मंगलवार, 21 जनवरी 2020

भारतीय राजनीति का काला नाग अरविन्द केजरीवाल


मित्रों, दुर्भाग्यवश आजादी के बाद से ही भारत में फर्जी हिन्दू नेताओं की कोई कमी नहीं रही है. पंडित जवाहरलाल नेहरु से शुरू हुई यह परंपरा समय के साथ पल्लवित और पुष्पित होती रही है. कांग्रेस में ऐसे नेताओं की लम्बी सूची है जो वास्तव में ईसाई धर्म में दीक्षित हो चुके हैं लेकिन अपना नाम हिन्दुओं वाला ही रखा है. इन नेताओं के पास बस दो ही काम हैं-एक कैसे हिन्दू धर्म के मूलोच्छेदन का मार्ग प्रशस्त किया जाए और दूसरा कैसे मुसलमानों को खुश करते हुए भारत में इसाई धर्म की पताका लहराई जाए.
मित्रों, ऐसे ही रंगे सियारों में से एक हैं दिल्ली के निवर्तमान मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल जिन्होंने भारत की राजधानी दिल्ली को पाकिस्तान बनाकर रख दिया है. मस्जिदों के मौलवियों को वेतन और मंदिरों के पुजारियों को चवन्नी तक नहीं ऐसा शायद पाकिस्तान में भी न होता होगा. क्या केजरीवाल दिल्ली को शरिया कानून के माध्यम से चलाना चाहता है? कहना न होगा कि इस नराधम ने भी अपना नाम हिन्दुओं वाला ही रख रखा है लेकिन इसका पूरा जीवन हिन्दूविरोधियों के सानिध्य में गुजरा है. इसने एक लम्बे समय तक इसाई संस्था मिशनरिज ऑफ़ चैरिटी में काम किया है. मुझे पक्का विश्वास है कि ये उसी समय इसाई बन गया था. भौतिक रूप से नहीं तो मानसिक रूप से तो जरूर.
मित्रों, फिर इसने भी एक एनजीओ बनाया और उसके जरिए अपने हिन्दूविरोधी और भारतविरोधी एजेंडे को आगे बढाया. इसने अपने इर्द-गिर्द तमाम साम्यवादी-माओवादी और इसाई एनजीओ को जमा किया और तत्पश्चात सुदूर महाराष्ट्र के एक बूढ़े गांधीवादी अन्ना हजारे को आगे करके भ्रष्टाचार के खिलाफ एक लिफाफा आन्दोलन छेड़ दिया. उस दौरान इसने अपने बच्चों के सर पर हाथ रखकर कसम खाई कि ये कभी भी राजनीति में नहीं आएगा लेकिन ये राजनीति में भी आया और दिल्ली की जनता को बरगलाकर वहां का मुख्यमंत्री भी बन गया. इस बीमार मानसिकतावाले व्यक्ति का पिछले ५ वर्षों में दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में बस एक ही एजेंडा रहा कि फ्री बिजली-पानी देकर हिन्दुओं को लोल्ली-पॉप पकड़ा दो और दिल्ली को मिनी पाकिस्तान बना दो. जब-जब भी कोई निर्दोष हिन्दू मुसलमानों की बर्बरता का शिकार हुआ तो यह उनसे मिलने तक नहीं गया और जब एक मुसलमान ने हिन्दू लड़की के साथ बलात्कार किया और लोहे की छड उसके गुप्तांग में डालकर उसकी अंतड़ियाँ बाहर निकाल डालीं तब इसने उसे सिलाई मशीन और पैसे देकर पुरस्कृत किया मानों उसने बहुत ही प्रशंसनीय कृत्य किया हो. जब भी कोई मुसलमान हिन्दुओं द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई में मारा गया इसने वहां पहुँचने में क्षण-मात्र की भी देर नहीं लगाई और उनके परिजनों को नौकरी और धन देने की तत्काल घोषणा कर डाली. यहाँ तक कि इसने कुर्सी के लिए दिल्ली के मुसलमानों के हाथों में पत्थर थमा दिया और पूरी दिल्ली को दंगों की आग में झोंक डाला. उस पर अति यह कि इसने पुलिस फायरिंग में या आपसी फायरिंग में मारे गए मुसलमानों के परिजनों को भी नौकरी और पैसे दे डाले जैसे दिल्ली भारत में नहीं पाकिस्तान में हो.
मित्रों, सवाल उठता है कि क्या दिल्ली की हिन्दू जनता ऐसे काले नाग को फिर से दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाएगी जो दिल्ली को कश्मीर बना देना चाहता है? आखिर फ्री बिजली-पानी के अलावा केजरीवाल ने दिल्ली में किया ही क्या है और कौन-से वादे को पूरा किया है? दूसरी तरफ इसकी सरकार में किए गए घोटालों की लिस्ट काफी लम्बी है. अब तो इसने मंत्रालयों में आग लगाकर घोटालों के सबूतों को जलाना भी शुरू कर दिया है. इसलिए समय आ गया है जब भारतीय राजनीति के इस काले नाग के फन को समय रहते कुचल दिया जाए अन्यथा ऐसा न हो कि दिल्ली में हिन्दुओं का जीना और हिन्दू लड़कियों का घर से बाहर निकलना दूभर हो जाए. यकीन न हो तो शाहीन बाग़ की स्थिति को देख लीजिए.
 

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