शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2009

शर्मनाक हादसा

भारतीय वायु सेना के लिए विमान और हेलीकॉप्टर दुर्घटनाएं कोई नई बात नहीं है. आज ३० अक्टूबर को भी के हेलीकॉप्टर दुर्घटना हुई है. निस्संदेह इस तरह की घटनाएँ सेना के मनोबल के साथ-साथ उन पर देश के भरोसे को भी काम करती है. आखिर क्यों यह सिलसिला रूक नहीं रहा है. जब देश में ऐसा हो तो इसे हम घरेलू मामला मान सकते हैं. लेकिन अभी एकुआडोर में जिस तरह ध्रुव हेलीकॉप्टर ऐन परेड के समय ही मुंह के बल जमीन पर आ गिरा उससे भारत की अंतर्राष्ट्रीय साख निश्चित रूप से प्रभावित होगी. सेना में साजो-सामान की खरीद में व्याप्त भ्रस्ताचार कोई नई बात नहीं है न ही नयी है कुँतरोची सरीखे घपलेबाजों का बाइज्जत रिहा हो जाना. ऐसे में स्थितियों में सुधार की उम्मीद करना ही बेमानी है. हाँ एक बात तो निश्चित है कि इस तरह के हथियारों के बल पर हम चीन और पाकिस्तान के साथ युद्ध नहीं छेड़ सकते. हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि अब युद्ध में जीत-हार में सैनिक-संख्या से अधिक तकनीकी कुशलता मायने रखती है.

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