गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

और अब कोरोना जिहाद

मित्रों, हम बचपन से सुना करते थे कि अपने दुर्गुणों से लड़ना इस्लाम में जिहाद कहलाता है. फिर हमने कश्मीर में हिन्दुओं का नरसंहार देखा-सुना तब जाना कि गैर मुस्लिमों को जड़-मूल से समाप्त कर इस्लाम का राज स्थापित करना भी जिहाद होता है. कुछ साल पहले जब आईएसआईएस, तालिबान और अल कायदा का विश्व पटल पर आगमन हुआ तब हमने यह भी जाना कि मुसलमानों के अल्लाह अलग हैं और उन्होंने सिर्फ मुसलमानों के लिए एक स्वर्ग का जिसे वे जन्नत कहते हैं निर्माण कर रखा है जहाँ केवल जिहाद में मरनेवाले केवल पुरुष मुसलमानों को रखा जाता है. फिर हमने बीबीसी हिंदी पर पाकिस्तान के मशहूर पत्रकार वजातुल्लाह खान की डायरी सुनी जिसमें उन्होंने कहा था कि इस समय कई सारे कुरान हो गए हैं-अल्लाह का कुरान अलग है, मुल्ला का कुरान अलग है और बगदादी का कुरान अलग. तभी चीन से समाचार आया कि चीन की सरकार ने इस्लाम को मानसिक बीमारी मानते हुए इस पर रोक लगा दी है. वो किसी मुसलमान को न तो घर में कुरान रखने देती है, न ही रोजे रखने देती हैं और न ही नमाज अदा करने. यहाँ तक उसने कुरान पढने के जुर्म में कई मुसलमानों की आँखें तक सिल दी है.
मित्रों, जब दुनिया के रंगमंच पर ये सारी घटनाएँ घटित हो रही थीं तब हमारे देश में शाहे बेखबर मनमोहन सिंह लालकिले के प्राचीर से घोषणा कर रहे थे कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है. फिर उन्होंने सोनिया गाँधी के निर्देश पर सांप्रदायिक दंगा विरोधी विधेयक लाने का भी प्रयास किया जिसके प्रावधानों के अनुसार कहीं भी हिन्दू-मुस्लिम दंगा होने की स्थिति में सिर्फ हिन्दुओं को उसके लिए दोषी मानते हुए सजा मिलनी थी. उनकी सरकार में हिन्दू आतंकवाद नामक नायाब शब्द गढ़ा गया और मुंबई हमलों को भी हिन्दू आतंकवाद साबित करने का घिनौना प्रयास किया गया. लेकिन शहीद तुकाराम ने अपनी शहादत देकर पाकिस्तानी अजमल कसाब को पकड़ लिया और यह साजिश विफल हो गयी.
मित्रों, फिर सरकार बदली और देखते-ही-देखते कई कथित धर्मनिरपेक्ष सांप अपने केंचुल से बाहर आने लगे. फिर पता चला कि न सिर्फ सिमी बल्कि केरल का पीएफआई भी भारत के मुसलमानों को एकजुट कर भारत को इस्लामिक मुल्क बनाना चाहता है. फिर केजरीवाल सरकार की सहायता से दिल्ली में हिन्दुओं के संहार का प्रयास किया गया वो भी तब जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत की यात्रा पर थे. ठीक उसी समय चीन में कोरोना वायरस से हजारों लोग मर रहे थे और यह लाईलाज बीमारी बड़ी तेजी से यूरोप और अमेरिका को अपने गिरफ्त से लेने जा रही थी. तभी भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना के मद्देनजर होली नहीं मनाने का फैसला किया. इस बीच पूरी दुनिया से यहाँ तक कि चीन से भी सारे भारतीयों को भारत लाने का काम चल रहा था और चल रहा था कोरोना का मीटर भी.  भारत सरकार ने तत्काल प्रभावी कदम उठाते हुए पहले धारा १४४ लगवाई और फिर एक दिन के जनता कर्फ्यू की घोषणा की. फिर उसके बाद पूरे भारत में २१ दिन का लॉक डाउन घोषित कर दिया गया.  देश के सारे मंदिर, चर्च और गुरूद्वारे बंद कर दिए गए लेकिन अब भी बहुत सारे मुसलमान बेपरवाह होकर मस्जिदों में सामूहिक नमाज पढ़ते रहे. कई स्थानों पर पुलिस ने उनको पीटा भी. कई स्थानों पर जब पुलिस उनको रोकने गई तो उन्होंने पुलिस पर ही पथराव कर दिया और गोलीबारी भी की. फिर पता चला कि दिल्ली के निजामुद्दीन में भारत सरकार के आदेशों को धत्ता बताते हुए २००० से ज्यादा देसी-विदेशी तबलीगी मुसलमान जमा हैं. दिल्ली पुलिस ने चेतावनी भी दी लेकिन तबलीगी जैसी कट्टरपंथी संस्था के मुसलमान सरकार की क्यों सुनते? फिर जब उनमें से कई हैदराबाद में मर गए तब रात के दो बजे किसी तरह से मस्जिद को खाली कराने का काम शुरू हुआ. इसके लिए भारत सरकार ने कमांडो ऑपरेशन तक की तैयारी कर रखी थी. ये लोग भारत और हिन्दुओं से इतना नफरत करते हैं कि इन्होंने बस की खिड़की से दिल्ली पुलिस के जवानों और डॉक्टरों पर उनको कोरोनाग्रस्त करने के ख्याल से थूकना शुरू कर दिया. अभी भी इनको जहाँ रखा गया है वहां ये बीमारी फ़ैलाने के ख्याल से बस थूके जा रहे हैं. अब यह भी पता चला है कि तबलीग का प्रधान मुसलमानों को मस्जिद में आकर कोरोना से मरने की सलाह दे रहा था और कह रहा था कि मरने के लिए मस्जिद सर्वोत्तम स्थान है. इन मानवरूपी हिंसक पशुओं के कोरोनाग्रस्त होने के चलते देश में कोरोना मरीजों की संख्या में अचानक ५०० से ज्यादा की वृद्धि हो गयी और कोरोना के देश में तीसरे चरण में पहुंचने का खतरा उत्पन्न हो गया. इनमें से बहुत सारे देश में जहाँ-तहां मस्जिदों में छिप गए हैं जिससे पता चलता है कि मस्जिदों का किस हद तक दुरुपयोग होता रहा है.
मित्रों, इस तरह इन दिनों एक और प्रकार के जिहाद का जन्म हुआ है और वो है कोरोना जिहाद. ये लोग किस हद तक जानवर बन चुके हैं कि जो प्रशासन और चिकित्सक इनकी जान बचाना चाहते हैं ये उनको ही मारना चाहते हैं. आप समझ सकते हैं कि इनके दिमाग में भारत और गैर मुसलमानों के प्रति कितना जहर भरा हुआ है. इनकी तुलना सिर्फ पागल कुत्तों से की जा सकती है. हद तो यह है कि सरकारी निर्देशों की अवज्ञा करके ये अपने घर-परिवार और मित्रों को भी खतरे में डाल रहे हैं.
मित्रों, कुल मिलाकर ये हर स्थिति में जिहाद का स्कोप ढूंढ लेते हैं. लव जिहाद, लैंड जिहाद और अब कोरोना जिहाद. ऐसा भी नहीं है कि भारत के सारे मुसलमान महामूर्ख और जेहादी हैं लेकिन वे कट्टरपंथ का विरोध भी नहीं करते यह भी सच है. इसी तबलीग के मामले को लें तो कई बुद्धिजीवी यह झूठ बोलकर तबलीगियों का बचाव करने लगे कि वैष्णो देवी में भी तो ४०० श्रद्धालु फंसे हुए हैं. जबकि सच्चाई तो यह है कि वैष्णो माता ट्रस्ट ने यात्रा को १८ मार्च को ही अर्थात लॉक डाउन से काफी पहले रोक दिया था इसलिए वहां कोई श्रद्धालु है ही नहीं. इन चिंताजनक स्थितियों में सवाल उठता है कि उपाय क्या है? इस तरह के तत्वों को, पागल कुत्तों को खुला भी तो नहीं छोड़ सकते. लेकिन मैं फिर भी यह नहीं कहता कि चीन की तरह सारे मस्जिद ढहा दिए जाएँ लेकिन उन पर नियन्त्रण निश्चित रूप से काफी जरूरी है चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़े. मदरसों को बंद कर दिया जाए और उसमें पढनेवाले बच्चों को आधुनिक शिक्षा दी जाए, समान नागरिक संहिता बने, जनसँख्या नियन्त्रण  कानून बने, जो भी मस्जिद भारतविरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाए जाएँ उनको अस्पताल में बदल दिया जाए, न्यायपालिका के पंख कतरे जाएँ जिससे वो ऐसा करने में टांग न अडा सके. भारत में सिर्फ भारत की संस्कृति रहे जो तू वसुधैव कुटुम्बकम् में विश्वास रखती है न कि ऐसी बर्बर संस्कृति जो आदमी को पागल कुत्ता बनाती हो. अंत में आप सभी को रामनवमी की बधाई और यह बताते हुए कि इस साल हाजीपुर में रामनवमी के सुअवसर पर लगने वाला रामचौड़ा मेला हिन्दुओं ने खुद ही रद्द कर दिया है घर पर ही रामनवमी मना रहे हैं.यहाँ हम आपको बता दें कि राम,लक्षमण और ब्रह्मर्षि विश्वामित्र ने जनकपुर जाते हुए इसी हाजीपुर के रामचौड़ा घाट पर गंगा पार की थी.

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