शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2019

हिंदुस्तान में कितने पाकिस्तान?


मित्रों, आपकी नज़रों में पाकिस्तान क्या है? शायद एक ऐसे मुल्क का नाम जो बेवजह भारत को अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझता है! पर मेरे लिए पाकिस्तान का मतलब है घर में बंटवारा करने या करवानेवाले लोग, दूसरों की संपत्ति पर कब्ज़ा जमाना, दूसरों को धोखा देना अपना धर्म समझनेवाले लोग.
मित्रों, आपके पाकिस्तान का निर्माण हुए ७५ साल बीत चुके हैं लेकिन इन दिनों हमारे देश में जो कुछ भी घटित हो रहा है उसे देखते हुए तो यही लगता है कि इस बीच आपकेवाले हिंदुस्तान में न जाने कितने मेरेवाले पाकिस्तान बन चुके हैं. मेरा मतलब आप शायद समझ गए होंगे कि हिंदुस्तान भी एक मुल्क है जैसे कि पाकिस्तान एक मुल्क है लेकिन मेरे लिए हिंदुस्तान सिर्फ एक मुल्क नहीं है बल्कि मेरा धर्म है, मेरी भक्ति है, मेरी शक्ति है, मेरी पूजा है, मेरा सबकुछ है. मतलब कि मेरे लिए हिंदुस्तान का मतलब है ऐसा घर जिसमें सिर्फ प्रेम ही प्रेम हो, ऐसी पवित्र भावना जो दूसरों के सुख में ही अपना सुख समझती हो हिंदुस्तान है.
मित्रों, तो मैं कह रहा था कि हिंदुस्तान में दुर्भाग्यवश कई सारे पाकिस्तान बन चुके हैं. पुलवामा में प्रेम दिवस के दिन यानि १४ फरवरी, २०१९ को नफरत की खून भरी होली खेली गयी और इसके पीछे था भारत का पडोसी मुल्क पाकिस्तान. पाकिस्तान का तो काम ही नफरत करना है क्योंकि उसका निर्माण ही नफरत की नींव पर हुआ है इसलिए वो अगर ऐसा करता है तो किसी को भी आश्चर्य नहीं होना चाहिए. लेकिन मुझे तब घोर आश्चर्य हुआ जब मैंने पाया कि भारत से नफरत करनेवालों में से कई हमारे पड़ोस में भी रहते हैं. उनमें से कई सिर्फ इसलिए मेरे पड़ोस में पाकिस्तान को आबाद कर रहे हैं, जिंदाबाद कर रहे हैं क्योंकि वे मुसलमान हैं, कईयों ने सिर्फ इसलिए मेरे पड़ोस में पाकिस्तान बना लिया है क्योंकि वे वामपंथी हैं या फिर भाजपा के राजनैतिक विरोधी हैं और वे यह भूल गए हैं कि भाजपा विरोध का मतलब कतई भारत विरोध नहीं होता. उनको नरेन्द्र मोदी से इतनी चिढ है कि वे मोदी की हर बात का तत्काल विरोध करते हैं. इनमें से कई तो कदाचित पाकिस्तान से प्रेम भी करने लगे हैं.
मित्रों, एक और तरह का पाकिस्तान है और वो पाकिस्तान है भारत की राजनीति में काफी लोकप्रिय. इसका इस्तेमाल दक्षिणपंथी राजनीति से जुड़े ऐसे नेता करते हैं जो सिवाय बेहूदा बयानबाजी करने के और कुछ और करना जानते ही नहीं. वो दिन-रात पाकिस्तान-पाकिस्तान की रट लगाए रहते हैं और बात-बात में यह कहते रहते हैं कि इसे पाकिस्तान चले जाना चाहिए, उसे पाकिस्तान भेज दिया जाना चाहिए जैसे उन्होंने लोगों को पाकिस्तान भेजने का ठेका ले रखा है. वे २४ घंटे इस भ्रम में रहते हैं कि पाकिस्तान को गाली देने से हिन्दू खुश हो जाएंगे और उनको वोट दे देंगे. इस तरह की सोंच रखनेवाले कुछ लोग आजकल केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल के पद को सुशोभित कर रहे हैं.
मित्रों, आपको लग रहा होगा कि संज्ञा की तरह पाकिस्तान के पांच ही प्रकार होते होंगे. वैसे मैं भी समझ रहा हूँ यह प्रसंग लंबा होने लगा है. इसलिए एक और प्रकार के पाकिस्तान का जिक्र इस शब्द विलास को समाप्त करने की अनुमति चाहूँगा. दरअसल हमारे भारत में एक और खूंखार प्रजाति है नेताओं की जिनके लिए पाकिस्तान तीर्थस्थल है, वोटबैंक है, दुधारू गाय है, वोटों की एटीएम मशीन है. ये नेता हैं छद्मधर्मनिरपेक्षतावादी गिद्ध सदृश जिनका नेतृत्व आजकल बंगाल की अतिनिर्मम नेता ममता बनर्जी करती हैं. इन लोगों को लगता है कि पाकिस्तान की बड़ाई या बचाव करने से देश-प्रदेश के मुसलमान खुश होते हैं और इन लोगों को अगर ऐसा लगता है शायद काफी हद तक सही भी लगता है क्योंकि ऐसा करने से इनको सचमुच में मुसलमानों का प्रचंड समर्थन मिल जा रहा है. इनके बयान अधिकतर पाकिस्तान को लाभ पहुंचानेवाले होते हैं क्योंकि ये लोग अक्सर अपनी ही सरकार या देशवासियों या अपनी ही सेना पर आरोप लगाते रहते हैं।
मित्रों, मैं समझता हूँ कि अब तक हमने पाकिस्तान की पर्याप्त से भी ज्यादा चर्चा कर ली है. वास्तव में पाकिस्तान इस लायक है ही नहीं कि हम उसके बारे में लिखें. वो तो दुनिया का सबसे घृणित राष्ट्र है, धवल मानवता के चेहरे पर पुती कालिख है जो वेश्या की तरह कभी इसकी गोद में बैठ जाता है तो कभी उसकी गोद में. पहले वो अमेरिका की गोद में बैठा था फिर चीन की गोद में जा बैठा और आजकल सऊदी अरब की गोद में बैठने के चक्कर में है. लेकिन इस बार उसकी दाल गलेगी नहीं जलेगी क्योंकि उसने गलत समय पर भारत से पंगा ले लिया है अब उसे कोई खुदा, भगवान या ईश्वर नहीं बचा सकता.

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