रविवार, 10 जनवरी 2010

साधुवाद के पात्र हैं शशि थरूर


शशि थरूर ने कल जवाहरलाल नेहरु की विदेश नीति को लेकर जो कुछ भी कहा है उसके लिए वे निश्चित रूप से शाबासी के पात्र हैं.व्यक्ति महान नहीं होता उसकी करनी के आधार पर ही उसका मूल्यांकन किया जाना चाहिए.नेहरू कल्पनाजीवी व्यक्तित्व थे और उनकी विदेशनीति भी यथार्थवादी कम आदर्शवादी ज्यादा थी जिसका कुपरिणाम आज भी देश भोग रहा है.यहाँ हमें यह नहीं देखना चाहिए कि बयान किसने दिया है बल्कि यह देखा जाना चाहिए कि उसने क्या कहा है?कांग्रेस सरकार में मंत्री रहते हुए थरूर द्वारा दिया गया बयान निश्चित रूप से साहसिक कहा जायेगा.नेहरु भी इंसान थे और गलतियाँ इंसान ही करता है.जरूरत किसी व्यक्ति की गलतियों पर पर्दा डालने की नहीं बल्कि सच्चे मन से उनका विश्लेषण कर सीख लेने की है.

1 टिप्पणी:

  1. भाई साहब यह बड़े ही दुःख की बात है कि भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी में आन्तरिक लोकतंत्र समाप्त हो गया है और अंतर्विश्लेषण की परंपरा समाप्त हो गयी है.इन परिस्थितियों में थरूर का बयान निश्चित रूप से साहसिक है और उसका स्वागत किया जाना चाहिए.
    अविनाश मराठा, शोलापुर

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