शनिवार, 21 मई 2011

ब्रेकिंग न्यूज़-भंगेरी हैं केंद्र सरकार के मंत्री

bhang

मित्रों,भकुआना बुरा नहीं है.कभी-कभी लोग जब सो के उठते हैं तो भकुआए हुए रहते हैं.फिर दो-चार बूँद चाय हलक के नीचे गयी और ताजगी की लहर तन-मन में दौड़ने लगती है.कभी-कभी लोग जानबूझकर भी शौकिया तौर पर भकुआते हैं.गांवों में भकुआना बहुत सस्ता है.खेत में जाईए भांग की पत्तियों को तोड़कर घोंटिए और कैलाशपति भोलेशंकर का नाम लेकर घोंट जाईए.ऐसा करना शाम के समय अच्छा रहता है.सुबह-सुबह भकुआ गए तो दिनभर कोई काम नहीं कर पायेंगे.दो को चार और गड्ढे को समतल समझते रहेंगे.कार्यालय में गलती हो गयी तो आपके बदले भोलेशंकर नहीं आएँगे डाँट सुनने.बड़े शहरों में कई लोग भकुआने के लिए अफीम जैसे महंगे साधनों की भी मदद लेते हैं.खैर हमें इस महंगाई में जब रोटी-दाल का जुगाड़ करना ही मुश्किल हो गया है भकुआने के इन महंगे उपायों का नाम लेकर मुंह नहीं जलाना.
                        मित्रों,गांवों में भी सारे लोग भांग नहीं घोंटते.कुछ लोग घोंटते हैं तो कुछ लोग नहीं भी घोंटते हैं.यह सही भी है गाँव में काम-धाम के चलते रहने के लिए ऐसा होना जरुरी है.लेकिन यह बात केंद्र सरकार पर लागू नहीं होती.जिस तरह से केंद्र सरकार काम कर रही है उससे तो यही लगता है कि इसके सारे मंत्री भांग घोंटते हैं और फिर दिनभर भकुआए रहते हैं.शायद इसके सारे मंत्री हमारे गाँव के रमेसरी काका की तरह सुबह-सुबह भांग घोंट लेते हैं.मंत्रालय भी जाते हैं लेकिन भकुआया हुआ आदमी जिस तरह काम करता है उसी तरह से काम करते हैं.हाय-हाय १९९१ में जब मनमोहन सिंह वित्त मंत्री बनाए गए थे तब तो बिलकुल भी भांग नहीं पीते थे.कीड़े पड़े उस नासपीटे को जिसने उदारीकरण के इस राजकुमार को यह बुरी लत लगा दी और कहीं का नहीं छोड़ा.लेकिन सोनिया जी को तो पता लगा लेना चाहिए था ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनाने से पहले.सुबह से शाम तक मुंहझौसा कुछ नहीं करता सिवाय भकुआए रहने के और ऊंघते रहने के.जब कोई बिगडैल मंत्री बहुत बड़ा घोटाला कर देता है तब फट से कह देता है कि हमें तो पता ही नहीं था कि कौन-सा मंत्री क्या कर रहा है?पता रहे भी कैसे श्रीमान सुबह-सुबह काजू-बादाम दी हुई स्पेशल भांग की दर्जनों गोलियां जो गटक जाते हैं.१५ अगस्त को झंडा तक तो खुद फहरा नहीं सकते सरकार क्या खाक चलाएंगे?
                          मित्रों,उसी केंद्र सरकार में एक और मंत्री भी ऐसे है जो भांग की गोलियां गटकने में वर्ल्ड चैम्पियन हैं और वे हैं हमारे विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा.उनको तो इतना नशा चढ़ जाता है कि कुछ भी भूल जाते हैं.एक बार क्या हुआ कि अमेरिका की यात्रा पर गए और दिमाग वहां के होटल में भूलकर चले आए.तब से क्या बताएँ कि उनकी हालत है?आपने देखा होगा कि तभी से भारत का पूरा विदेशी मामला अमेरिका देख रहा है.संयुक्त राष्ट्र संघ में कभी पुर्तगाल के विदेशमंत्री का भाषण पढने लगते हैं तो कभी जब नशा बहुत ही ज्यादा चढ़ जाता है तब चुप्पी लगा जाते हैं.अभी भी चुप हैं.पूरी दुनिया पाकिस्तान के खिलाफ हाय-हाय कर रही है लेकिन इनके मुंह से बकार ही नहीं निकल रहा.कभी रक्षा मंत्री ए.के.एंटोनी को तो कभी गृहमंत्री पी.चिदम्बरम को उनके बदले कुछ-न-कुछ अंट-शंट बोलते रहना पड़ रहा है.
