tag:blogger.com,1999:blog-4719772605751864996.post5971911007288261653..comments2023-08-12T13:36:35.571+05:30Comments on ब्रज की दुनिया: बिहार में विकास जीता,जाति हारीब्रजकिशोर सिंहhttp://www.blogger.com/profile/06995434268644000587noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-4719772605751864996.post-92194051885371776992010-11-28T17:07:08.600+05:302010-11-28T17:07:08.600+05:30राजीव जी शायद आपने शीर्षक देखकर ही लेख के बारे में...राजीव जी शायद आपने शीर्षक देखकर ही लेख के बारे में सारे निर्णय ले लिए.यह लेख मैंने काफी जल्दीबाजी में लिखा था फिर भी मैंने इसमें लोकतंत्र की विरूपताओं और प्रचंड बहुमत के खतरों को भी प्रकट किया है.बहुत सी बातें पहले से दिमाग में होती हैं लेकिन लिखते समय छूट जाती हैं.मैं आज भी मानता हूँ कि बिहार में विकास तो हो रहा है लेकिन वह न्याय के साथ नहीं बल्कि भ्रष्टाचार के साथ हो रहा है.टिपण्णी के लिए बहुत-२ धन्यवाद् सर.ब्रजकिशोर सिंहhttps://www.blogger.com/profile/06995434268644000587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4719772605751864996.post-3820662237111168952010-11-28T16:45:56.457+05:302010-11-28T16:45:56.457+05:30कितनी जल्दी बदली हुई भाषा बोलने लगे आप? हिन्दुस्ता...कितनी जल्दी बदली हुई भाषा बोलने लगे आप? हिन्दुस्तान लाइव पर आपका शानदार कमेंट जो दोटूक और हकीकत है, देखकर मैं आपके ब्लॉग पर आया। लेकिन आपने तो शीर्षक में ही अपनी रंग और तेवर दोनों बदल दी है। यह अनुभव मेरे पत्रकारिता जीवन का मजेदार छल और वैचारिक रोमांस है।<br />-राजीव रंजन प्रसाद, प्रयोजनमूलक हिन्दी, पत्रकारिता, बीएचयू, वाराणसी, 9473630410Rajeev Ranjan Prasadhttp://www.issbaar.blogspot.comnoreply@blogger.com