5 जून,2014,हाजीपुर,ब्रजकिशोर सिंह। यह बात तो हम सभी जानते हैं कि भारत
के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहुत अच्छी हिन्दी जानते हैं। लोकसभा चुनाव
प्रचार के समय वे भारत को लगातार हिन्दी में संबोधित करते रहे। यहाँ तक कि
केरल और तमिलनाडु में भी वे हिन्दी ही बोलते रहे और दुभाषिये की सहायता ली।
इस साल सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक बार फिर से हिन्दी
गूंजेगी। इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी कई बार संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी
में भाषण कर चुके हैं। मोदी द्वारा हिन्दी में संबोधन की खबर को सुनकर खुशी
तो होती है लेकिन आश्चर्य और शक होता है कि क्या मोदी का हिन्दी प्रेम
दिखावा है? अगर नहीं तो फिर भारत के प्रधानमंत्री की आधिकारिक वेबसाइट http://pmindia.nic.in/
पर जनता को हिन्दी में अपनी बातें रखने की अभी तक अनुमति क्यों नहीं दी गई
है? राजस्थान से लेकिन बिहार तक पूरे हिन्दी क्षेत्र में अगर मोदी को जनता
ने सिर आँखों पर नहीं बैठाया होता तो क्या वे आज भारत के प्रधानमंत्री
होते और अगर होते तो इतनी मजबूत स्थिति में होते? फिर प्रधानमंत्री बनते ही
नरेंद्र मोदी ने हिन्दीभाषियों को अंगूठा क्यों दिखा दिया? http://pmindia.nic.in/feedback.php
लिंक पर जाकर आप भी देख सकते हैं कि प्रधानमंत्री जी इन दिनों सिर्फ
अंग्रेजी में ही जनता की शिकायतें सुन रहे हैं। फिर हिन्दीभाषी जनता क्या
करे और कैसे अपनी समस्याओं से अपने प्रधानमंत्री को अवगत करवाए? क्या
हिन्दीभाषियों को अपनी समस्याओं को अपनी भाषा में दर्ज करवाने का अधिकार
नहीं होना चाहिए? आजकल तो दुनिया की किसी भी भाषा में लोग अपनी बातें रख
सकते हैं। ऐसी सुविधा तो माइक्रोसॉफ्ट खुद ही दे रही है फिर सिर्फ अंग्रेजी
में ही शिकायत दर्ज करवाने का प्रावधान क्यों? वोट मांगा हिन्दी में और
पीएम बनते ही हिन्दी को अंगूठा दिखा दिया क्या यह दोहरा मानदंड नहीं है?
क्या यह भारत की कथित राष्ट्रभाषा और स्वयं भारतमाता का अपमान नहीं है?
क्या भारत की जनता को,भारतमाता की संतानों को भारतमाता की अपनी भाषा में
बात रखने का अधिकार नहीं होना चाहिए? अगर नहीं तो फिर भारतमाता की जय और
वंदे मातरम् नारा लगाने का क्या मतलब है? क्या मोदी का भारतमाता से प्रेम
और उनके प्रति उनकी भक्ति भी सिर्फ दिखावा था मात्र चुनाव जीतने के लिए? यह
कैसा राष्ट्रवाद है राष्ट्रवादी पार्टी भाजपा का? फिर
अंग्रेजों,कांग्रेसियों और भाजपा में क्या अंतर है कम-से-कम भाषा के स्तर
पर?
(हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
(हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
मित्रों,इस आलेख के लिखने के करीब एक सप्ताह के बाद इस वेबसाईट पर हिन्दी में टिप्पणी की सुविधा उपलब्ध करा दी गई है। इस नाचीज की बातों पर कान देने के लिए हम प्रधानमंत्री जी का हृदय से आभार प्रकट करते हैं।
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