मित्रों,भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की विधानसभा के पहले चरण के मतदान में अब कुछ ही घंटे शेष रह गए हैं.इस समय सारे दल और उनके नेता जनता को लुभाने में लगे हुए हैं और इस दिशा में सबसे आगे है भारत की सबसे पुरानी मगर इस समय की सबसे भ्रष्ट और झूठी पार्टी कांगेस पार्टी.इसने एक ही बार में अपने सारे तीर छोड़ दिए हैं.मुस्लिमों को आरक्षण,युवराज्ञी प्रियंका गाँधी वाड्रा द्वारा प्रचार और युवराज राहुल गाँधी द्वारा राज्य का कथित विकास करने का वादा.बड़ी ही सफाई से पार्टी एक ही बार में देश और प्रदेश को पीछे धकेलने और आगे ले जाने वाले दोनों तरह के वादे किए जा रही है.
मित्रों,कुछ साल पहले कुछ इसी तरह के वादे करके यह पार्टी केंद्र में सत्ता में आई थी.परन्तु किया क्या?सिर्फ और सिर्फ सत्ता का दुरुपयोग.इसकी पूरी-की-पूरी सरकार सिर्फ एशिया में ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भ्रष्टाचार के मामले में अव्वल है.इसका लगभग प्रत्येक मंत्री अपनी मनमानी करके अपनी तिजोरी भरने में लगा हुआ है और प्रधानमंत्री व्यस्त हैं इन सबसे पूरी तरह से अनजान होने का स्वांग रचने में.श्री मनमोहन सिंह को शायद यह नहीं पता है कि वे कोई अपना या सोनिया गाँधी का घर नहीं चला रहे है वरन देश को चला रहे हैं.यहाँ इस कुर्सी पर उनकी छोटी-सी भूल और लापरवाही देश में भयानक तबाही ला सकती है जैसा कि २-जी स्पेक्ट्रम मामले में हुआ भी है लेकिन हमारा नेहरू परिवार अभी भी उन्हें सर्वोत्तम सिद्ध करने की जिद पकडे हुए है.तो क्या हम इस चुनाव में इस परिवार की इस गलत धारणा को गलत साबित नहीं कर देंगे?
मित्रों,इस समय देश में चारों तरफ अराजकता का माहौल है.भ्रष्टाचार अपने चरम पर है,अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जो किसी भी लोकतंत्र की धुरी होती है;को केवल इसलिए कुचला जा रहा है ताकि कोई जागृत नागरिक केंद्र की कांग्रेस सरकार की आलोचना नहीं कर सके और चूंकि कांग्रेसी युवराज्ञी प्रियंका गाँधी फरमा रहीं हैं कि उनकी और उनके परिवार की नजर में मनमोहन इस समय भी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं इसलिए निकट-भविष्य में देश में वर्तमान स्थितियों में कोई बदलाव आने की उस स्थिति में कोई सम्भावना नहीं रह जाती है कि अगर कांग्रेस उत्तर प्रदेश चुनाव जीत जाती है.इसका दूसरा मतलब यह भी हुआ कि केंद्र सरकार में जो कुछ भी हो रहा है वह कांग्रेस की सुशासन की परिभाषा के अंतर्गत है और हो सकता है जीत के बाद कांग्रेस उत्तर प्रदेश में भी इस मनमोहिनी सुशासन को आजमाए.
मित्रों,पिछले दो लोकसभा चुनाव इस बात के गवाह है कि जब-जब कांग्रेस जीती है जनता की हार हुई है.महंगाई बढ़ी है,भ्रष्टाचार बढ़ा है और साथ ही बढ़ा है कालेधन के जमाकर्ताओं और भ्रष्टाचारियों को केंद्र सरकार का संरक्षण भी.इसलिए अगर आपको अपने प्रदेश की संभावित बर्बादी को रोकना है तो राहुल गाँधी के भ्रष्टाचार के साथ विकास के वादे को पूरी तरह से अंगूठा दिखाते हुए जब भी मतदान करें तो उसी उम्मीदवार के पक्ष में करें जो कांग्रेसी उम्मीदवार को हराने में सक्षम हो.
