मित्रों, हमने काफी दिन पहले भक्तराज रामकृष्ण परमहंस की एक पुस्तक में एक कहानी पढ़ी थी. एक अंधा एक बार एक गुफा में घुस गया और बाहर निकलने के प्रयास में बार-बार दीवारों से टकरा जा रहा था. किस्मत देखिए कि जब भी वो दरवाजे के पास आता दीवार छोड़ देता था और उसे एक बार फिर से पूरी गुफा का चक्कर काटना पड़ता था.
मित्रों, कुछ ऐसी ही किस्मत बिहार की भी है. जब यह अविभाज्य था तब भी इसको प्रचुरता में निर्धनता का इकलौता उदाहरण माना जाता था और आज तो इसके पास लालू, बालू और आलू के सिवा कुछ बचा ही नहीं है. वैसे कहने को तो अभी भी इसके पास अनमोल मानव संसाधन है लेकिन दुर्भाग्यवश यहाँ के लोगों की सोंच आज भी वही है जो राज्य के बंटवारे से पहले थी. यहाँ के लोग आज भी सिर्फ पेट के लिए जीते हैं विकास की भूख उनमें है ही नहीं.
मित्रों, जब देश को आजादी मिली और देश में औद्योगिक और कृषि क्रांति की शुरुआत हुई तो कांग्रेस पार्टी की केंद्र और राज्य की सरकारों की दुष्टता के चलते बिहार उससे वंचित रह गया. परिणाम यह हुआ कि बिहार से मजदूरों का पलायन उन राज्यों की तरफ शुरू हो गया जिन राज्यों को इसका लाभ मिला था और वह पलायन आज भी बदस्तूर जारी है.
मित्रों, बाद में १९९० के दशक में जब आर्थिक सुधारों के दौर में देश में दूसरी औद्योगिक क्रांति हो रही थी तब बिहार में शासन एक ऐसे व्यक्ति के हाथ में था जिसका मानना था कि विकास करने से वोट नहीं मिलता.
मित्रों, दुर्भाग्यवश जब गुजरात को विकास की नई ऊंचाईयों तक ले जानेवाला सच्चा देशभक्त देश का प्रधानमंत्री बना जो ह्रदय से चाहता थे कि भारतमाता का पूर्वांग भी समान रूप से शक्तिशाली बने तो बिहार के मुख्यमंत्री ने उससे दूरी बना ली और उन्हीं लालू जी से महाठगबंधन करके बिहार की जनता को ठग लिया जिनकी छवि महाभ्रष्ट और महा विकासविरोधी की है. आज नरेन्द्र मोदी सरकार के अनथक सद्प्रयास से प्रत्यक्ष पूँजी निवेश के मामले में भारत नंबर एक पर है लेकिन बिहार अपने मुख्यमंत्री और अपनी मूर्खता के चलते एक बार फिर से इसके लाभ से वंचित हो रहा है.
मित्रों, आज बिहार में शासन-प्रशासन नाम की चीज नहीं है और यत्र-तत्र-सर्वत्र अराजकता का बोलवाला है. ऐसे माहौल में कौन करेगा बिहार में पूँजी निवेश? यहाँ तक कि परसों पटना हाइकोर्ट ने बिहार सरकार से पूछा राजनीति ही होगी या कुछ काम भी होगा. कोर्ट ने सरकार से वही पूछा जो हम पिछले चार सालों से पूछते आ रहे हैं. हाईकोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा कि जब बहाली सही ढंग से नहीं करनी है, तो रिक्तियों का सब्जबाग क्यों दिखाते हैं जनता को?
मित्रों, कदाचित अपनी नीतिहीन राजनीति से उब चुके नीतीश कुमार लालू परिवार से छुटकारा भी पाना चाहते हैं लेकिन उनके विधायक और सांसद ही उनका साथ देने को तैयार नहीं हैं. मुझे लगता नहीं है कि नीतीश के अन्दर इतना नैतिक बल है कि वे सत्ता के अनैतिक मोह तो त्याग कर बिहार के भले की दिशा में कोई कदम उठाएंगे.
मित्रों, कुछ ऐसी ही किस्मत बिहार की भी है. जब यह अविभाज्य था तब भी इसको प्रचुरता में निर्धनता का इकलौता उदाहरण माना जाता था और आज तो इसके पास लालू, बालू और आलू के सिवा कुछ बचा ही नहीं है. वैसे कहने को तो अभी भी इसके पास अनमोल मानव संसाधन है लेकिन दुर्भाग्यवश यहाँ के लोगों की सोंच आज भी वही है जो राज्य के बंटवारे से पहले थी. यहाँ के लोग आज भी सिर्फ पेट के लिए जीते हैं विकास की भूख उनमें है ही नहीं.
मित्रों, जब देश को आजादी मिली और देश में औद्योगिक और कृषि क्रांति की शुरुआत हुई तो कांग्रेस पार्टी की केंद्र और राज्य की सरकारों की दुष्टता के चलते बिहार उससे वंचित रह गया. परिणाम यह हुआ कि बिहार से मजदूरों का पलायन उन राज्यों की तरफ शुरू हो गया जिन राज्यों को इसका लाभ मिला था और वह पलायन आज भी बदस्तूर जारी है.
