बुधवार, 27 जनवरी 2010
आधे मन से उठाया गया अधूरा कदम
महंगाई ने भले ही आम भारतीयों का जीना मुहाल कर दिया हो केंद्र सरकार के लिए यह सियासत से ज्यादा कुछ भी नहीं है.तभी तो वो इससे निपटने के लिए मूर्खतापूर्ण कदम उठा रही है जिसका निष्फल होना पहले से ही तय है.केंद्र सरकार ने अजीबोगरीब कदम उठाते हुए जनवरी और फरवरी महीने में भारत के प्रत्येक कार्डधारी को जन वितरण प्रणाली के माध्यम से १० किलोग्राम अनाज देने का निर्णय लिया है.इस योजना के द्वारा गेहूं १०.८० रूपये प्रति किलो और चावल १५.३७ रूपये प्रति किलो की दर से उपलब्ध कराया जायेगा.अन्त्योदय और बीपीएल परिवारों को भी इसी दर पर अनाज उन्हें प्रत्येक महीने मिलनेवाले अनाज के अतिरिक्त दिया जायेगा.मनमोहन सिंहजी जिन गरीबों को पहले से २-३ रूपये किलो गेहूं-चावल मिल रहा हो वे क्यों इतने ऊंचे दामों पर अनाज उठाएंगे?दूसरी बात जो भी गेहूं उत्पादक क्षेत्र हैं वहां यह इससे भी कम मूल्य पर मंडी में यूं ही मिल रहा है, फ़िर क्यों उन इलाकों में रहनेवाले लोग यह अनाज लेने को तैयार होंगे?ठीक यही बात चावल उत्पादक इलाकों के लोगों के साथ भी लागू होती है.प्रधानमंत्रीजी यह योजना तो पहले से ही असफल है और इस योजना का ज्यादातर अनाज कालाबाजार में पहुँच जानेवाला है.प्रधानमंत्रीजी आप और आपके सहयोगी या तो मूर्ख हैं या फ़िर अपने को बहुत चालाक और जनता को महामूर्ख समझते हैं.
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