दोस्तों,इस बात की भी प्रबल सम्भावना बन रही है कि चुनावों के बाद कांग्रेस समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर लेगी.इसलिए आप कांग्रेस के साथ-साथ सपा को भी सीधे-सीधे ख़ारिज करिए.माया जी की माया के तो आप प्रत्यक्ष गवाह भी हैं और भोक्ता भी इसलिए उनको वोट देने का तो सवाल ही नहीं.हालाँकि कांग्रेस यह दावा कर रही है कि वो चुनावों के बाद किसी भी अन्य राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करेगी.किन्तु ऐसा वो पहले ही बिहार में बार-बार कर चुकी है.१९९० के बाद बिहार विधानसभा के प्रत्येक चुनाव में वह राजद से अलग होकर चुनाव लडती रही और इसी तरह हर बार यह वादा और दावा करती रही कि चुनावों के बाद वो किसी के साथ भी गठबंधन नहीं करने जा रही है.किन्तु चुनावों के बाद एक बार तो सोनिया गाँधी ने ऐसा भी किया कि अपने सारे-के-सारे विधायकों को एकबारगी लालू-राबड़ी सरकार में मंत्री बनवा डाला.
मित्रों,दैवात आपके हाथों में सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे भारतवर्ष की तक़दीर और तस्वीर को बदलने का मौका आया है.इस सुअवसर का पूरा-पूरा लाभ उठाईए और अपने महान राज्य कांग्रेस के खूनी पंजे के शिकंजे में जाने से बचाईए अन्यथा बाद में सिवाय पछतावे के आपके पास कोई और विकल्प नहीं बचेगा.न तो आपकी आजादी ही बचेगी और न ही देश में लोकतंत्र ही बचेगा.जहाँ तक राहुल के विकास के वादे का सवाल है तो केंद्र सरकार के आंकड़े खुद ही चीख-चीखकर इस बात की गवाही दे रहे हैं कि देश के उन्हीं राज्यों में विकास-दर इस समय सबसे ज्यादा तेज है जिन राज्यों में कांग्रेस सत्ता में नहीं है और यह तो आप भी भली-भांति जानते हैं कि रोजगार के अवसर वहीं पर ज्यादा उत्पन्न होते हैं जहाँ विकास की रफ़्तार ज्यादा तेज होती है.इसलिए दोस्तों कांग्रेस के झूठे वायदों से बचिए,इसके झूठे नेताओं से सतर्क रहिए.आपको तो याद ही होगा कि इन्होने हाल-फिलहाल में ही लोकपाल के मुद्दे पर थोक में देश से वादे किए हैं.और फिर उतनी ही बेहयाई और बेरहमी से उन वादों को तोड़ा भी है.
मित्रों,कुछ साल पहले कुछ इसी तरह के वादे करके यह पार्टी केंद्र में सत्ता में आई थी.परन्तु किया क्या?सिर्फ और सिर्फ सत्ता का दुरुपयोग.इसकी पूरी-की-पूरी सरकार सिर्फ एशिया में ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भ्रष्टाचार के मामले में अव्वल है.इसका लगभग प्रत्येक मंत्री अपनी मनमानी करके अपनी तिजोरी भरने में लगा हुआ है और प्रधानमंत्री व्यस्त हैं इन सबसे पूरी तरह से अनजान होने का स्वांग रचने में.श्री मनमोहन सिंह को शायद यह नहीं पता है कि वे कोई अपना या सोनिया गाँधी का घर नहीं चला रहे है वरन देश को चला रहे हैं.यहाँ इस कुर्सी पर उनकी छोटी-सी भूल और लापरवाही देश में भयानक तबाही ला सकती है जैसा कि २-जी स्पेक्ट्रम मामले में हुआ भी है लेकिन हमारा नेहरू परिवार अभी भी उन्हें सर्वोत्तम सिद्ध करने की जिद पकडे हुए है.तो क्या हम इस चुनाव में इस परिवार की इस गलत धारणा को गलत साबित नहीं कर देंगे?
