मंगलवार, 29 अक्टूबर 2019

नाटक, नौटंकी और राजनीति


मित्रों, कभी तथाकथित पंडित जवाहरलाल नेहरु ने कहा था कि हम बदलेंगे देश बदलेगा. बाद में देश के लोगों को लगा कि नेहरु जी की पार्टी को हटाकर सरकार बदलेंगे तब देश बदलेगा. लेकिन अब देश की जनता को लग रहा है कि यह देश कभी नहीं बदलेगा. और अगर बदलेगा भी तो अच्छे दिन तो कतई नहीं आनेवाले हैं अलबत्ता तन पर नहीं रह जाएगा लत्ता और इस तरह देशवासियों के बुरे दिन आने वाले हैं.
मित्रों, समझ में नहीं आता कि अपने देश की राजनीति को हो क्या गया है? सब कुछ सिर्फ सिम्बोलिज्म यानि प्रतीकवाद. गणित में हम पढ़ते हैं कि मान लिया कि ....आज की राजनीति भी कहती है कि ऐसा मान लीजिए. कैसे मान लें जिंदगी कोई बीजगणित या अलजेब्रा तो है नहीं जो मान लें.
मित्रों, आज की राजनीति कहती है कि मान लो कि हम बचपन में गरीब थे और स्टेशन पर चाय बेचा करते थे. आज की राजनीति कहती है कि मान लो कि हमारे पास मास्टर डिग्री है. आज की राजनीति यह भी कहती है कि मान लो कि हम देश के लिए खाते हैं, देश के लिए पीते हैं, देश के लिए १० लाख का कपडा पहनते हैं, देश के लिए शादी की फिर देश के लिए पत्नी को छोड़ा, घर को छोड़ा. आज की राजनीति कहती है कि मान भी लो कि हमने देश के लिए चुनाव प्रचार के लिए हजारों मोटरसाइकिल खरीदीं और देशहित में उनको अपनी पार्टी के कार्यालयों में सडा रहे हैं. आज की राजनीति कहती है कि मान लो कि जो विपक्षी नेता हमारे पक्ष में आ गए वे अब पाक-साफ़ हैं. आज की राजनीति कहती है कि मान लो नोटबंदी और जीएसटी लागू करना देश के लिए काफी लाभदायक रहे. वो यह भी मान लेने के लिए अतिविनम्र निवेदन करती है कि इस समय देश में कोई मंदी नहीं है और देश अगले ५ सालों में ५० ख़राब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगी. वो यह भी कहती है कि कोई चैनल नहीं देखो और सिर्फ नमो एप देखो क्योंकि हम जो दिखाते हैं सिर्फ वही सच है बांकी सब माया है. आज की राजनीति कहती है कि यह मत देखो कि तुम बेरोजगार हो बल्कि यह देखो कि चुनावों से ४ दिन पहले हमने कितने पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया. आज की राजनीति कहती है कि तुम हर महीने के अंतिम रविवार को मेरे मन की बात सुनो क्योंकि तुम सिर्फ चुपचाप सुनने के लिए पैदा हुए हो. आज की राजनीति कहती है कि तेरी जेब खाली होने को लेकर दुखी मत होओ क्योंकि हमने तुमसे दुखी होने का अधिकार छीन लिया है. बल्कि तुम्हे हर हाल में यह देखकर खुश होना होगा कि हमने आंकड़ों में महंगाई को समाप्त कर दिया है. तुम्हे यह देखकर भी खुश होना होगा कि मेरा स्वागत अमेरिका में रेड कार्पेट पर होता है. आज की राजनीति कहती है कि तुम्हें अपने लाडले सैनिक पुत्र के शव पर विलाप नहीं करना है बल्कि यह देखकर खुश होना है कि देश के प्रधानमंत्री तुम्हारे सैनिक पुत्र के साथ दिवाली मनाते हैं. आज की राजनीति कहती है कि मान लो कि देश का सबको साथ में लेकर सबका विकास हो रहा है और सबका विश्वास भी हासिल कर लिया गया है. आज की राजनीति कहती है कि मान लो कि निजीकरण देशहित में है और समस्त समस्याओं का एकमात्र ईलाज निजीकरण है.
मित्रों, कुल मिलाकर इस समय पूरे देश की राजनीति सिर्फ प्रतीकवाद के सहारे चल रही है. मंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री और अधिकारी सब बस एक प्रतीक बनकर रह गए हैं उनका वास्तविक अस्तित्व है ही नहीं. ऐसा लगता है कि जैसे विशालकाय भारत के रंगमंच पर कोई महानाटक मंचित हो रहा है. ऐसा महानाटक जिसका कोई अंत ही नहीं है. अभिनय देखिए और ताली बजाते रहिए. आँखों में आंसू हो तब भी हंसकर ताली पीटनी पड़ेगी क्योंकि आपके सामने इस बात को मानने के अलावा और कोई विकल्प ही नहीं है कि हमारा देश दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बन चुका है और हमारे प्रधानमंत्री दुनिया के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति. ख़बरदार जो रोये या ताली पीटना बंद किया क्योंकि ऐसा करना अब अपने देश में देशद्रोह है.

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