मंगलवार, 2 फ़रवरी 2010
संघ की घोषणा स्वागत योग्य
कथित धर्मनिरपेक्षवादियों के बीच राष्ट्र विरोधी संगठन के रूप में बदनाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अब मुंबई में उत्तर भारतीयों की रक्षा का बीड़ा उठाया है.अभी तक कांग्रेस सहित सभी धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देनेवाले दल रहस्यमय तरीके से चुप्पी साधे हुए थे.ऐसे में संघ की घोषणा का हम सभी राष्ट्रवादियों की तरफ से स्वागत किया जाना चाहिए.इससे निश्चित रूप से शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का मनोबल गिरेगा और वे अपनी करनी से बाज आयेगे.संघ अखिल भारतीय संगठन है और महाराष्ट्र तो इसका केंद्र ही है.इसलिए हमें यह उम्मीद करनी चाहिए कि अब महाराष्ट्र में पिछले कुछ समय से चल रहे सारे उपद्रव और उत्पात शांत हो जायेंगे.चाहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का जो भी इतिहास रहा हो वो देश की एकता और अखंडता की कट्टर समर्थक है. उसने अपने इस कदम द्वारा यह साबित भी कर दिया है.संघ प्रमुख के बयान देने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री ने मरता क्या न करता की तर्ज पर कहा कि भारतीय संविधान किसी भी भारतीय को कहीं भी बसने और काम करने की स्वतंत्रता देता है और केंद्र सरकार इसे सुनिश्चित करेगी.क्या पिछले दो सालों से भारत का संविधान लागू नहीं था या फ़िर मंत्रीजी की नैतिकता घास चरने चली गई थी .अब जब उन्हें लगा कि संघ कहीं वाक ओवर न ले ले तब उन्हें संविधान और अपने कर्त्तव्य की याद आ गई!
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