मित्रों,इस समय देश में चारों तरफ अराजकता का माहौल है.भ्रष्टाचार अपने चरम पर है,अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जो किसी भी लोकतंत्र की धुरी होती है;को केवल इसलिए कुचला जा रहा है ताकि कोई जागृत नागरिक केंद्र की कांग्रेस सरकार की आलोचना नहीं कर सके और चूंकि कांग्रेसी युवराज्ञी प्रियंका गाँधी फरमा रहीं हैं कि उनकी और उनके परिवार की नजर में मनमोहन इस समय भी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं इसलिए निकट-भविष्य में देश में वर्तमान स्थितियों में कोई बदलाव आने की उस स्थिति में कोई सम्भावना नहीं रह जाती है कि अगर कांग्रेस उत्तर प्रदेश चुनाव जीत जाती है.इसका दूसरा मतलब यह भी हुआ कि केंद्र सरकार में जो कुछ भी हो रहा है वह कांग्रेस की सुशासन की परिभाषा के अंतर्गत है और हो सकता है जीत के बाद कांग्रेस उत्तर प्रदेश में भी इस मनमोहिनी सुशासन को आजमाए.
मित्रों,पिछले दो लोकसभा चुनाव इस बात के गवाह है कि जब-जब कांग्रेस जीती है जनता की हार हुई है.महंगाई बढ़ी है,भ्रष्टाचार बढ़ा है और साथ ही बढ़ा है कालेधन के जमाकर्ताओं और भ्रष्टाचारियों को केंद्र सरकार का संरक्षण भी.इसलिए अगर आपको अपने प्रदेश की संभावित बर्बादी को रोकना है तो राहुल गाँधी के भ्रष्टाचार के साथ विकास के वादे को पूरी तरह से अंगूठा दिखाते हुए जब भी मतदान करें तो उसी उम्मीदवार के पक्ष में करें जो कांग्रेसी उम्मीदवार को हराने में सक्षम हो.
दोस्तों,इस बात की भी प्रबल सम्भावना बन रही है कि चुनावों के बाद कांग्रेस समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर लेगी.इसलिए आप कांग्रेस के साथ-साथ सपा को भी सीधे-सीधे ख़ारिज करिए.माया जी की माया के तो आप प्रत्यक्ष गवाह भी हैं और भोक्ता भी इसलिए उनको वोट देने का तो सवाल ही नहीं.हालाँकि कांग्रेस यह दावा कर रही है कि वो चुनावों के बाद किसी भी अन्य राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करेगी.किन्तु ऐसा वो पहले ही बिहार में बार-बार कर चुकी है.१९९० के बाद बिहार विधानसभा के प्रत्येक चुनाव में वह राजद से अलग होकर चुनाव लडती रही और इसी तरह हर बार यह वादा और दावा करती रही कि चुनावों के बाद वो किसी के साथ भी गठबंधन नहीं करने जा रही है.किन्तु चुनावों के बाद एक बार तो सोनिया गाँधी ने ऐसा भी किया कि अपने सारे-के-सारे विधायकों को एकबारगी लालू-राबड़ी सरकार में मंत्री बनवा डाला.
मित्रों,दैवात आपके हाथों में सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे भारतवर्ष की तक़दीर और तस्वीर को बदलने का मौका आया है.इस सुअवसर का पूरा-पूरा लाभ उठाईए और अपने महान राज्य कांग्रेस के खूनी पंजे के शिकंजे में जाने से बचाईए अन्यथा बाद में सिवाय पछतावे के आपके पास कोई और विकल्प नहीं बचेगा.न तो आपकी आजादी ही बचेगी और न ही देश में लोकतंत्र ही बचेगा.जहाँ तक राहुल के विकास के वादे का सवाल है तो केंद्र सरकार के आंकड़े खुद ही चीख-चीखकर इस बात की गवाही दे रहे हैं कि देश के उन्हीं राज्यों में विकास-दर इस समय सबसे ज्यादा तेज है जिन राज्यों में कांग्रेस सत्ता में नहीं है और यह तो आप भी भली-भांति जानते हैं कि रोजगार के अवसर वहीं पर ज्यादा उत्पन्न होते हैं जहाँ विकास की रफ़्तार ज्यादा तेज होती है.इसलिए दोस्तों कांग्रेस के झूठे वायदों से बचिए,इसके झूठे नेताओं से सतर्क रहिए.आपको तो याद ही होगा कि इन्होने हाल-फिलहाल में ही लोकपाल के मुद्दे पर थोक में देश से वादे किए हैं.और फिर उतनी ही बेहयाई और बेरहमी से उन वादों को तोड़ा भी है.
ब्रजकिशोर जी ,
जवाब देंहटाएंनमस्कार । बहुत दिन हो गए । एक बार दर्शन दिए फिर न जाने कहाँ चले गए । आपका पोस्ट अच्छा लगा । धन्यवाद ।