बुधवार, 20 मार्च 2024

सावधान इंडिया, शांतिप्रिय समाज से सावधान

मित्रों, इतिहास गवाह है कि पिछले १४०० सालों में जितने निर्दोषों की हत्या कथित शांतिप्रिय लोगों ने की है उतनी कदाचित हमारे धर्मग्रंथों में वर्णित राक्षसों ने भी नहीं की होगी. सब जानते हैं कि दुनिया भर में चल रही जेहादी हिंसा के लिए कुरान की २६ आयतें जिम्मेदार हैं लेकिन सब चुप हैं. न तो कमलेश तिवारी के हत्यारों की उनसे कोई व्यक्तिगत दुश्मनी थी, न ही कन्हैयालाल के हत्यारों की कन्हैयालाल से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी थी. जेहादी हिंसा के शिकार निर्दोष हिन्दुओं लिस्ट काफी लम्बी है इसलिए सीधे कल की बदायूं में घटी घटना पर आते हैं. हुआ यूं कि दो मुस्लिम पडोसी अपने हिन्दू पडोसी विनोद सिंह के घर पर ५००० रू. कर्ज मांगने के बहाने जाते हैं. स्वागत में जब उनकी पत्नी सुनीता चाय बनाने में लग जाती है तब साजिद नामक नमाजी दूसरी मंजिल पर चला जाता है और उनके तीनों बेटे आयुष (१२ वर्ष), हनी (८ वर्ष) और पीयूष पर उस्तरे से हमला कर देता है जिसमें आयुष और हनी गला काटे जाने के चलते तत्काल दम तोड़ देते हैं जबकि पीयूष किसी तरह भागने में सफल हो जाता है. इतना ही नहीं वह नरपिशाच गला काटने के बाद उन बच्चों का खून भी पीता है. उधर जावेद सुनीता के पास ही बैठा रहता है और उनकी खतरनाक योजना से अनजान सुनीता उसे 5000 रू दे भी देती है। मित्रों, पिछले १४०० सालों से जेहादियों ने पूरी दुनिया में निर्दोषों की हत्या का जैसे ठेका लिया हुआ है. भला १२ या ८ साल के बच्चे से किसी की क्या दुश्मनी हो सकती है? उनलोगों ने उनका क्या बिगाड़ा होगा सिवाय हिन्दू माता-पिता से जन्म लेने के सिवाय? ७ अक्तूबर २०२३ को इजरायल में हमास ने जिस तरह की राक्षसी हिंसा का नग्न प्रदर्शन किया उसे पूरी दुनिया ने देखा है. भारत में भी चाहे 1920 के दशक में मोपलाओं द्वारा किया गया हिन्दू नरसंहार हो या 16 अगस्त 1946 को कोलकाता नरसंहार हो या 1990 में कश्मीर में किया गया हिन्दुओं का नरसंहार हो या फिर 2002 में गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस अग्रिकांड हो या फिर २०२० के दिल्ली के एकतरफा दंगे हों मानवता के हत्यारों द्वारा लगातार की गई रक्तरंजित हिंसा के बावजूद हम हिन्दुओं की आँखें बंद हैं और हम भाईचारे के गीत गाने में मगन हैं. हमें बहुत पहले सावधान हो जाना चाहिए था. हम यह नहीं कहते कि हमें उनपर हमला कर देना चाहिए लेकिन अपनी आत्मरक्षा के लिए हम पारंपरिक हथियार तो रख ही सकते हैं. साथ ही हमें झूठी धर्मनिरपेक्षता के खतरों को भी समझना होगा. इतना ही नहीं हमें आनेवाले लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी का हाथ मजबूत करना होगा और ४०० सीटों पर जिताना होगा अन्यथा भारत को भारत-विरोधी राक्षसी शक्तियों के हाथों में जाने से कोई नहीं रोक सकेगा. फिर हम हिंदुओं का वही होगा जो इन दिनों पाकिस्तान और बांग्लादेश में हो रहा है।

कोई टिप्पणी नहीं: