मंगलवार, 9 मार्च 2021
जादूगरों के जादूगर मोदी
मित्रों, कौन क्या है, कैसा दिख रहा है और क्या निकलेगा. कौन क्या बोल रहा है और क्या करेगा इसके लिए हमें वक्त का मुंह ताकना पड़ता है. एक समय था जब नरेन्द्र मोदी को भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार घोषित किया था. तब मोदी जादूगरोंवाले कपडे पहनकर प्रचार करते थे. जनता को लगा कि यह व्यक्ति जरूर अपने जादू से देश और देश की जनता का कायाकल्प कर देगा. लेकिन अब जबकि मोदी को प्रधानमंत्री बने लम्बा समय बीत चुका है तब ऐसा लग रहा है कि मोदी जादूगर तो हैं लेकिन अच्छे वाले और अच्छे दिन लानेवाले जादूगर नहीं हैं. बल्कि जनता को अपने जादू के तिलिस्म में भरमाकर लगातार मूर्ख बनानेवाले लोककथाओं वाले जादूगर हैं.
मित्रों, मुझे याद है कि अटल जी के ज़माने में जब स्वर्गीय अनंत कुमार जी को नागरिक उड्डयन मंत्री बनाया गया था तब उन्होंने मीडिया को दिए गए अपने पहले साक्षात्कार में कहा था कि मैं एयर इंडिया का कायाकल्प कर दूंगा. लेकिन हुआ क्या और आज एयर इंडिया किस स्थिति में है यह आप भी जानते हैं.
मित्रों, ऐसा नहीं है कि पहले सरकारी कंपनियों को बेचा नहीं गया. अटल जी के ज़माने में भी बेचा गया लेकिन मेरे एक ग्रामीण जिस तरह भैंसों को बेचते थे उस तरह से बेचा गया. दरअसल वो जमाना बैलों से खेती करने का था. हर दरवाजे पर कई-कई जानवर बंधे रहते थे. तब महनार और पटोरी में जानवरों की हाट लगती थी. मेरे उपरलिखित ग्रामीण जानवरों की दलाली करते थे. कई बार वे मरियल भैंस खरीद लाते. फिर कुछ महीनों तक उनके बेटे-पोते उन भैसों को खूब खिलाते और जब उनकी हालत हाथियों जैसी हो जाती तब दलाल साहब उनको ढेर सारा मुनाफा लेकर बेच देते.
मित्रों, अब अगर हम मोदीजी की सरकार को देखें तो इसका काम अटल जी से सीधा उल्टा है. मोदी जी पहले सरकारी कंपनियों को बर्बाद करते हैं फिर अपने अमीर मित्रों के हाथों उनको औने-पौने दामों में बेच देते हैं. कम्पनी नहीं बिकती तो कंपनी की संपत्ति ही सही. जमीन ही बेच दो. और ये सारा काम मोदी जी की राष्ट्रवादी सरकार देशहित के नाम पर कर रही है.
मित्रों, महंगाई, बेरोजगारी को ही लें तो दोनों अपने चरम पर है लेकिन मोदी जी निश्चिन्त हैं. उनको पता है कि जनता देशहित के नाम पर कुछ भी सह जाने को मानसिक रूप से तैयार बैठी है. बीजेपी की आईटी सेल ने कुछ इस तरह उनका ब्रेनवाश किया है कि जनता जान देगी लेकिन उफ्फ तक नहीं करेगी.
मित्रों, मोदी जी किसी से नहीं डरते. ५६ ईंच का सीना है उनका. बस सवालों और आलोचनाओं से डरते हैं. मीडिया के सवालों से बचने के लिए वे कभी प्रेस कांफ्रेंस नहीं करते. जो भी बोलते हैं सिर्फ संसद में बोलते हैं या फिर एकतरफा भचर-भचर करते रहते हैं. उनके लिए मीडिया का कोई महत्व नहीं है. क्या मोदी सिर्फ संसद के प्रति जिम्मेदार हैं जनता के प्रति जिम्मेदार नहीं है? क्या मोदी जी को सवालों से डर नहीं लगता है? फिर वे ५६ ईंच सीना वाले कैसे हुए?
मित्रों, मोदी जी का लक्ष्य देश को लाभ पहुंचाना है ही नहीं बल्कि खरीदारों को लाभ पहुंचाना है। सरकारी कंपनियों की तरह मोदी जनता को भी पहले कंगाल बना रहे हैं फिर बेच देंगे। सांसों पर भी टैक्स लगेगा और वसूली अंबानी अडानी करेंगे। यह हमारा दुर्भाग्य है कि हम जिसको भी चुनते हैं वो डाकू निकलता है। कोई सीधे घोटाला करके डाका डालता है तो कोई इंद्रजाल फैलाकर। मोदी जी कहते हैं कि निजीकरण से देश का कायाकल्प होगा. लेकिन निजी स्कूलों और अस्पतालों की हालत क्या है? अभी तीर्थराज प्रयाग में एक निजी अस्पताल में डॉक्टर ने इसलिए तीन साल की ख़ुशी का पेट आपरेशन के बाद खुला छोड़ दिया क्योंकि उसके माता-पिता ५ लाख रूपये नहीं जमा करवा पाए. ईश्वर ख़ुशी की दिवंगत आत्मा को देशहित में खुश रखे. जब कुछ भी सरकारी नहीं बचेगा तो पूँजी की हृदयहीनता और मुनाफाखोरी से जनता की रक्षा कौन करेगा? वह पूँजी राम मंदिर में करोड़ों का समर्पण कर देगी लेकिन ख़ुशी और ख़ुशी के परिवार की ख़ुशी के लिए दो-चार लाख रूपये नहीं छोड़ेगी. रही बात सरकारी कामकाज की तो ऐसी कौन-सी कुर्सी है जिसकी नीलामी नहीं हो रही है या ऐसा कौन-सा टेबल है जहाँ बिना सेवा-शुल्क लिए जनता की सेवा की जाती है. देश में आज भी वही पुलिस है, वही न्यायालय है और वही बेबसी व लाचारी है. मोदी जी ने वादा किया था कि उनके राज में चलता है नहीं चलेगा फिर चल कैसे रहा है? भ्रष्टाचार समाप्त नहीं हुआ बस उसका रूप बदल गया है. पहले घोटालों के आरोप इंसानों पर लगते थे अब दो पैर वाले चूहे चार पैर वाले चूहों पर हजारों लीटर शराब गटक जाने के आरोप लगाने लगे हैं.
मित्रों, चाहे बंगाल हो या केरल या कोई अन्य राज्य. चाहे वो लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव मोदी जी के आने से पहले जो सच था, वह आज भी सच है और कल जब मोदी नहीं रहेंगे तब भी सच रहेगा. किसी अनाम कवि ने कहा है-
हमारे देश में चुनाव क्या है?
एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से बकरे
अपने लिए सबसे अच्छे कसाई को चुनते हैं.
मित्रों, कभी-कभी हमारे देश के हास्य कवि भी बड़ी गंभीर बातें कर जाते हैं. सुरेन्द्र शर्मा जी अपनी एक कविता में कहते हैं कि
जनता तो सीता है
रावण राजा बना तो हर ली जाएगी
और राम राजा बने तो अग्निपरीक्षा के बाद फिर से वनवास पर भेज दी जाएगी
जनता तो द्रौपदी है
अगर कौरव राजा बने तो उसका चीर हरण हो जाएगा
और अगर पांडव राजा बने तो दांव पर लगा दी जाएगी.
जीते कोई हारना तो जनता को ही है.
तुलसीदास के समय राम नाम की लूट थी
और आज राम के नाम पर लूट मची है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें