मित्रों,आपने
अगर अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप के शपथ-ग्रहण के बाद दिए गए पहले संबोधन को देखा-सुना
होगा तो एक बात पर जरूर गौर किया होगा कि उन्होंने देशवासियों से एक बार फिर से अमेरिका
को दुनिया का सिरमौर बनाने की दिशा में कार्य करने की अपील की.
मित्रों,सौभाग्यवश
आज भारत में भी एक ऐसा स्वप्नदर्शी प्रधान सेवक है जो नेशन फर्स्ट की बात करता है.परन्तु सिर्फ नेशन फर्स्ट की बात करने से काम नहीं चलनेवाला है.वह समय आ गया है जब
भारत भी नेशन फर्स्ट से इंडिया फर्स्ट की ओर प्रस्थान करे.सोंचनेवाली बात यह है कि
अगर अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति बन सकता है तो भारत क्यों नहीं बन सकता? भारत के पास ऐसा क्या
नहीं है जो अमेरिका के पास है? मानव संसाधन
से लेकर प्राकृतिक संसाधन तक प्रत्येक मामले में हमारा भारत प्राचीन काल से ही धनी
रहा है.अगर हमारे पास कोई कमी है तो वो है जोश,ईमानदारी,एकता और निःस्वार्थता की और इन सब कमियों को पूरा करने के लिए हमें अपने ज्यादा-से-ज्यादा देशवासियों
में नेशन फर्स्ट का जज्बा भरना होगा.दो-चार प्रतिशत लोग तो हर देश में यहाँ तक कि अमेरिका
में भी हमेशा-से देशविरोधी रहे हैं.
मित्रों,जब हम २०१४ के लोकसभा चुनाव् के परिणामों को
देखें तो हमें मानना ही पड़ता है कि आज भी देश की बहुसंख्यक जनसंख्या की प्राथमिकता
सूची में कहीं-न-कहीं देश मौजूद है भले ही पहले स्थान पर नहीं हो.अगर केंद्र सरकार
वास्तव में भारतीयों के लिए देश को सर्वोच्च स्थान पर लाना चाहती है
तो उसे लगतार ऐसे कदम उठाने पड़ेंगे जिससे ऐसा प्रतीत होता रहे कि वो वास्तव में
नेशन फर्स्ट की नीति पर पूरी गंभीरता के साथ अग्रसर है.जिस दिन सवा सौ करोड़ भारतीयों
में से सौ करोड़ लोगों के लिए राष्ट्र सर्वोपरि हो जाएगा भारत के दुनिया में सर्वप्रथम
होने का मार्ग स्वतः प्रशस्त हो जाएगा बस जरुरत पड़ेगी देश को सही दिशा देने की.तब किसी नरश्रेष्ठ नरेन्द्र को न तो राज्यों में होनेवाले विधानसभा चुनावों के लिए
चिंता करनी पड़ेगी और न ही लोकसभा चुनाव परिणामों की.
ब्रज किशोरे जी, दिल्ली में कहाँ रहना हो रहा है , मोबाइल ना. मेल पर दें या कॉल करें 8882780966
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