मित्रों, बाद में १९९० के दशक में जब आर्थिक सुधारों के दौर में देश में दूसरी औद्योगिक क्रांति हो रही थी तब बिहार में शासन एक ऐसे व्यक्ति के हाथ में था जिसका मानना था कि विकास करने से वोट नहीं मिलता.
मित्रों, दुर्भाग्यवश जब गुजरात को विकास की नई ऊंचाईयों तक ले जानेवाला सच्चा देशभक्त देश का प्रधानमंत्री बना जो ह्रदय से चाहता थे कि भारतमाता का पूर्वांग भी समान रूप से शक्तिशाली बने तो बिहार के मुख्यमंत्री ने उससे दूरी बना ली और उन्हीं लालू जी से महाठगबंधन करके बिहार की जनता को ठग लिया जिनकी छवि महाभ्रष्ट और महा विकासविरोधी की है. आज नरेन्द्र मोदी सरकार के अनथक सद्प्रयास से प्रत्यक्ष पूँजी निवेश के मामले में भारत नंबर एक पर है लेकिन बिहार अपने मुख्यमंत्री और अपनी मूर्खता के चलते एक बार फिर से इसके लाभ से वंचित हो रहा है.
मित्रों, आज बिहार में शासन-प्रशासन नाम की चीज नहीं है और यत्र-तत्र-सर्वत्र अराजकता का बोलवाला है. ऐसे माहौल में कौन करेगा बिहार में पूँजी निवेश? यहाँ तक कि परसों पटना हाइकोर्ट ने बिहार सरकार से पूछा राजनीति ही होगी या कुछ काम भी होगा. कोर्ट ने सरकार से वही पूछा जो हम पिछले चार सालों से पूछते आ रहे हैं. हाईकोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा कि जब बहाली सही ढंग से नहीं करनी है, तो रिक्तियों का सब्जबाग क्यों दिखाते हैं जनता को?
मित्रों, कदाचित अपनी नीतिहीन राजनीति से उब चुके नीतीश कुमार लालू परिवार से छुटकारा भी पाना चाहते हैं लेकिन उनके विधायक और सांसद ही उनका साथ देने को तैयार नहीं हैं. मुझे लगता नहीं है कि नीतीश के अन्दर इतना नैतिक बल है कि वे सत्ता के अनैतिक मोह तो त्याग कर बिहार के भले की दिशा में कोई कदम उठाएंगे.
यह मेरी जिंदगी का बहुत ही आनन्ददायक दिन है क्योंकि डॉ। ऑडुडवा ने मुझे अपने जादूगर और प्रेम जादू के साथ अपने पूर्व पति को वापस लाने में मदद करके मेरे लिए योगदान दिया है। मैं 6 साल से शादी कर रहा था और यह इतना भयानक था क्योंकि मेरे पति ने कभी मुझ पर भरोसा नहीं किया और वह वास्तव में मुझे धोखा दे रहा था और तलाक की मांग कर रहा था, मैं उससे इतना प्यार करता हूं और हमारे पास 2 बच्चे एक साथ होते हैं, मैं अपने बच्चों से प्रेम करता हूं और मैं चाहता हूं उन्हें रहने और उनके दोनों माता-पिता के साथ रहने के लिए, मुझे तलाक की रोकथाम करने और रिश्ते में प्यार और विश्वास वापस लाने के लिए इतनी सख्त जरूरत थी।
जवाब देंहटाएंइसलिए जब मैं ब्लॉग पोस्ट पर डॉ। ओडुदेवा ईमेल पर आया तो उन्होंने टिप्पणी की कि उन्होंने इतने सारे लोगों को अपनी पूर्व वापस लेने और संबंध सुधारने में मदद करने के लिए कैसे मदद की है। और लोगों को अपने रिश्ते में खुश रहने के लिए।
मैंने अपनी स्थिति समझा दी और फिर मेरी मदद की, लेकिन मेरी सबसे बड़ी आश्चर्य से उसने मुझे बताया कि वह मेरे मामले में मेरी मदद करेंगे और मैं अब जश्न मना रहा हूं क्योंकि मेरे पति पूरी तरह अच्छे के लिए बदलते हैं। वह हमेशा मेरे और हमारे प्यारे बच्चों के साथ रहना चाहते हैं और मेरे वर्तमान के बिना कुछ भी नहीं कर सकते हैं, अब वह मुझे अब पहले से ज्यादा प्यार करता है।
मैं वास्तव में मेरी शादी का आनंद ले रहा हूं, जो एक महान उत्सव है मैं इंटरनेट पर गवाही देना जारी रखूंगा क्योंकि डॉ। ओडुडुवा वास्तव में एक वास्तविक वर्तनी ढलाईकार है। क्या आपको संपर्क डॉक्टर ODUDUWA महान की मदद की ज़रूरत है ..
अब आज संपर्क करें ODUDUWA VIA EMAIL: dr.oduduwaspellcaster@gmail.com या Whatsapp no .: +2348109844548
डॉडोडवा भी ऐसी समस्याओं को हल कर सकते हैं जैसेः रोकथाम, दुःस्वप्न की ज़रूरत के लिए, पूर्व में वापस लाने, अदालत के खिलाफ मुकदमा चलाने, सुगमता और सुराग, काले जादू का ताकत, ताकत और ताकत का जादू आदि।