रविवार, 11 मार्च 2018

नरेंद्र मोदी की कृत्रिम बुद्धि


मित्रों,आपको याद होगा कि पिछले साल राहुल गाँधी जी ने अमेरिका जाकर अपना पहले भाषण दिया था. यह उनका अमेरिका में पहला भाषण था. तब मुझे बड़ी हंसी आई थी क्योंकि उनकी वक्तृता का विषय था कृत्रिम बुद्धि. लेकिन आज २५ फरवरी, २०१८ को मैं फिर से हँसते-२ रोने को विवश हूँ. आज हमारे कथित प्रधान सेवक जी ने अपने मन की बात में कृत्रिम बुद्धि के महत्व पर बोला है. इससे पहले भी वे कुछ दिन पहले किसी कार्यक्रम में कृत्रिम बुद्धि का महिमामंडन कर चुके हैं.

मित्रों,यह विडंबना है कि हमारे लगभग सारे राजनेता भारत को अमेरिका बनाने की बात करते हैं. क्यों करते हैं पता नहीं जबकि अमेरिका और भारत के हालात में कोई तुलना ही नहीं है. जहाँ अमेरिका में बेरोजगारों की कमी है वहीँ भारत में रोजगारों की कमी है. अमेरिका में इंसानों की कमी को कृत्रिम बुद्धि से युक्त मशीनों से पूरी करना मजबूरी है लेकिन जिस भारत में जहाँ आज भी एक किलोग्राम चावल चुराने पर एक भूखे को पीट-२ कर मार डाला जाता हो उस भारत में कृत्रिम बुद्धि के प्रति प्रधानमंत्री के प्रेम को सिर्फ दीवानगी ही कहा जा सकता है.


मित्रों,क्या योजना बनाई है भारत प्राइवेट लिमिटेड के वर्तमान सीईओ नरेन्द्र मोदी जी ने? जबरदस्त, मुंहतोड़. इन्सान पकौड़े तलेंगे और देश चलाएंगी मशीनें. स्टेशनों पर टिकट मशीन काटेगी मशीन, मशीन बुलेट ट्रेन चलाएगी और मशीन ही उसमें यात्रा करेगी, मशीन ही हवाई जहाज उड़ाएगी और मशीन ही हवाई चप्पल पहन कर उनमें उड़ान भरेंगी, होटलों में खाना मशीन पहुंचाएगी, खेती करेगी और कराएगी मशीनें, सीमा पर गोली मशीन चलाएगी, इंडियन रेलवे और मेट्रो निगमों की ट्रेनें मशीन चलाएगी, मशीन बताएगी कि मंदी कैसे दूर होगी, मशीन बताएगी कि नीरव मोदी कैसे भारत वापस आएगा और मशीन ही उसे वापस भी लाएगी. भविष्य में मोदी मंत्रिमंडल में सिर्फ प्रधानमंत्री इन्सान होंगे बांकी सारे विभाग मशीनें संभालेंगी आखिर वे खुद में स्वतः सुधार करना जो सीख गई हैं, सेल्फ इंटेलिजेंस का गुण आ गया है उनमें.


मित्रों,इस तरह भारत सरकार जो पैसे बचाएगी उसको बराबर-बराबर जनता के खाते में डाल दिया जाएगा. पहले १५ पैसा से शुरू करके अंत में १५ लाख. जैसे कि अभी-अभी सिंगापुर की सरकार ने अपने देशवासियों के खातों में डाला है. लेकिन तब तक हमको-आपको पकौड़े बेचकर, खाकर, खरीदकर जिंदा रहना पड़ेगा.


मित्रों,अच्छा हुआ कि नेहरु-शास्त्री ने भारत को अमेरिका बनाने का सपना नहीं देखा और भारत की भुखमरी-गरीबी और बेरोजगारी को ध्यान में रखा नहीं तो हम भारतवासी नहीं होते भारत की नागरिक होती सिर्फ मशीनें. सऊदी अरब ने तो एक रोबोट को अपने देश की नागरिकता दे भी दी है. वैसे हमें इस बात की ख़ुशी है कि कम-से-कम इस एक मुद्दे पर तो भारत के पक्ष-विपक्ष के बीच आम सहमति है. अंत में हम आपको बता दें कि बोला तो पीएम ने गोबर पर भी है लेकिन उस पर आम सहमति नहीं है गोबर विशेषतया गाय का गोबर सांप्रदायिक पदार्थ जो है.

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