रविवार, 23 मई 2021

बिहार में आज भी अंग्रेजों के ज़माने की पुलिस

मित्रों, मुझे पूरा यकीन है कि आपने भी शोले फिल्म जरूर देखी होगी. उसमें असरानी बार-बार कहते हैं कि हम अंग्रेजों के ज़माने के जेलर हैं. खैर वो तो फिल्म थी, कल्पना थी लेकिन दुर्भाग्यवश आज भी आजादी के ७४ साल बाद भी कम-से-कम बिहार में तो अंग्रेजों का ही शासन है, अंग्रेजी पुलिस काम कर रही है. आज भी बिहार पुलिस का रवैया, जनता के प्रति व्यवहार वही है जैसा अंग्रेजों के ज़माने में पुलिस का होता था. मित्रों, हमारे बाप-दादा दादा बतलाते थे कि अंग्रेजों के ज़माने में जब किसी गाँव में किसी की हत्या हो जाती थी तो पूरा गाँव घर छोड़कर भाग जाता था क्योंकि पुलिस पूरे गाँव को एक साथ प्रताड़ित करने लगती थी. किसी के भी घर पर रात-बेरात छापा मार देती थी, किसी को भी उठा लेती थी और फिर मनमानी रकम लेकर छोडती थी. अक्सर लोग हवालात से जीवित नहीं लौटते थे और अगर जीवित बच भी गए तो आजीवन घर का मुंह नहीं देख पाते थे क्योंकि उनके ऊपर दस-बीस झूठे मुक़दमे लाद दिए जाते थे. चूंकि शासन अंग्रेजों के अधीन था जिनका एकमात्र उद्देश्य भारत की जनता को दोनों हाथों लूटना था इसलिए लोग कहीं शिकायत भी नहीं कर सकते थे. मित्रों, अगर मैं कहूं कि बिहार के वैशाली जिले में अभी भी अंग्रेजों के ज़माने की पुलिस काम कर रही है तो कदाचित आपको यकीन न भी हो. लेकिन सच यही है. दरअसल वैशाली जिले के जिलाधिकारी के स्टोनो हैं जयराम सिंह जो पटना जिले के रूपस दियारे के निवासी हैं. जयराम सिंह की ससुराल वैशाली जिले के देसरी थाने के चांदपुरा ओपी के खोरमपुर में है. जयराम सिंह पिछले दो दशकों से कुछेक महीने को छोड़कर वैशाली जिले के डीएम के स्टोनो के पद पर लगातार जमे हुए हैं. दुर्भाग्यवश उनके ससुर नागेश्वर सिंह और उनके साले संतोष सिंह का स्वभाव काफी झगडालू है. जयराम की शादी के बाद से ही उनकी ससुराल के लोग अपने पड़ोसियों पर धौंस ज़माने और तंग करने के लिए अक्सर थोक में मुकदमा करते रहते हैं जिनमें जयराम सिंह पैरवी करता है. पिछले दिनों नागेश्वर सिंह के घर में कथित रूप से चोरी हो गई. जिसके बाद नागेश्वर सिंह के पुत्र संतोष सिंह ने अज्ञात के खिलाफ चोरी की एफआईआर चांदपुरा ओपी में दर्ज करवाई और उसी दिन से नागेश्वर सिंह के पड़ोसियों का खाना-सोना मुहाल हो गया है. पुलिस कभी भी बिना सर्च वारंट के किसी के भी घर में १२ बजे रात में घुस जाती है और कभी भी किसी को भी उठा ले जाती है. कल रात भिखनपुरा, कुबतपुर के दीपनारायण सिंह के घर अर्द्धरात्रि में बेवजह छापा मारा गया. कल २२ मई, २०२१ को ही रात के बारह बजे खोरमपुर के नन्दकिशोर सिंह के घर से उनके नाबालिग नाती सकेत कुमार, पुत्र-स्व. वेदप्रकाश सिंह को चांदपुरा ओपी प्रभारी शशिप्रभा मणि बिना किसी सबूत के उठा ले गई. इतना ही नहीं आज २३ मई को जब उसकी विधवा माँ उससे मिलने ओपी पहुंची तो पहले तो मिलने नहीं दिया गया और फिर बाद में घंटों तक थाने में बिठा कर रखा गया. इस बारे में जब ओपी प्रभारी शशिप्रभा मणि से मीडिया ने बात की तो वो बदतमीजी पर उतर आईं और उल्टे मीडिया को ही भ्रष्ट बताने लगी. विदित हो कि जबसे शशि प्रभा मणि प्रभारी बनकर आई हैं तभी से इन्होंने अपने स्टाफ ललन सिंह के साथ मिलकर शराब के अवैध कारोबारियों को शह दी हुई है. साथ ही उसने लोगों को बेवजह घर से उठा लेने को पैसा बनाने का जरिया बना लिया है. इससे पहले भी वो अपने थाना क्षेत्र से कई लोगों को बेवजह उठा चुकी है और एक-दो दिन तक हवालात में रखने के बाद मनमाफिक रिश्वत लेकर छोड़ चुकी है. मित्रों, जब थाना-प्रभारी की शिकायत पुलिस अधीक्षक, वैशाली से की गई तो उन्होंने मामले से पूरी तरह से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि पीड़ित के परिवार को हमारे कार्यालय में आकर लिखित में आवेदन करना होगा. ऐसे में जब राज्य में लॉकडाउन लगा हुआ है और कोरोना कोहराम मचा रहा है तब मोबाइल और इन्टरनेट के युग में एसपी,वैशाली लाचार विधवा माँ को ३० किलो मीटर दूर हाजीपुर बुला रहे हैं. मित्रों, मुझे काफी दुःख और क्षोभ के साथ कहना पड रहा है कि बिहार के डीजीपी मुख्यमंत्री का भी फोन नहीं उठाते फिर मीडिया का क्यों उठाते? ऐसे में सवाल उठता है कि गरीब-कमजोर पुलिस-पीड़ित करें तो क्या करें? त्वरित न्याय के लिए किसके दरवाजे पर अपना सर फोड़ें? महाराष्ट्र में तो एक सचिन वाजे और अनिल देशमुख था बिहार में तो हजारों सचिन वाजे और अनिल देशमुख हैं. फिर बिहारवासियों को काले अंग्रेजों से बचाएगा कौन? पप्पू यादव तक तो पुलिस के कहर से बच नहीं पाए, आम आदमी की क्या औकात? हमने तो मोदी के कहने पर एक बार फिर से कथित डबल ईंजन की सरकार बनवा दी लेकिन सुशासन-४ जबसे शुरू हुआ है बिहार की जनता पर भ्रष्टाचार और कुशासन की मार डबल हो गई है. बिहार का जैसे गुडलक ही ख़राब हो गया है. ऐसे में हम तो बिहार पर्यटन का निःशुल्क प्रचार करते हुए दुनियाभर के लोगों को यह कहकर बिहार में आमंत्रित करना चाहेंगे कि अगर आप अंग्रेजी शासन को आज भी प्रत्यक्ष देखना चाहते हैं तो एक बार जरूर बिहार पधारें और अगर आप अंग्रेजों के ज़माने की पुलिस पर शोध कर रहे हैं या डॉक्यूमेंट्री बनाना चाहते हैं तो आपको बिहार के वैशाली जिले के देसरी थाने के चांदपुरा ओपी के खोरमपुर और भिखनपुरा, कुबतपुर के ग्रामीणों व चांदपुरा ओपी प्रभारी से जरूर मिलना चाहिए.

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