सोमवार, 30 नवंबर 2020
फिर से आग से खेल रही है कांग्रेस
मित्रों, हमने इतिहास की किताबों में पढ़ा था कि १८५७ का स्वतंत्रता-संग्राम सैनिकों ने नहीं लड़ा था बल्कि वे सैनिक वर्दी पहने हुए किसान थे. १७९३ में जमींदारी और १७९४ में सूर्यास्त कानून के आने के बाद बंगाल, बिहार, उड़ीसा और पूर्वी उत्तर प्रदेश में लगान की दरें दोगुनी कर दी गयी थी जिससे किसान त्राहि-त्राहि कर उठे थे. सैनिक जब भी अपने घर जाते तो वहां की हालत देखकर उनके मन में क्रोध भर जाता जिसकी परिणति सैनिक-विद्रोह के रूप में हुई.
मित्रों, आज भी देश के लिए जान न्योछावर करनेवाले लगभग सारे-के-सारे वीर किसानों के बेटे होते हैं. ऐसे में ऐसा कैसे संभव है कि किसान भारत माता की जय बोलने से मना कर दें और उसके बदले पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने लगें. जाहिर है कि इस समय दिल्ली में चल रहा किसान आन्दोलन के पीछे कोई साजिश है जिसके रचयिता देश को जलाना चाहते हैं. जिस तरह से इस आन्दोलन में कांग्रेस सहित पूरा-का-पूरा टुकड़े-टुकड़े गैंग सक्रिय है कथित आन्दोलन के प्रति वह भारत के जन-गण-मन की आशंकाओं को और भी गहरा करता है.
मित्रों, हमें भूलना नहीं चाहिए कि १९७० के दशक में इसी कांग्रेस पार्टी ने अकाली दल पर कब्ज़ा ज़माने के लिए जरनैल सिंह भिंडरावाले को प्रोत्साहित किया था. अलगाववादी प्रवृत्ति का भिंडरावाले अवसर का लाभ उठाते हुए पाकिस्तान की गोद में जा बैठा था और भारतीय पंजाब को अलग देश बनाने के सपने देखने लगा. फिर पंजाब दो दशकों तक जलता रहा और उसकी आग में होलिका राक्षसी की तरह श्रीमती इंदिरा गाँधी भी जल गई. साथ ही हजारों की संख्या में निरपराध मारे गए जिनमें हिन्दू सबसे ज्यादा थे.
मित्रों, एक बार फिर से कांग्रेस बेवजह आन्दोलन खड़ा करके पंजाब में अलगाववाद की आग भड़का रही है. बेवजह इसलिए क्योंकि पंजाब सरकार अक्टूबर में ही नए कानून बनाकर भारत सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानून को निष्प्रभावी बना चुकी है. फिर समझ में नहीं आता कि पंजाब की किसान क्यों आंदोलन कर रहे हैं. जाहिर है कि दाल में कुछ काला है और कांग्रेस टुकड़े-टुकड़े गैंग का हिस्सा बनकर चीन-पाकिस्तान से मोटी रकम वसूलने के चक्कर में है.
मित्रों, तथापि कांग्रेस पार्टी इस बात को समझ नहीं पा रही है अथवा जानबूझकर ऐसे खेल खेल रही है जिससे पंजाब दोबारा जलने लगे और साथ में जल उठे पूरा भारतवर्ष. हाथरस कांड में कांग्रेस ने जिस तरह हिन्दुओं में फूट डालने के पाकिस्तानी और चीनी एजेंडे को पूरा करने की कोशिश की वह किसी से छिपी हुई नहीं है. जिस तरह से दिल्ली की मस्जिदों से आन्दोलनकारियों के भोजन और आवासन की व्यवस्था की जा रही है उससे यह खेल और भी खतरनाक हो जाता है. शायद कांग्रेस भूल गई है कि जिस इंदिरा गाँधी की हत्या को उसने महान शहादत का नाम देकर १९८४ का चुनाव जीता था वह खुद इंदिरा की लगाई आग का परिणाम था. कहने का तात्पर्य यह कि अगर पंजाब फिर से जलता है तो उसकी लपटें फिर से कांग्रेस को भी झुलसाएंगी.
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