सोमवार, 2 नवंबर 2009
किरण बेदी को मुख्य सूचना आयुक्त बनाया जाये
भारत के बारे में अक्सर यह कहा जाता है कि यहाँ कानून तो है पर व्यवस्था नहीं है. सूचना का अधिकार कानून भी इसका अपवाद नहीं है. स्वयं मुख्य सूचना आयुक्त सचिवालय के अनुसार मात्र १७ प्रतिशत मामलों में ही आवेदक को सूचना मिल पा रही है. जाहिर है कि सरकारी तंत्र कानून बन जाने के बाद भी सूचना देने के बजाये छुपाने में ज्यादा विश्वास रखता है.कानून बनाना हमारे देश में जितना आसान रहा है लागू करवाना उतना ही कठिन और जब सरकार ही बाधक का काम करने लगे तब तो उस कानून का भगवान ही मालिक है. सरकार दो-दो बार इस कानून में संशोधन का प्रयास कर चुकी है जिससे उसकी नीयत पर शक होना स्वाभाविक भी है. मुख्य सूचना आयुक्त हबीबुल्ला के इस्तीफे के बाद पद रिक्त हो गया है. अभिनेता आमिर खान ने इस पद पर नियुक्ति के लिए किरण बेदी का नाम सुझाया है. अच्छी बात यह रही है कि श्रीमती बेदी ने जिम्मेवारी ग्रहण करने से इंकार भी नहीं किया है. धीरे-धीरे यह मुहीम जोर पकड़ने लगी है और विभिन्न क्षेत्रों के कई जाने-माने लोगों ने आगे बढ़कर किरण बेदी का समर्थन किया है. किरणजी निश्चित रूप से एक निर्भीक और ईमानदार अधिकारी रही हैं. उनके साहस से डरकर ही केंद्र सरकार ने उन्हें दिल्ली का पुलिस आयुक्त नहीं बनाया था. क्या अब वही सरकार उन्हें इस अतिमहत्त्वपूर्ण पद पर बिठाने का जोखिम उठाएगी? इतना तो निश्चित है कि इस पद के लिए उनसे ज्यादा उपयुक्त उम्मीदवार कोई नहीं हो सकता.
किरणजी को मुख्या सूचना आयुक्त बनाने की मांग को जोरदार तरीके से उठाने के लिए धन्यवाद्. इसी तरह भ्रष्टाचार के खिलाफ युद्ध जारी रखिये.
जवाब देंहटाएंअविनाश मराठा, मुम्बई.