मंगलवार, 10 नवंबर 2009

क्या इसे कहते हैं कानून का राज!


भारत में भारतीय संविधान के अनुसार शासन चलता है, कानून का शासन.संविधान के भाग तीन के अनुच्छेद १४, १५ और १६ के अनुसार भारत का हर नागरिक कानून के समक्ष एकसमान है. भारत के नागरिकों में धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर किसी भी तरह का विभेद नहीं किया जायेगा. साथ ही संविधान ने अपने नागरिकों के लिए लोक नियोजन में अवसर के मामले में भी समानता प्रदान की है.लेकिन संविधान निर्माताओं ने इन अनुच्छेदों को तैयार करते समय एक गलती कर दी. उन्हें यहाँ यह भी स्पष्ट कर देना चाहिए था कि धन के और प्रास्थिति यानि स्टेटस के आधार कर भी संविधान विभेद नहीं करेगा.अब इसे आप न्यायपालिका पर आरोप कहिये या कुछ और मैं पूछता हूँ कि आम आदमी के मामले में सफलतापूर्वक काम करनेवाले न्यायतंत्र को तब क्यों लकवा मर जाता है जब कोई खास आदमी कानून का उल्लंघन करता पाया जाता है? मनु शर्मा को दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के आदेश से पिता के चुनाव से ऐन पहले पैरोल पर रिहा कर दिया गया. बाद में पाया गया कि जेसिकालाल की हत्या का यह आरोपी दिल्ली के क्लबों में गुलछर्रे उड़ा रहा था. क्या दिल्ली की मुख्यमंत्री किसी आम नागरिक को उसकी स्वस्थ मां की देखभाल के लिए या फ़िर डेढ़ साल पहले मर चुकी दादी के संस्कार में शामिल होने के लिए पैरोल पर रिहा करने की अनुमति देतीं? नहीं कदापि नहीं! क्या यही है कानून के समक्ष समानता? क्या इसी तरह कानून का पालन कराया जाता है? हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि मनु शर्मा पर एक नाईट क्लब में हत्या का आरोप है.फ़िर वह नाईट क्लब में कैसे पहुँच गया? पैरोल के दौरान उस पर नज़र रखने की जिम्मेवारी किसकी थी और उसने क्यों और किन परिस्थितियों में अपने कर्तव्यपालन में कोताही बरती?अभी कुछ ही दिन पहले न्यायपालिका ने बोफोर्स मामले में कुँतरोची को बरी करने के खिलाफ की गई अपील पर सुनवाई को पांच महीने के लिया टाल दी.न्यायपालिका कैसे सरकार के आगे लाचार हो गयी और कुँतरोची बरी हो गया सबके सामने है. क्यों आज तक भ्रष्टाचार के किसी भी मामले में किसी भी राजनेता को सजा नहीं हुई? जो खादी कभी सच्चाई का प्रतीक थी वही खादी क्यों भ्रष्टाचारियों के लिए कवच बन गयी है? स्थितियां कब बदलेगी और कैसे? मेरे पास आज सिर्फ सवाल ही सवाल है. जवाब शायद आज किसी के भी पास नहीं हो.लेकिन कुछ तो किया ही जा सकता है.

1 टिप्पणी:

  1. भारत में कानून का नहीं श्रीमान भ्रष्टाचार का राज चल रहा है. खुदा जाने कब सूरत बदलेगी.
    मो.जुनैद, बनारस

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