              मित्रों,अब लीजिए चिदंबरम जी का नाम आया तब याद आया कि वे तो भोलेनाथ की नगरी दक्षिण भारत की काशी चिदंबरम नगरी के रहनेवाले हैं.नाम भी भोलेनाथवाला ही है सो स्वाभाविक तौर पर उनको भांग घोंटने की बड़ी पुरानी आदत है.पेट के मजबूत हैं,पचा जाते हैं जाहिर नहीं होने देते लेकिन कभी-कभी फिर भी गलती कर ही जाते हैं.बेचारे पिछले २ साल से पाकिस्तान को डोजियर पर डोजियर भेजे जा रहे थे.५० आतंकवादियों की लम्बी-सी लिस्ट बनाए हुए थे और पाकिस्तान को कह रहे थे कि इनको पकड़ के हमारे हवाले करो.बाद में पता चला कि इन ५० लोगों में से कई लोग तो भारत में ही हैं.उनमें से कुछ को तो इस लिस्ट को बनानेवाली सीबीआई ने खुद ही पकड़ा है.लेकिन अपने भारत में लेटलतीफी और अकर्मण्यता की पुरानी गौरवपूर्ण संस्कृति रही है.इसलिए सीबीआई के दुलरुआ भाई लोगों ने इनका नाम लिस्ट से हटाने की जहमत नहीं उठाई और फंस गए बेचारे मंत्री जी.इस समय सबसे महत्वपूर्व मंत्रालयों में से एक रेलवे कागजी रूप से मंत्रीविहीन हो गया है.बिना कागज पर तो बेचारा पिछले दो सालों से मंत्री के आने की बाट जोह रहा था.उसके मंत्री को बंगाली भांगवाली जलेबी खाने की जिद थी लेकिन पूरे गोदाम पर ३४ सालों से कब्ज़ा था माकपाईयों का.कई साल तक घिरियाते-घिरियाते आखिर उन्होंने गोदाम की चाभी छीन ही ली और अब देखिए कि बंगाल में उनका शासन कैसा चकाकक रहता है बंगाली धोती-कुरता की तरह भकभक उज्जर या फिर घोटालों की खूबसूरत छीटों से छींटदार बन जाता है.यह सब निर्भर करेगा इस बात पर कि वे भांगवाली जलेबी कितना खाती हैं और उनकी पचाने की क्षमता कितनी है.
                    मित्रों,केंद्रीय मंत्रिमंडल में अब बंगाली दीदी भले ही नहीं हों बंगाली दादा अभी भी बने हुए हैं.बूढ़े हैं,अच्छी-खासी उम्र हो चुकी है सो उन्हें कायदे से तो टॉनिक-वौनिक पीना चाहिए लेकिन लेते हैं वे भी भांग ही.आम आदमी की सरकार के वित्त मंत्री हैं इसलिए विदेशी उनको जमता नहीं है.उनको जब नशा चढ़ता है तब बड़बड़ाने लगते हैं.पिनक में कभी बोलते हैं कि जनवरी से महंगाई कम होगी तो कभी कहते हैं जून से.कोई इंतजाम नहीं करते और जैसे बांकी मंत्री भोलेनाथ की बूटी और उनकी कृपा पर भरोसा करते हुए विभाग संभाल रहे हैं वे भी सिर्फ भांग का गिलास सँभालने में लीन हैं.अब उनको कौन बताए और कैसे बताए कि सिर्फ मुद्रा-नीति के बल पर महंगाई नियंत्रण में नहीं आनेवाली.खेती,उद्योग,मांग और आपूर्ति सबकी स्थिति को सुधारना पड़ेगा.कोई समझाता भी है तो कहते हैं तुम्हारी उम्र ही कितनी है जो चले आए समझाने.तुम्हारा बाप तो हमारे आगे नंगा घूमा करता था.बुढ़ापा जैसे-जैसे बढ़ रहा है जिद भी बढती जा रही है.एक तो उम्र का असर और फिर भांग,शिव,शिव,शिव,शिव.दादा कहते हैं कि हम तो इसी तरह महंगाई नियंत्रित करेंगे ब्याज-दर बढ़ा-बढाकर तुमको जो उखाड़ना है उखाड़ लो.
              मित्रों,बहुत हो गया भांग पुराण.अब हमको भी भांग का अमल जोर मरने लगा है.देखिए हमने जो कुछ भी अभी लिखा है हमने नहीं सब भांग की हरी-हरी,प्यारी-प्यारी पत्तियों ने लिखा.खदेरन,ऐ खदेरन भंगमा पिसा गया.का कहा एक घंटा पहिले.तब एतना देर से क्या कर रहा था भकचोन्हर.तनी देखो त नशा कम रहने के चलते हम का-का लिख गए.शिव,शिव,शिव,शिव.जय हो शिवशंकर........................

1 टिप्पणी:

  1. Find the latest World news in Hindi. Get current news headlines, breaking news samachar and top stories in Hindi from around the World. दुनिया की ताज़ा खबर, ब्रेकिंग और लेटेस्ट दुनिया न्यूज़ on MNewsindia.com Latest World News in Hindi | दुनिया न्यूज़ विश्व के समाचार

    जवाब देंहटाएं