रविवार, 26 मई 2019

जीत की बधाई मगर .........


मित्रों, मैं सर्वप्रथम भारतवर्ष की समस्त जनता को लोकसभा चुनाव-परिणामों के लिए बधाई देता हूँ. साथ भारत के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी को भी बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ. जिन लोगों ने मोदी जी की हार के बारे में कल्पना कर रखी थी उन लोगों के लिए यह चुनाव-परिणाम अवश्य आश्चर्यजनक है परन्तु मेरे लिए तो अवश्यम्भावी है क्योंकि मुझे कभी इस बात को लेकर कोई संदेह रहा ही नहीं कि श्री नरेन्द्र मोदी दोबारा पहले से भी प्रचंड बहुमत से चुनाव जीतने जा रहे हैं.
मित्रों, ऐसा मेरा भी मानना रहा है कि जो जीता वही सिकंदर तथापि अपने भारतवर्ष में ऐसे-ऐसे नेता लगातार चुनाव जीतते रहे हैं जिससे यह साबित होता है कि कोई सिर्फ चुनाव जीत जाने से ही महान नहीं हो जाता बल्कि इसके लिए उसको महान कार्य भी करने होते हैं. उदाहरण के लिए बिहार को पिछले गियर में चला देनेवाले लालू प्रसाद यादव और उनकी अनपढ़ पत्नी ने मिलकर बिहार पर १५ साल तक एकछत्र राज किया. इसी तरह बंगाल को देश के सबसे अमीर राज्य से सबसे कंगाल राज्य में बदल देनेवाले ज्योति बसु ने भी पश्चिम बंगाल पर लगातार ३० सालों तक शासन किया. इसी तरह दुनिया के कई देशों में कई-कई दशकों तक तानाशाहों का शासन रहा है. कहने का मतलब यह है कि मोदी जी को अपनी जीत पर इतराना नहीं चाहिए बल्कि उन सारे कार्यों को पूरा करना होगा जो पहले कार्यकाल में अधूरे रह गए थे.
मित्रों, मैं एक बार भारत के परम प्रतापी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को याद दिलाना चाहूँगा कि उनको कौन-कौन से कामों को प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर रखना है. मैं जहाँ तक समझता हूँ कि प्रधानमंत्री जी को अपनी प्राथमिकता सूची में जनसँख्या-नियन्त्रण को सबसे ऊपर रखना चाहिए. मैं मानता हूँ कि यह अकेले समस्त समस्याओं की जननी है. प्रत्येक साल हमारी जनसँख्या २ करोड़ बढ़ जाती है. दुनिया की कोई भी सरकार हर साल दो करोड़ अतिरिक्त लोगों के लिए सुविधाएँ और रोजगार उपलब्ध नहीं करवा सकती भले ही वो कितनी भी अमीर क्यों न हो फिर भारत तो एक गरीब देश है. इसके साथ-साथ पिछली जनगणनाओं में हम देख रहे हैं कि हिन्दुओं की देश की जनसँख्या में भागीदारी लगातार घट रही है और मुसलमानों की लगातार बढ़ रही है. हम जानते और मानते हैं कि जब तक देश में हिन्दू ज्यादा हैं तभी तक देश और इसकी संस्कृति सुरक्षित है नहीं तो फिर तलवार के बल पर देश का इस्लामीकरण कर दिया जाएगा. दुनिया का इतिहास भी इस बात की तस्दीक करता है. इसलिए मोदी सरकार को कड़े कानून बनाकर जनसँख्या-वृद्धि पर लगाम लगानी चाहिए. और मैं समझता हूँ कि ऐसा अन्य कोई नेता या पार्टी नहीं कर सकती थी बल्कि ऐसा सिर्फ और सिर्फ मोदी जी ही कर सकते थे और कर सकते हैं क्योंकि मोदी है तो मुमकिन है.
मित्रों, इसके बाद मोदी जी को अनुच्छेद ३७० की समाप्ति पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए. न जाने पंडित नेहरु ने क्या खाकर या पीकर इस अनुच्छेद को संविधान का हिस्सा बनाया था. क्या विडंबना है कि रोहिंग्या या पाकिस्तानी तो जम्मू-कश्मीर में मजे में बस सकते हैं लेकिन एक गैर कश्मीरी भारतीय वहां नहीं बस सकता क्योंकि अनुच्छेद ३७० ऐसा करने नहीं देता. जबकि जम्मू-कश्मीर के जमीनी हालात इस बात की मांग करते हैं कि जम्मू-कश्मीर में गैर मुसलमानों को बसाकर वहां की जनसांख्यिकी को बदला जाए. जिस दिन वहां हिन्दू मतदाता ज्यादा हो जाएँगे आतंकवाद खुद-ब-खुद रूक जाएगा. वैसे इस बार के चुनाव प्रचार में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अनुच्छेद ३७० को समाप्त करने का वादा भी काफी जोर-शोर के साथ किया है और जनता ने भी उनको ऑफर किया था कि ३७० हटाओ ३७० सीटें पाओ.
