शुक्रवार, 10 जून 2022
इस्लाम की अंतर्राष्ट्रीय फजीहत
मित्रों, हमारे गाँव एक व्यक्ति को बड़ा तगड़ा बवासीर था। डॉक्टर के पास दिखाने लेकर गया तो डॉक्टर ने बता दिया की तुम्हें बवासीर ही है। अब वो डॉक्टर को सब जगह घूम घूमकर गाली दे रहा है और कह रहा है की हाँ, ये बात सच है की मुझे बवासीर है, पर डॉक्टर की हिम्मत कैसे हुई मुझे यह बात बताने की?? अब जो बात डॉक्टर और उस व्यक्ति के बीच थी, सारे समाज के सामने है।
मित्रों, कुछ इस तरह की हालत इन दिनों दुनिया के सामने इस्लाम की है. भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा ने कथित पैगम्बर हजरत मोहम्मद के बारे में एक कटु सत्य क्या बोल दिया पूरी दुनिया के मुसलमान उछलने लगे कि वो इस तथ्य को कैसे बोल सकती है? कोई यह नहीं कह रहा कि नुपूर शर्मा ने जो कहा वो झूठ है सब यही कह रहे हैं कि उसने ऐसा कैसे कहा? उसकी हिम्मत कैसे हुई? कोई कह भी नहीं सकता क्योंकि यही सच है. मित्रों, जबसे इस्लाम की उत्पत्ति हुई है इस्लाम को मानने वाले मोहम्मद के कुकृत्यों के बारे में कुछ भी सुनना नहीं चाहते जबकि मोहम्मद ने जो कुछ किया सोंच-समझकर किया. उसने जो कुछ किया, जो कुछ नियम बनाए अपने व्यक्तिगत सुख के लिए बनाए और उसे अल्लाह के नाम पर थोप दिया कि यह उसका नहीं अल्लाह का नियम है. मुसलमान एक बार में ४ शादियाँ कर सकते है लेकिन उसने ९ किए. लूट के माल में अपना हिस्सा निर्धारित कर अपने ऐशो आराम को सुनिश्चित कर लिया. साथ ही बोल दिया कि उसका विरोध अल्लाह का विरोध है इसलिए कोई विरोध नहीं करेगा, चाहे वो अपनी पुत्रवधू से विवाह करे या ६ साल की आयशा से जिसे विवाह का मतलब भी पता नहीं था.
मित्रों, मैं इस्लाम पर पहले ही एक आलेख राक्षस धर्म और संस्कृति लिखकर अर्ज कर चुका हूँ कि यह भलेमानसों का धर्म है ही नहीं लुटेरों का धर्म है जो हिंसा और सेक्स के अलावा कुछ भी नहीं जानते. इनके धर्मग्रन्थ इन्हीं बातों से भरे पड़े हैं. वक्त फिल्म में राजकुमार साहब का एक प्रसिद्ध डायलग था कि जिनके घर शीशे के हों वो दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंका करते लेकिन ये लोग तो हर शुक्रवार को हाथों में पत्थर लेकर ही नमाज पढने जाते हैं. जाने इनका अल्लाह कैसा है जो इनको ये सब सिखाता है?
मित्रों, उस पर गजब यह कि वे हम हिन्दुओं पर हँसते हैं. अरे मूर्खों हम तो सबमें भगवान को देखते हैं. सबको भगवान का प्रतीक मानते हैं. हम तो मानते हैं कि दुनिया में जितने नाम हैं सब भगवान के नाम हैं क्योंकि सबमें भगवान हैं. जिस तरह हमें हमारी तस्वीर से पहचाना जा सकता है लेकिन हम तस्वीर नहीं होते ठीक उसी तरह भगवान की मूर्तियाँ भगवान का प्रतीक मात्र हैं वो भगवान नहीं हैं. अब अगर किसी को इतनी-सी बात समझ में नहीं आ रही तो इसमें हमारी क्या गलती है? अब अगर कोई सूरज को ऊर्जा का स्रोत न माने और हमेशा उसकी तरह घूम कर पेशाब करे तो उससे सूरज का कभी कुछ बिगड़ेगा क्या? ऐसा कोई कुकर्म नहीं जो इस्लाम में हलाल न हो. कोई धर्म क्या ऐसा होता है? मोहम्मद कहते थे हम तो मद्रास की तरफ ही जाएंगे फिर भी दिल्ली पहुंचेंगे और आज दुनियाभर के मुसलमान भी ऐसा ही कह रहे. हम कहते हैं आत्मवत सर्वभूतेषु, अतिथि देवो भव और वो कहते हैं तुम भी मुसलमान हो जाओ नहीं तो मैं तुम्हारा सिर काट दूंगा, तुम्हारे मंदिर तोड़ दूंगा, तुम्हारी बहु-बेटियों के साथ सामूहिक बलात्कार करूंगा, तुम्हारे धन-दौलत छीन लूँगा. हम कहते हैं मुंडे मुंडे मति भिन्नाः, तुम कहते हो सिर्फ तुम सही हो बांकी सारे न केवल गलत हैं बल्कि तुम उनको मिटा डालोगे. हम कहते हैं हम तुम्हें सुख पहुंचाएंगे तो हमारा भगवान खुश होगा तुम कहते हो तुम हमें जितना तडपाओगे तुम्हारा अल्लाह उतना ही खुश होता. हम कहते हैं हमारा भगवान हममें है तुम कहते हो तुम्हारा अल्लाह तुममें नहीं है बल्कि वो तुमसे अलग है और तुम्हारा मालिक है. वो तुम्हें आदेश देता है और तू गुलामों की तरह उसका पालन करता है.
मित्रों, कुल मिलाकर नुपूर शर्मा प्रकरण ने न केवल हजरत मोहम्मद के कुकृत्यों को दुनिया के समक्ष उजागर कर दिया है बल्कि उन अनपढ़ मुसलमानों के सामने भी उनके चरित्र को नंगा कर दिया है जिनको अबतक यह बताया जाता था कि मोहम्मद अत्यंत महान दयालु, त्यागी और उदार थे. इस मामले में अगर किसी से गलती हुई है तो डरपोक भारत सरकार से हुई है जिसने जल्दीबाजी में यह देखे बिना नुपूर शर्मा को असामाजिक बता दिया कि उसने किन परिस्थितियों में हजरत मोहम्मद की करनी पर बोला. साथ ही भाजपा ने भी उससे पल्ला झाड़कर यह बता दिया कि वो हिन्दुओं के लिए नहीं बल्कि सिर्फ सत्ता के लिए राजनीति करती है. उसे समझना चाहिए कि कोई हिन्दू धर्म को दिन-रात गालियाँ देगा तो आखिर कब तक हिन्दू बिना जवाब दिए रह सकेगा? सबसे दुखद बात तो यह है कि भारत के मुसलमान भारत को छोड़कर अरब देशों की जय-जयकार कर रहे हैं.
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