता है कि जब आपके वोटरों को वोट गिराने ही नहीं दिया जाएगा तो आप जीतेंगे कैसे? खैर, अब तो जो होना था हो चुका. अमित शाह जी का फेक वीडियो और कांग्रेस पार्टी की झूठी गारंटी अपना कमाल दिखा चुकी. हमारा क्या है, हम तो मोदी जी के साथ थे, हैं और रहेंगे. मोदी जी को उनके नए कार्यकाल के लिए शुभकामनाएँ और बधाई.