रविवार, 11 अक्टूबर 2009

संभावनाओं को पुरस्कार : एक नया प्रचलन

अमेरिका के राष्ट्रपति को पुरस्कार देकर नोबेल पुरस्कार समिति ने एक नया प्रचलन शुरू किया है और वह है आनेवाले भविष्य में संभावित कार्यों के लिए पुरस्कार देने का प्रचलन। २० जनवरी को ओबामा ने शपथ ग्रहण किया और १ फरवरी पुरस्कार के लिए नामांकन का आखिरी दिन था। इन कुल जमा १२ दिनों में ओबामा ने सिवाय वायदे करने के और कुछ नहीं किया। फ़िर उन्हें उनकी कौन सी उपलब्धि देखकर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया ये तो चयन समिति के सदस्य ही जाने। अब तक तो दुनिया का यह कथित रूप से सबसे बड़ा पुरस्कार किए गए कार्यों के लिए दिया जाता था अब किए जानेवाले कार्यों की संभावनाओं के आधार पर भी दिया जाने लगा है। ओबामा को राष्ट्रपति बने अभी भी नौ महीने ही हुए हैं. पूरी दुनिया हैरान है कि इस दौरान उन्होंने ऐसा क्या कर दिया है कि वे इस पुरस्कार के लायक मान लिए गए? ओबामा को ख़ुद भी हैरानी हुयी है जो जायज भी है। कितनी बड़ी बिडम्बना है कि ओबामा जिस गाँधी को अपना प्रेरणा पुरूष मानते हैं वह गाँधी तो इस पुरस्कार के योग्य नहीं था और ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के १२ वें दिन ही बिना कुछ किए ही पुरस्कार के योग्य हो गए। गाँधी किसी पुरस्कार के मोहताज हों ऐसी बात भी नहीं है। गाँधी ने दुनिया को शान्ति और अहिंसा का जो अमूल्य संदेश दिया वह दुनिया को प्रेरित करता रहे यही उनके लिए सबसे बड़ा पुरस्कार है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें