गुरुवार, 11 अप्रैल 2019

इमरान के बयान के पीछे की चाल


मित्रों, मैं हमेशा से मानता रहा हूँ कि कूटनीति में पाकिस्तान का जवाब नहीं. वो ६५ की लडाई मैदान में हार जाता है लेकिन बातचीत की मेज पर मजे से जीत जाता है. साथ ही हमारे प्रधानमंत्री बेहद संदेहास्पद परिस्थितियों में मृत पाए जाते हैं. इसी तरह से ७१ की लडाई हार जाता है, उसके दो टुकड़े हो जाते हैं लेकिन एक बार फिर से बातचीत की मेज पर जीत उसी की होती है. १९९९ में विमान का अपहरण होता है. पाकिस्तानी ही अपहरण करते हैं. बातचीत में मध्यस्थ भी पाकिस्तान ही होता है. छोड़ा भी पाकिस्तानी आतंकवादियों को जाता है. है न गजब. मुझे याद है कि कारगिल की लडाई के समय वाजपेयी जी की सरकार ने एक ऑडियो जारी किया था. जिसमें चीन की यात्रा पर गए पाकिस्तान के तत्कालीन सेनाध्यक्ष पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री से फोन पर बात करते हैं. नवाज शरीफ कहते हैं कि भारत आरोप लगा रहा है कि हमने घुसपैठ की है और उसकी चोटियों पर कब्ज़ा जमा लिया है. तब मुशर्रफ कहता है कि आप ऐसे क्यों नहीं कहते कि वे पाकिस्तानी सैनिक नहीं हैं बल्कि मुजाहिदीन हैं.
मित्रों, इन दिनों जब भारत में लोकसभा के चुनाव चल रहे हैं तब उसी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने बयान दिया है कि भारत में अगर नरेन्द्र मोदी चुनाव जीत जाते हैं तो सबसे ज्यादा ख़ुशी उन्हें होगी. हद तो यह है कि हमारे कुछ राजनेता जो इमरान खान को महापवित्र और सत्यवादी मानते हैं काफी उछल रहे हैं. जबकि मैंने समझता हूँ कि पाकिस्तान का कोई भी नेता या अधिकारी जब भी बोलता है उल्टा ही बोलता है और झूठ ही बोलता है. क्यांकि पाकिस्तान कभी भारत का भला चाह ही नहीं सकता,भारत के भले के बारे में सोंच ही नहीं सकता फिर इमरान खान को तो वहां का प्रधानमंत्री बनाया ही वहां की सेना ने है. ऐसे में उनके बयान को सीधे-सीधे लेना हमारे लिए न केवल मूर्खता होगी बल्कि खतरनाक भी होगा.
मित्रों, इस बीच बालाकोट एयर स्ट्राइक के ४३ दिनों के बाद पश्चिमी पत्रकारों को उस मदरसे की यात्रा करवाई गई है जिस पर भारतीय वायुवीरों ने २६ फरवरी को हमला किया था.मगर पत्रकारों को चुनिन्दा स्थानों तक ही ले जाया गया और किसी से बात नहीं करने दी गई जबकि पाकिस्तान ने हमले के कल होकर ही कहा था कि वो पत्रकारों को उसी दिन वहां ले जाएगा. इस बीच जब रायटर के संवाददाता कई हफ्ते बाद वहां पहुंचे तो उनको भगा दिया गया. सवाल उठता है कि अगर हमला हुआ ही नहीं तो पाकिस्तान को पत्रकारों को वहां ले जाने में ४३ दिन क्यों लगे और मीडिया को वहां पढ़ रहे बच्चों से बात क्यों नहीं करने दिया गया? क्या इमरान के पास इन सवालों का जवाब है?