मित्रों, इसके साथ ही मोदी जी को रोजगार उत्पन्न करने और व्यवसाय के लिए आसान ऋण देने पर भी ध्यान देना चाहिए. मैं नहीं जानता कि मुद्रा-ऋण के आंकडे कहाँ तक सही हैं लेकिन मैंने खुद अनुभव किया है कि हाजीपुर में यह योजना तेल के माथा तेल की नीति का अनुशरण करते हुए चलाई जा रही है. कहने का तात्पर्य यह है कि नए लोगों को बिलकुल भी ऋण नहीं दिया जा रहा बल्कि उन लोगों को मुद्रा-ऋण दिया जा रहा है जिनका पहले से ही रोजगार है. मोदी सरकार को इस स्थिति को बदलना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि उन लोगों को इसका लाभ मिले जिनके लिए वास्तव में यह योजना लाई गई थी.
मित्रों, मोदी सरकार को जलवायु-परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निबटने की विस्तृत योजना बनानी होगी. पिछले सालों में हमने देखा है कि भारत का पूर्वी हिस्सा जो अतिवृष्टि के लिए जाना जाता था जल संकट और सूखे जैसी स्थितियों का सामना कर रहा है जबकि राजस्थान जहाँ दशकों में कभी एकाध बार बरसात होती थी वहां प्रत्येक साल बाढ़ आ रही है. अभी कल-परसों मुझे बिहार के वैशाली जिले के जन्दाहा प्रखंड में जाने का सुअवसर मिला और मैंने पाया कि स्थिति बड़ी भयावह है. सारे हैण्डपम्प सूख चुके हैं और लोग एक-एक बूँद पानी के लिए तरस रहे हैं. सरकार चाहे तो चेक डैम और नए तालाबों का निर्माण करवाकर और पुराने कुओं और तालाबों का जीर्णोद्धार कर इस स्थिति को बदल सकती है. अगर अविलम्ब ऐसा नहीं किया गया तो देश में बहुत जल्द खाद्यान्न संकट उत्पन्न हो जाएगा क्योंकि जब पीने को ही पानी नहीं होगा तो खेती के लिए कहाँ से आएगा.
मित्रों, इसके अलावा समान नागरिक संहिता को लागू करना भी समय की मांग है. एक देश में दो समुदायों के लिए दो कानून बेहद मूर्खतापूर्ण तो है ही इससे भविष्य में देश के टुकड़े-टुकड़े होने का मार्ग भी प्रशस्त होता है. जब तक समाज के एक वर्ग को बहुविवाह की अनुमति होगी तब तक जनसँख्या-नियंत्रण के सारे उपाय विफल होंगे इसमें कोई शक नहीं. इसके साथ ही देश में लगातार हिन्दुओं की जनसँख्या-प्रतिशत में कमी होने के पीछे एक कारण समान नागरिक संहिता का नहीं होना भी है.
मित्रों, राम मंदिर हिन्दुओं के लिए सिर्फ एक स्वप्न नहीं है बल्कि स्वाभिमान का प्रतीक भी है. कोई और देश होता तो कब का राम मंदिर बन चुका होता लेकिन अपने देश की तो बात ही निराली है. यहाँ वर्षों तक हिन्दुओं को झूठी धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ा कर बेवकूफ बनाया गया और एक प्रधानमंत्री ने तो यहाँ तक कह दिया कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार देश के अल्पसंख्यकों का है. बाबरी मस्जिद हिन्दुओं की हार का प्रतीक थी और उसे आज नहीं तो कल टूटना ही था लेकिन आज उससे भी ज्यादा जरूरी है राम मंदिर का बनना. राम भारत और भारतवासियों के रोम-रोम में बसते हैं. राम अत्याचारी नहीं हैं बल्कि अत्याचार के खिलाफ लड़ते हैं, राम सबके सुख-समृद्धि और सबको न्याय के प्रतीक हैं फिर चाहे वो हिन्दू हो या मुसलमान या अन्य.
मित्रों, मैं समझता हूँ कि यह आलेख पर्याप्त रूप से लम्बाई को प्राप्त हो चुका है. अभी तो मोदी सरकार का दोबारा गठन भी नहीं हुआ है और हम भी कहीं जा तो रहे नहीं. इसलिए आगे भी हम मोदी जी को मुफ्त की सलाह देते रहेंगे. वैसे यह मुफ्त की सलाह पूरी तरह से मुफ्त है भी नहीं आखिर मेरा समय और श्रम तो लगता ही है जिसे मैं देशहित को ध्यान में रखते हुए व्यय करता हूँ अपने कई बेहद जरूरी कामों और अपने हितों की कीमत पर.

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