रविवार, 11 सितंबर 2022

पीके से भयभीत नीतीश

मित्रों, करीब ढाई-तीन दशक पहले की बात है. जब मैं बीए में पढ़ रहा था तब मुझ पर शतरंज सीखने का नशा चढ़ा. मुझे लगता था कि मैं काफी तेज दिमाग का हूँ. मैंने एक किताब शतरंज कैसे खेलें और बिसात-मोहरे आदि खरीदे. जब शतरंज की एबीसीडी सीख ली तब समस्या यह थी कि खेलूँ किसके साथ. उस समय मेरा भांजा बंटी हमारे यहाँ ही रहता था. तब वो मात्र आठ-नौ साल का रहा होगा. मैंने उसे अपने साथ शतरंज खेलने को कहा. शुरू में चूंकि उसे शतरंज आती नहीं थी इसलिए मैं एकतरफा जीतता रहा. फिर एक दिन उसने मुझे मात दे दी. मैं गुस्से में आ गया और बिसात ही पलट दी. थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि खेल तो खेल है इसमें जीत-हार होती रहती है. मित्रों, हमारे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी बिहार में अपनी संभावित हार को देखते हुए बौखला गए हैं. दरअसल उनको लगता है कि उनको कोई हरा ही नहीं सकता. वो यह समझने को तैयार ही नहीं हैं कि राजनीति भी शतरंज के खेल के समान होती है और नीतीश जी राजनीति की बिसात पर अब तक की सबसे गलत चाल चल चुके हैं. जिस परिवार और विचारधारा के खिलाफ नीतीश जी पिछले २५ सालों से राजनीति करते आ रहे हैं उसी के चरणों में जाकर लमलेट हो गए. इतना ही नहीं जो परिवार कल तक नीतीश जी की नजरों में भ्रष्टाचार का प्रतीक था आज परम पवित्र हो गया? आज उस परिवार की घोटालों से अर्जित कई हजार करोड़ की संपत्ति अचानक महा सफ़ेद हो गई? सारे पाप समाप्त? मित्रों, इतना ही नहीं नीतीश जी कह रहे हैं कि प्रशांत किशोर जी को दिख नहीं रहा कि उन्होंने बिहार के लिए क्या किया है. तो मैं नीतीश जी से कहना चाहता हूँ कि दिख तो आपको भी नहीं रहा है कि आपने बिहार के लिए क्या किया है. आज झूठे हैं और इसलिए आपका स्वयं को बिहार-निर्माता मानने का घमंड भी झूठा है क्योंकि हर झूठे व्यक्ति में झूठा घमंड होता ही है. बिहार के लिए आपने ऐसा कुछ भी नहीं किया है जिसका आप जिक्र कर सकें. नीतीश जी पहले बिहार में एक ही लालू थे अब हजारों लालू हैं जो कलम दिखाकर आपकी सरकार के हजारों कार्यालयों में जनता को दिन-रात लूट रहे हैं. नीतीशजी आपके कार्यकाल में भ्रष्टाचार और नौकरशाही चरम पर है. हर तरफ रूदन और बर्बादी है. ये जंगल राज टाइप टू है. पहले गुंडे लूट रहे थे अब अधिकारी लूट रहे हैं. रक्षक भक्षक बन गए हैं. लोक शिकायत कार्यालयों में कोई समाधान नहीं मिल रहा सिर्फ मामलों को निष्पादित किया जाता है. जज को दारोगा न सिर्फ उनके चेंबर में घुसकर पीटता है बल्कि उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करता है और आप कहते हैं कि बिहार में कहाँ जंगल राज है. आपको अपनी ही आँख का ढेढ़र सूझ नहीं रहा है? आपके सातों निश्चय बहुत पहले दम तोड़ चुके हैं. तोड़ते भी क्यों नहीं आपने सारे ईमानदार अधिकारियों को मक्खी मारने का काम जो दे रखा है और सारे बेईमान अधिकारियों को फिल्ड में लगा रखा है. मित्रों, पूरी बिहार सरकार का ऐसा कोई महकमा नहीं जो ठीक-ठाक काम कर रहा हो. पुलिस स्वयं सबसे ज्यादा कानून तोडती है, थानों में बिना रिश्वत एफआईआर दर्ज नहीं होता. बीपीएससी दुकान बन गई है, पुल उद्घाटन से पहले गिर जा रहे हैं, नौकरी मांगने पर लाठी मारी जाती है, तिरंगे तक का अपमान किया जाता है लेकिन अधिकारी का बाल भी बांका नहीं होता. बिहार में सरकार नाम की चीज नहीं है और नीतीश जी प्रधानमंत्री बनकर पूरे भारत को बिहार बना देने के सपने देख रहे हैं. एक शाहे बेखबर मुग़ल बादशाह बहादुर शाह प्रथम था और दूसरे नीतीश कुमार जी हुए हैं. एक और मुग़ल बादशाह शाह आलम के बारे में कहा जाता था कि शहंशाहे शाह आलम, दिल्ली ते पालम. अर्थात शाह आलम का शासन तो कम-से-कम दिल्ली से पालम तक था नीतीश जी का कहीं नहीं है. मित्रों, पूरे बिहार की जनता के विश्वास के साथ धोखा करने वाले, पूरे बिहार की जनता के त्याग के साथ धोखा करनेवाले नीतीश कुमार को अब भी लगता है कि वो बिना कोई उल्लेखनीय काम किए सिर्फ सामाजिक समीकरण के बल पर फिर से चुनाव जीत जाएंगे. नीतीश जी सत्ता के नशे से बाहर आईए. आप प्रशांत जी से भयभीत हैं इसलिए अंड-बंड बोल रहे हैं. २०१५ में आपके सारथी रहे प्रशांत किशोर जी ने अब आपकी निकम्मी सरकार को उखाड़ फेंकने का बीड़ा उठा लिया है. २ अक्तूबर से उनका दांडी मार्च भी शुरू हो जाएगा जो आपके घमंड के ताबूत की आखिरी कील साबित होगा. बस दिन गिनने शुरू कर दीजिए.

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