मित्रों, इमरान कहता है कि मोदी अगर जीतते हैं तो कश्मीर-समस्या हल करने में सहूलियत होगी. कितना शरारती बयान है ये? जबकि सच्चाई तो यह है कि जहाँ एक तरफ पाकिस्तान मोदी से बातचीत करने को बेहाल है वहीँ मोदी तो कश्मीर के मामले में पाकिस्तान को पार्टी या फरीक मानते ही नहीं बल्कि कश्मीर मुद्दे को वो भारत का आंतरिक मामला मानते हैं. हाँ, मोदी की वापसी के बाद कश्मीर-समस्या जरूर हल होगी और वो इस तरह कि आतंकवाद का अंत हो जाएगा-कश्मीर से भी और पाकिस्तान से भी. ज्यादा से भी ज्यादा लगभग पूरी सम्भावना तो यह है कि मोदी की वापसी के बाद शायद पाकिस्तान ही नक्शे से गायब हो जाए.जहाँ तक मुझे लगता है कि चूंकि पीएम मोदी पिछले दिनों चुनाव प्रचारों में यह कहते रहे हैं कि अगर वे हार जाते हैं तो पाकिस्तान में पटाखे फूटेंगे इसलिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से कांग्रेस और भाजपा विरोधी अन्य दलों ने संपर्क करके इमरान खान से ऐसा बयान दिलवाया है जिससे विपक्ष को यह कहने का मौका मिल सके कि देखो पाकिस्तान क्या चाहता है अर्थात पाकिस्तान के हित में किसकी जीत है.
मित्रों, मैं इस लोकसभा चुनाव में जिस व्यक्ति की सबसे ज्यादा कमी महसूस कर रहा हूँ वो है कांग्रेस नेता मणिशंकरअय्यर. बंदा न जाने कहाँ चला गया? क्या अब वो पाकिस्तान से मदद नहीं मांगेगा मोदी को हटाने में? हो सकता है उसी के कहने पर इमरान ने यह शरारतपूर्ण बयान दिया हो और बंदा पाकिस्तान में ही अड्डा जमाए बैठा हो.
मित्रों, मैं कांग्रेस पार्टी से पूछना चाहता हूँ कि जिस प्रशांत भूषण को आगे करके वो राफेल का खेल खेल रही है क्या वो नहीं जानती कि कश्मीर के बारे में उसके ख्याल कितने खतरनाक हैं? वैसे खतरनाक ख्याल तो कांग्रेस के भी हैं न सिर्फ कश्मीर के बारे में बल्कि पूरे भारतवर्ष के बारे में.
मित्रों, अंत में मैंने मुज़फ्फरनगर में जो देखा उसका जिक्र करना चाहूँगा. लगभग सारे सजीव चुनाव प्रसारण हमारे कॉलेज श्रीराम कॉलेज से ही प्रसारित हुए. एक दो को छोड़कर किसी में भी रालोद उम्मीदवार अजित सिंह ने अपना प्रतिनिधि नहीं भेजा. लेकिन कांग्रेस के प्रतिनिधि सारे कार्यक्रमों में आए जबकि अजीत सिंह जिस गठबंधन का हिस्सा हैं कांग्रेस उसमें है ही नहीं. इतना ही नहीं कांग्रेस प्रतिनिधि लगातार बिन बुलाए मेहमान की तरह आकर भाजपा के खिलाफ बोलते रहे. सवाल उठता है कि कांग्रेस ने जब यहाँ से अपना उम्मीदवार ही नहीं दिया और वो गठबंधन में भी नहीं है तो फिर वो कूद-फांद क्यों कर रही है? सच्चाई तो यह है कि हिन्दुकूश पर्वत से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक और जम्मू-कश्मीर से कन्याकुमारी तक सारे भारतविरोधी तत्व एकजुट हो गए हैं और चाहते हैं कि किस तरह से मोदी को हराकर भारत को विकसित और मजबूत होने से रोका जाए और पापिस्तान की रक्षा की जाए. जाहिर है पापिस्तान का नापाक प्रधानमंत्री इमरान खान भी इस खेल में शामिल हैं.

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