सोमवार, 22 मार्च 2010
पहले अपना रूख स्पष्ट करें लालू-पासवान
भारत में जमीन का मामला हमेशा से संवेदनशील रहा है.इन दिनों बिहार में बटाईदारी कानून लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है.बिहार सरकार ने भूमि-सम्बन्धी मामलों पर विचार करने के लिए भूमि सुधार आयोग का गठन किया था जिसे बंदोपाध्याय आयोग भी कहा जाता है.इसने अपनी रिपोर्ट दे दी है लेकिन सवर्णों की नाराजगी के भय से राज्य सरकार ने इसे ठन्डे बस्ते में डाल दिया है.विपक्षी नेता खासकर पिछड़ों के नेता लालू प्रसाद और दलित नेता रामविलास पासवान बार-बार सरकार से इस रिपोर्ट के सम्बन्ध में अपना रूख स्पष्ट करने के लिए कह रहे हैं.वास्तव में वे ऐसा करके इसके लागू होने से संभावित लाभ में और नुकसान में रहनेवाली दोनों तरह की जातियों के बीच ग़लतफ़हमी पैदा करना चाहते हैं.इस तरह वे दोनों ही खेमों की जातियों के मतों को अपनी ओर खींचना चाहते हैं.अगर वे अपना इस मामले में अपना रूख स्पष्ट कर देते हैं तो उन्हें सिर्फ एक ही खेमे का समर्थन मिल पायेगा और दूसरा पक्ष नाराज हो जायेगा.इसलिए वे रिपोर्ट पर अपना पक्ष स्पष्ट नहीं कर रहे हैं.सरकार ने तो अपना पक्ष बार-बार स्पष्ट किया है कि उसका इस तरह का कोई भी बिल लाने का ईरादा ही नहीं है.पहले दोनों विपक्षी नेता अपना रूख स्पष्ट कर दें तभी उनका सरकार की मंशा पर ऊंगली उठाने का नैतिक अधिकार बनेगा और दूसरी सम्भावना यह भी बनती है कि दो नावों की सवारी के चक्कर में उनकी लुटिया ही न डूब जाए.
ब्रज भाई, राजनीतिज्ञ दो ही नहीं एक बार में बहुत से नावों की सवारी करते हैं और हम जनता उनकी कलाबाजी समझ ही नहीं पाते.जिस दिन हम राजनेताओं के असली चेहरों को समझने लगेंगे राजनीति को धंधा समझने वालों का धंधा ही बंद हो जायेगा.
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