मंगलवार, 15 नवंबर 2016

बैंकों को सुधारें मोदी जी वर्ना ..........


मित्रों, अपने देश के राष्ट्रीयकृत बैंकों की हालत किसी से छिपी हुई नहीं है. जब भी बैंक जाना होता है तो जैसे हमारी रूह काँप जाती है. जबकि पैसा भगवान बन गया है जाहिर है कि बैंककर्मी जिनके हाथों में जमा लेना और ऋण देना होता है अपने आपको भगवान से भी बड़ा समझते हैं. पासबुक,चेकबुक लेने के लिए ग्राहकों को हफ़्तों दौडाते हैं. खुद मेरे पिताजी को एटीएम के पिन नंबर के लिए ६ महीने तक दौड़ाया गया. यही कारण है कि मैं खुद एटीएम से पैसे निकालकर काम चलाता हूँ कभी बैंक नहीं जाता. लोगों को अपना जमा पैसा निकालने में खून-पसीना एक करना होता है. जब किसी को लोन लेना होता है तब बैंकवाले ऐसे पेश आते हैं जैसे ग्राहक बैंक लूटने आया हो. महीनों भगवान की परिक्रमा करिए फिर चढ़ावा चढ़ाईए तब जाकर कृपा होती है.
मित्रों, हमारे बैंकों की यह हालत सामान्य दिनों में होती है और अभी तो आर्थिक आपातकाल जैसी स्थिति है. स्वाभाविक है कि हमारे बैंक इस स्थिति के लिए पहले से बिलकुल भी तैयार नहीं थे. अब इलाहबाद बैंक की आर.एन.कॉलेज शाखा को ही लें. आज पूरे दिन बैंक में किसी ग्राहक को घुसने नहीं दिया गया. बैंककर्मी अन्दर बैठकर आराम फरमाते रहे और ग्राहकों की भीड़ सुबह से लेकर शाम तक दरवाजे पर ताला खुलने का इंतजार करती रही. शाम ढलने के बाद बाहर जमा लोग जब हल्ला करने लगे तो बैंककर्मी भीतर से गालियाँ देने लगे.
मित्रों, जाहिर है कि इस तरह के हालातवाला यह इकलौता बैंक नहीं है. पहले भी हाजीपुर में एसबीआई, एक्सिस बैंक, एचडीएफसी,यूको बैंक और आईसीआईसीआई को छोड़कर अन्य जितने भी बैंकों के एटीएम हैं सारे-के-सारे बंद रहते थे और अब भी बंद रहते हैं. ऐसे में अगर बैंकों से भी लोगों में खाली हाथ लौटाया जायेगा तो जनता में असंतोष तो भड़केगा ही.
मित्रों, सवाल उठता है कि ऐसे हालात में मोदी जी का शुद्धि यज्ञ कैसे सफल होगा? आज जो लोग बैंक वालों में गालियाँ दे रहे हैं क्या वे कल मोदी जी को गाली नहीं देंगे?  जबकि पूरा देश रोजाना के खर्च के लिए मारा-मारा फिर रहा है ऐसे में अगर किसी बैंक के स्टाफ गेट भीतर से बंद करके आराम फरमा रहे हों तो इसे एक आपराधिक कृत्य ही माना जाना चाहिए और ऐसा करनेवालों के साथ वही व्यवहार होना चाहिए जो एक अपराधी के साथ किया जाता है. मोदीजी जनता तो देश की अर्थव्यवस्था की शुद्धि के लिए हर परेशानी सहने को तैयार हैं लेकिन बेवजह या जानबूझकर दिया गया कष्ट हरगिज नहीं. पहले आप अपने बैंकों को तो शुद्ध करिए अन्यथा पासा पलटते देर नहीं लगेगी और आपको आनेवाले चुनावों में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. और आपको होनेवाला नुकसान देश के लिए कहीं ज्यादा नुकसानदेह होगा.

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