मित्रों, क्या आप जानते हैं कि कानून क्या है? वेदों में वर्णन है कि राजा सभा और समिति की सहायता से शासन करते थे. बाद में प्राचीन और मध्यकाल में राजा का वचन ही शासन होता था. यद्यपि ज्यादातर राजा तब निष्पक्ष हुआ करते थे जिसकी एक झलक आपने बाहुबली फिल्म में देखी भी होगी . मुग़लकाल में मूल्यों का अवमूल्यन हो चुका था और बतौर तुलसी समरथ को नहीं दोष गोसाईं की स्थिति बन गयी थी। ब्रिटिश काल आते-आते स्थिति इतनी बिगड़ गयी कि गांधी जी कानून को अमीरों का रखैल बता गए।
मित्रों, आजादी मिलने के बाद तो जैसे भारत के अमीर और प्रभावशाली लोग कानून के साथ खिलवाड़ करने के लिए पूरी तरह से आजाद ही हो गए क्योंकि अब उनके जैसे और उनके बीच के लोगों के हाथों में ही सबकुछ है और उस सबकुछ में कानून भी आता है. इन वास्तविक रूप से आजाद होनेवाले लोगों में अमीर लोग, न्यायाधीश, अधिकारी और नेता प्रमुख थे. बांकी लोगों के लिए पहले भी देश एक विशाल जेलखाना था और अब भी है.
मित्रों, कानून खुद-ब-खुद तो लागू होने से रहा. शासन सजीव तो कानून सजीव और शासन निर्जीव तो कानून भी मुर्दा. और जब शासन कुशासन तो कानून सज्जनों के गले की फांस और दुर्जनों का कंठहार. ठीक ऐसी ही स्थिति भारत में बन गयी. लेकिन इसमें में सभी राज्यों में एकसमान स्थिति नहीं रही अन्यथा आज बिहार गरीब और गुजरात अमीर नहीं होता.
मित्रों, हमारे ब्रिटिश ज़माने के कानून के अनुसार कानून के समक्ष सभी बराबर हैं और उसको तोड़नेवालों को बिना किसी भेदभाव के जेल भेजने का प्रावधान है. लेकिन क्या ऐसा होता है? वास्तविकता तो यह है किसी भी प्रभावशाली व्यक्ति को जल्दी सजा होती नहीं है और अगर होती भी है तो जेल उसके लिए जेल नहीं रह जाता बल्कि पञ्चतारा होटल बन जाता है. चाहे बिहार में २० साल पहले लालू जेल गए हों या कर्नाटक में आज शशिकला कारावास का दंड भोग रही हो. क्या उत्तर और क्या दक्षिण. क्या १९९७ और क्या २०१७ स्थिति एक समान है.
मित्रों, कुल मिलाकर प्रभावशाली लोगों के लिए जेल की सजा सजा है ही नहीं पिकनिक और आनंदयात्रा है. सवाल उठता है कि ऐसे में कानून का क्या मतलब है और इसके लिए जिम्मेदार कौन हैं? बेशक हम किसी और पे दोषारोपण नहीं कर सकते क्योंकि देश में लोकतंत्र है. हम जब तक लालच या जातीय-सांप्रदायिक दुर्भावनाओं को देश से ऊपर रखेंगे स्थिति नहीं बदलेगी. जब विधानसभा और लोकसभा में चोरों, अराजकतावादियों और देशद्रोहियों का बहुमत होगा तो सिर्फ बागों में बहार है का झूठा तराना दिन-रात गाने से बहार आ तो नहीं जाएगी बल्कि देश और राज्य के मंच पर भारतेंदु के प्रसिद्ध नाटक अंधेर नगरी चौपट राजा का जीवंत मंचन होता रहेगा.
मित्रों, आजादी मिलने के बाद तो जैसे भारत के अमीर और प्रभावशाली लोग कानून के साथ खिलवाड़ करने के लिए पूरी तरह से आजाद ही हो गए क्योंकि अब उनके जैसे और उनके बीच के लोगों के हाथों में ही सबकुछ है और उस सबकुछ में कानून भी आता है. इन वास्तविक रूप से आजाद होनेवाले लोगों में अमीर लोग, न्यायाधीश, अधिकारी और नेता प्रमुख थे. बांकी लोगों के लिए पहले भी देश एक विशाल जेलखाना था और अब भी है.
मित्रों, कानून खुद-ब-खुद तो लागू होने से रहा. शासन सजीव तो कानून सजीव और शासन निर्जीव तो कानून भी मुर्दा. और जब शासन कुशासन तो कानून सज्जनों के गले की फांस और दुर्जनों का कंठहार. ठीक ऐसी ही स्थिति भारत में बन गयी. लेकिन इसमें में सभी राज्यों में एकसमान स्थिति नहीं रही अन्यथा आज बिहार गरीब और गुजरात अमीर नहीं होता.
