मंगलवार, 24 दिसंबर 2019

मोदी जी कृपया जमीन पर आ जाईए


मित्रों, भारत के प्रखर और यशस्वी संन्यासी स्वामी विवेकानंद कहा करते थे पहले भूखे के पेट में खाना डालो फिर उसे धर्म समझाओ क्योंकि भूख और प्यास से बढ़कर कोई अन्य धर्म नहीं है. दुर्भाग्यवश इतनी-सी बात हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को समझ नहीं आ रही है. वे इस बात को समझकर भी समझने को तैयार नहीं हैं कि देश के लोगों को रोजगार चाहिए, निजीकरण नहीं. वे बस एक ही बात की रट लगाए बैठे हैं कि व्यवसाय करना सरकार का काम नहीं है इसलिए रेलवे, एयर इंडिया, डाक विभाग, बीएसएनएल सबको बेच दो और जो पहले से इनमें नौकरी में हैं उनको घर बिठा दो. इसी तरह से झारखण्ड में घमंड के चने के झाड़ पर बैठे मुख्यमंत्री रघुबर दास कहा करते थे कि वे रोजगार देने के लिए मुख्यमंत्री नहीं बने हैं. बेचारे कल रात से खुद बेरोजगार हो गए.
मित्रों, वर्ष २०१५ की बात है. हम मुकदमा जीत चुके थे. हमें जमीन पर दखल कब्ज़ा करवाना था. हम एसपी दफ्तर के चक्कर काट रहे थे लेकिन तत्कालीन एसपी फ़ोर्स भेजने सम्बन्धी कागजात पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे थे. हमने जब उनको तकादा किया तो नाराज हो गए और कहा कि वे हस्ताक्षर नहीं करेंगे तो हम उनका क्या बिगाड़ लेंगे. हमें भी ताव आ गया और हमने भी उनको कह दिया कि एसपी हैं तो आसमान में नहीं उड़िए हम तुरंत आपको जमीन पर ला देंगे. दरअसल कोर्ट ने हमें दखलदहानी की जो तारीख दे रखी थी उसमें अब मात्र दो दिन बचे थे. अगर हम उस दिन यह काम नहीं करवा पाते तो पता नहीं कोर्ट फिर से कब तारीख देती. शायद कई साल बाद. थक-हारकर हमने डीजीपी साहब को फोन लगाया और उनसे सारी व्यथा कह सुनाई. तभी उन्होंने एसपी को फोन किया और दो घंटे बाद एसपी साहब का फोन आया कि कागज ले जाईए आर्डर कर दिया है.
मित्रों, ठीक इसी तरह रघुबर दास भी आसमान में उड़ने लगे थे. वे यह भी भूल गए थे कि तीनों भुवन के स्वामी होकर असली रघुबर भगवान राम ने कभी अभिमान नहीं किया तो वे क्यों कर रहे हैं? परिणाम आपलोगों के सामने है. जिस जनता ने उनको आसमान पर बिठाया उसी जनता ने उनको जमीन पर ला पटका. इसी तरह मोदी जी और अमित शाह जी को समझ जाना चाहिए कि लोकतंत्र में सबकुछ जनता के हाथों में होता है. वो आप पर रीझ सकती है तो खीझ भी सकती है. उनको यह भी समझ लेना चाहिए कि सिर्फ भावनात्मक मुद्दों पर लगातार चुनाव नहीं जीते जा सकते जमीन पर लोगों को काम नजर भी आना चाहिए. आप लोगों से पिछले साढे ५ सालों में एक विशेषज्ञ वित्त मंत्री तक नहीं ढूँढा गया आप क्या खाक अच्छे दिन लाएंगे? आखिर कब तक आप कामचलाऊ वित्त मंत्री से काम चलाएंगे? अगर यही आपकी जिद है तो करिए. आज झारखण्ड में अपनी जिद के कारण हारे हैं कि हम तो रघुबर को भी सेनापति रखेंगे कल पूरे भारत से जाएंगे. हम पिछले कई सालों से कहते आ रहे हैं कि वित्त मंत्रालय भारत का उदर है अगर यह ख़राब हो गया तो पूरे देश की दशा ख़राब हो जाएगी लेकिन आपलोग तो सुनते नहीं. उड़िए और खूब उड़िए आसमान में लेकिन यह न भूलिए कि हर पांच साल बाद लौट कर फिर से जमीन पर ही आना है इसलिए कुछ काम भी कर लीजिए. मोदी जी आपके मंत्री नितिन गडकरी जी जो अनुभव में आपसे कहीं आगे हैं कह रहे हैं कि देश में लिक्विडिटी की कमी है. कम-से-कम उनकी तो सुन लीजिए. एक अकेले अम्बानी या अडानी पूरे परिवारसहित भी आपको एकतरफा वोट कर देते हैं तो क्या आप जीत जाएंगे? याद रखिए राम मंदिर, हिंदुत्व आदि मुद्दे जनता को तभी भावेंगे जब उनके पेट में अनाज और जेब में पैसा होगा. अन्यथा भूखी होने पर जनता आपके सारे विधेयकों और कानूनों को खा जाएगी. और हाँ, भूख का कोई धर्म नहीं होता. हमारी नहीं तो कम-से-कम उस नरेन्द्र की तो सुन लीजिए जिसे दुनिया विवेकानंद के नाम से जानती है.

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