शुक्रवार, 19 मार्च 2010
शिक्षा-प्रणाली में सुधार जरूरी
कल हाजीपुर के कई महाविद्यालय युद्ध का मैदान बन गए.सिर्फ राजनारायण महाविद्यालय को ही दस लाख का नुकसान हुआ.कॉलेज प्रशासन का दोष सिर्फ इतना था कि उन्होंने इंटर की परीक्षा में सख्ती बरती थी और परीक्षार्थियों को नक़ल करने से रोका था.विद्यार्थी आखिर क्यों पढाई करते हैं?ज्ञान के लिए या डिग्री के लिए.हमारी शिक्षा प्रणाली ही इतनी दोषपूर्ण है कि इसमें ज्ञान और हुनर का कोई महत्व नहीं है.सिर्फ हमारी स्मरण शक्ति की या दूसरे शब्दों में कहें तो हमारी रटने की क्षमता की परीक्षा ली जाती है.इसलिए तो हमारे छात्र किसी भी तरह से कॉपी भरने में विश्वास करते हैं.हम ज्ञानी नहीं बेरोजगार पैदा कर रहे हैं.सबको एक-एक डिग्री थमा दी जाती है जिसका व्यावहारिक जीवन में कोई काम नहीं रहता, कोई जरूरत नहीं पड़ती.वास्तव में हमें इनमें हुनर पैदा करनी चाहिए जो नहीं हो पा रहा है.इसलिए सड़ी-गली शिक्षा प्रणाली में मूलभूत परिवर्तन करने की जरूरत है.ऐसा करने के लिए आत्मविश्वास के साथ-साथ अदम्य इच्छाशक्ति की भी आवश्यकता होगी.लेकिन हमारी केंद्र सरकार को तो अपने और अपने लोगों की प्रतिभा पर भरोसा ही नहीं है उसे तो विश्वास है कि विदेशी विश्वविद्यालय ही हमारी शिक्षा का उद्धार कर सकते हैं. दूसरी बात बिहार पहले से ही नक़ल को लेकर बदनाम रहा है.हालांकि यहाँ के विद्यार्थियों ने पूरी दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है.इस तरह की तोड़-फोड़ से राज्य की बदनामी होगी जो सभी बिहारियों के लिए नुकसानदेह होगी.इसलिए युवाओं को इस तरह से उपद्रव नहीं मचाना चाहिए.वैसे भी उनकी मांगे जायज नहीं थी और अगर सरकार स्वयं कदाचार को बढ़ावा देती तब भी नुकसान तो अंततः परीक्षार्थियों को ही होना है.विद्यार्थी अपने आत्मविश्वास को जागृत करें और संकल्प लें कि इस बार न सही अगली बार पास होंगे लेकिन सही तरीके से अपने बल पर न कि कदाचार के माध्यम से.
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