मित्रों, हमारे ब्रिटिश ज़माने के कानून के अनुसार कानून के समक्ष सभी बराबर हैं और उसको तोड़नेवालों को बिना किसी भेदभाव के जेल भेजने का प्रावधान है. लेकिन क्या ऐसा होता है? वास्तविकता तो यह है किसी भी प्रभावशाली व्यक्ति को जल्दी सजा होती नहीं है और अगर होती भी है तो जेल उसके लिए जेल नहीं रह जाता बल्कि पञ्चतारा होटल बन जाता है. चाहे बिहार में २० साल पहले लालू जेल गए हों या कर्नाटक में आज शशिकला कारावास का दंड भोग रही हो. क्या उत्तर और क्या दक्षिण. क्या १९९७ और क्या २०१७ स्थिति एक समान है.
मित्रों, कुल मिलाकर प्रभावशाली लोगों के लिए जेल की सजा सजा है ही नहीं पिकनिक और आनंदयात्रा है. सवाल उठता है कि ऐसे में कानून का क्या मतलब है और इसके लिए जिम्मेदार कौन हैं? बेशक हम किसी और पे दोषारोपण नहीं कर सकते क्योंकि देश में लोकतंत्र है. हम जब तक लालच या जातीय-सांप्रदायिक दुर्भावनाओं को देश से ऊपर रखेंगे स्थिति नहीं बदलेगी. जब विधानसभा और लोकसभा में चोरों, अराजकतावादियों और देशद्रोहियों का बहुमत होगा तो सिर्फ बागों में बहार है का झूठा तराना दिन-रात गाने से बहार आ तो नहीं जाएगी बल्कि देश और राज्य के मंच पर भारतेंदु के प्रसिद्ध नाटक अंधेर नगरी चौपट राजा का जीवंत मंचन होता रहेगा.
यह मेरी जिंदगी का बहुत ही आनन्ददायक दिन है क्योंकि डॉ। ऑडुडवा ने मुझे अपने जादूगर और प्रेम जादू के साथ अपने पूर्व पति को वापस लाने में मदद करके मेरे लिए योगदान दिया है। मैं 6 साल से शादी कर रहा था और यह इतना भयानक था क्योंकि मेरे पति ने कभी मुझ पर भरोसा नहीं किया और वह वास्तव में मुझे धोखा दे रहा था और तलाक की मांग कर रहा था, मैं उससे इतना प्यार करता हूं और हमारे पास 2 बच्चे एक साथ होते हैं, मैं अपने बच्चों से प्रेम करता हूं और मैं चाहता हूं उन्हें रहने और उनके दोनों माता-पिता के साथ रहने के लिए, मुझे तलाक की रोकथाम करने और रिश्ते में प्यार और विश्वास वापस लाने के लिए इतनी सख्त जरूरत थी।
जवाब देंहटाएंइसलिए जब मैं ब्लॉग पोस्ट पर डॉ। ओडुदेवा ईमेल पर आया तो उन्होंने टिप्पणी की कि उन्होंने इतने सारे लोगों को अपनी पूर्व वापस लेने और संबंध सुधारने में मदद करने के लिए कैसे मदद की है। और लोगों को अपने रिश्ते में खुश रहने के लिए।
मैंने अपनी स्थिति समझा दी और फिर मेरी मदद की, लेकिन मेरी सबसे बड़ी आश्चर्य से उसने मुझे बताया कि वह मेरे मामले में मेरी मदद करेंगे और मैं अब जश्न मना रहा हूं क्योंकि मेरे पति पूरी तरह अच्छे के लिए बदलते हैं। वह हमेशा मेरे और हमारे प्यारे बच्चों के साथ रहना चाहते हैं और मेरे वर्तमान के बिना कुछ भी नहीं कर सकते हैं, अब वह मुझे अब पहले से ज्यादा प्यार करता है।
मैं वास्तव में मेरी शादी का आनंद ले रहा हूं, जो एक महान उत्सव है मैं इंटरनेट पर गवाही देना जारी रखूंगा क्योंकि डॉ। ओडुडुवा वास्तव में एक वास्तविक वर्तनी ढलाईकार है। क्या आपको संपर्क डॉक्टर ODUDUWA महान की मदद की ज़रूरत है ..
अब आज संपर्क करें ODUDUWA VIA EMAIL: dr.oduduwaspellcaster@gmail.com या Whatsapp no .: +2348109844548
डॉडोडवा भी ऐसी समस्याओं को हल कर सकते हैं जैसेः रोकथाम, दुःस्वप्न की ज़रूरत के लिए, पूर्व में वापस लाने, अदालत के खिलाफ मुकदमा चलाने, सुगमता और सुराग, काले जादू का ताकत, ताकत और ताकत का जादू आदि।