रविवार, 1 मई 2016

भगवा आतंकवाद गढ़नेवालों को मिले मृत्युदंड

हाजीपुर,ब्रजकिशोर सिंह।मित्रों,हमारी आशंका ५ साल बाद सही साबित हुई है। हमने ५ साल पहले २ जनवरी,२०११ को जब तत्कालीन केंद्र सरकार और कांग्रेस पार्टी जबरदस्ती भगवा आतंकवाद शब्द गढ़ने और शब्द को सही साबित करने के लिए झूठी अफवाह फैला रही थी,कई निर्दोष हिन्दू नेताओं और सन्यासियों को प्रताड़ित कर रही थी तब अपने आलेख

हिन्दू आतंकवाद सच्चाई कम साजिश ज्यादा

में

कहा था कि कोई गोब्यल्स चाहे कितनी ही बार इस शब्द और इससे जोड़ी जानेवाली अंतर्कथा को क्यों न दोहराए मैं नहीं मानूंगा कि भारत में कोई भगवा आतंकवाद जैसी चीज अस्तित्व में भी है।
मित्रों,सौभाग्यवश आज यह दिवार पर लिखी ईबारत की तरह साफ हो चुका है कि कांग्रेस ने जान-बूझकर पहले इस विरोधाभासी शब्द को गढ़ा और फिर उसको सही साबित करने की साजिश रची।खुलासे तो यह भी बता रहे हैं कि दुनिया के सबसे सहिष्णु धर्म हिन्दू को बदनाम करने के लिए कांग्रेस ने पाकिस्तान और पाकिस्तानी आतंकी संगठनों की भी मदद ली।संकेत तो ऐसे भी हैं कि हिंदुस्तान के १ अरब से भी ज्यादा हिन्दुओं को बदमान करने और नीचा दिखाने की यह अति घिनौनी साजिश १० जनपथ में रची गयी।
मित्रों,बहुत जल्द इस साजिश में कारण बेवजह जेल में अपने जीवन के बहुमूल्य सालों को गुजारने को मजबूर किए गए लोग बाहर भी आ जाएंगे लेकिन क्या इसके साथ ही इस मामले का पटाक्षेप हो जाएगा या हो जाना चाहिए? मेरी मानें तो कदापि नहीं! आखिर यह १ अरब लोगों की मानहानि का सवाल है जिनको एक ऐसे संप्रदाय के साथ एक ही तराजू पर तोलने की कोशिश की गयी जिनसे आज पूरी दुनिया परेशान है।
मित्रों,सवाल उठता है कि हम हिन्दुओं की ईज्जत और जज्बात के साथ छेड़छाड़ करनेवालों को क्या दंड मिलना चाहिए।मेरे हिसाब से तो उनको सीधे मृत्युदंड मिलना चाहिए।हो सके तो इसके लिए संविधान और कानून में बदलाव किया जाए।अगर ऐसा करना किसी भी तरीके से संभव न हो तो उनको कानूनन जितनी अधिकतम सजा मिल सकती है मिलनी चाहिए।उनमें से कोई भी बचना नहीं चाहिए जिससे उनको और उनकी तरह देशविरोधी सोंच रखनेवाले शरारती तत्त्वों को एक सबक मिल सके और वे भविष्य में इस तरह की शरारत न कर सकें।साथ ही इस बात की भी गहराई से जाँच करवाई जाए कि अभी भी देश में ऐसे कौन-से लोग हैं जो भारत विरोधी सीमापार और सुदूर की शक्तियों के इशारे पर नागिन डांस कर रहे हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें