सोमवार, 23 मई 2022

रंजीत, सोनू और नीतीश

मित्रों, इन दिनों बिहार में मौसम बहारों जैसा भले ही हो नीतीश कुमार जी के लिए बिहार का राजनैतिक मौसम बिलकुल भी मुफीद नहीं है. एक तरफ भाजपा आरसीपी को आगे करके उनको हटाना चाहती है वहीँ दूसरी तरफ मनमोहन सिंह की तरह रेनकोट पहनकर स्नान करनेवाले नीतीश कुमार के दामन पर लगातार दाग-पर-दाग लगते जा रहे हैं. ऐसा नहीं है कि बिहार लोक सेवा आयोग में पहले गड़बड़ी नहीं होती थी. हम तो सुनते आ रहे हैं कि ५० साल पहले भी रिश्वत देने पर रैंक में सुधार कर दिया जाता था. बीपीएससी में भ्रष्टाचार था लेकिन बहुत कम. बहुत सारे युवा जो निहायत गरीब होते थे वो लालू राज में भी पास हो जाते थे लेकिन जबसे नीतीश जी मुख्यमंत्री बने हैं ऐसा होना बंद-सा हो गया है. लोग बताते हैं कि अब पूरी-की-पूरी सीट पहले ही बेच दी जाती है. आश्चर्य तो इस बात का है कि हर साल होनेवाले करोड़ों रूपये के लेनदेन के बारे में न तो ईडी और न ही सीबीआई आज तक कुछ भी पता लगा पाई है. यहाँ तक कि नीतीश जी के एक स्वजातीय नेताजी जिनसे आजकल नीतीश जी का ३६ का आंकड़ा है का नाम भाई लोगों ने वसूली भाई रख दिया था. मित्रों, इसी क्रम में नीतीश जी के एक और घनघोर नजदीकी है जिनका नाम है रंजीत कुमार सिंह, आईएएस. रंजीत वैशाली जिले की देसरी थाने के फटिकवारा गाँव के हैं. ये गुजरात कैडर के आईएएस हैं लेकिन लगातार बिहार में प्रतिनियुक्ति पर बने हुए हैं. आईएएस बनने के कुछ सालों के भीतर ही हाजीपुर के औद्योगिक क्षेत्र में जमीन के बड़े-बड़े प्लाट की इन्हें खरीदने के लिए तलाश थी. पता नहीं कितनी जमीन खरीदी जब आर्थिक अपराध ईकाई नहीं जाने तो हम कैसे जानें. लेकिन सच तो यह है कि ऊपर-ऊपर महात्मा गाँधी बननेवाले रंजीत जहाँ कहीं भी, जिस विभाग में रहे वहां जमकर गड़बड़ियाँ हुई. फलस्वरूप उनका विभाग लगातार बदलता रहा. अभी कुछ महीने पहले ही जब प्राथमिक शिक्षकों की काउंसिलिंग का भार उनके माथे पर था तब गड़बड़ियों के कारण कई जिलों में पूरी काउंसिलिंग को रद्द करना पड़ा. फिर भी उनको दण्डित करने के बदले एक बार फिर उनका विभाग बदल दिया गया. मित्रों, उन्हीं नीतीश जी के स्वजातीय रंजीत कुमार सिंह का नाम एक बार फिर से इन दिनों सुर्ख़ियों में है. बीपीएससी के इतिहास में पहली बार परीक्षा से पहले प्रश्न पत्र आउट हो गया है और उसके तार रंजीत कुमार सिंह से भी जुड़े हैं. आउट प्रश्न पत्र अन्य आरोपियों के अलावा रंजीत कुमार सिंह को भी व्हाट्स एप के माध्यम से भेजा गया था. आरोप तो यह भी लग रहा है कि सीतामढ़ी में उन्होंने कुछ प्रतियोगियों से पैसों की वसूली भी की थी. प्रति छात्र १० लाख. लेकिन बिहार पुलिस कह रही है कि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं. ऐसे कई लोग जिनके मोबाइल पर प्रश्न पत्र भेजा गया पुलिस की गिरफ्त में हैं लेकिन रंजीत कुमार सिंह समान सबूत मिलने के बावजूद बिहार सरकार में पंचायत विभाग के निदेशक जैसे महत्वपूर्ण पद पर बने हुए हैं और शायद बने रहकर बिहार की जनता की छाती पर मूंग दलने का काम करते रहेंगे. नीतीश जी के प्रिय जो ठहरे. मित्रों, अभी बीपीएससी के प्रश्न-पत्र के आउट होने और जनता के बीच मामला आउट हो जाने का मामला गरम ही था कि नीतीश जी की मति मारी गई और वो अपने गाँव कल्याण बिगहा में जनता दरबार लगा बैठे. संयोग से वहां उनके पडोसी गाँव नीमाकौल का सोनू यादव भी आया हुआ था. मध्य विद्यालय नीमकौल में पढनेवाले सोनू ने हिम्मत दिखाकर मुख्यमंत्री जी को अपने पास बुलाया और फिर जो कहा उससे न सिर्फ नीतीश कुमार बल्कि पूरी बिहार सरकार सन्नाटे में आ गई. उनसे कहा कि वो निहायत गरीब परिवार से है. उसके पिता दही बेचते हैं और वो ५वीं तक के बच्चों को ट्यूशन पढाता है लेकिन उनके पिता जमकर शराब पीते हैं और अपने साथ-साथ उसकी कमाई भी पी जाते हैं. स्कूल जहाँ वो पढता है वहाँ पढाई नहीं होती. शिक्षक आते नहीं और जो आते हैं उनको कुछ भी नहीं आता. दीपक सर को बिलकुल नहीं आता. सोनू ने नीतीश जी से मीडिया के सामने कहा कि वो आईएएस बनना चाहता है लेकिन उसमें उसके पिता की पियक्कड़ी और सरकारी स्कूल में पढाई नहीं होना बाधा बन रहा है. बमुश्किल २ मिनट में छठी कक्षा में पढनेवाले ११ वर्षीय सोनू ने नीतीश कुमार के सामने उनकी सरकार की पोल खोलकर रख दी, नंगा करके रख दिया. मित्रों, उसके बाद डैमेज कण्ट्रोल शुरू हुआ और सरकार ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे विद्यालय का दौरा भी किया करें. लेकिन सवाल उठता है कि जिन एक लाख सत्तर हजार शिक्षकों की बहाली नीतीश जी ने पंचायतों के माध्यम से करवाई उन अयोग्य शिक्षकों का वो क्या करेंगे? सोनू के स्कूल के दीपक सर जिनका सोनू ने मुख्यमंत्री जी से जिक्र किया था उन दीपक सर का क्या करेंगे जिनको एबीसीडी तक नहीं आती. मित्रों, कुल मिलाकर इन दिनों बिहार सरकार किंकर्तव्यविमूढ़ की अवस्था में है. राजस्व विभाग में भी लेटलतीफ अंचलाधिकारियों पर मेरे आलेख लिखने के बाद कार्रवाई हुई है लेकिन उन लोगों के खिलाफ कुछ भी नहीं हुआ है जो पैसा नहीं देने पर बेवजह दाखिल ख़ारिज के आवेदन को अस्वीकृत कर देते हैं. होना तो यह चाहिए कि जनता को लूट-लूट कर मोटे हो चुके राजस्व विभाग के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की संपत्ति की समदरका जांच होनी चाहिए और उसके बाद उनको सीधे बर्खास्त किया जाना चाहिए. साथ ही रंजीत कुमार सिंह की संपत्ति की भी न केवल जांच होनी चाहिए बल्कि पद से बर्खास्त कर जेल भेजना चाहिए. साथ ही सारे अयोग्य और ड्यूटी से गायब रहनेवाले शिक्षकों को घर बैठना चाहिए. साथ ही शराबबंदी को लेकर किए जा रहे पाखंड को छोड़कर पूरे मन से कार्रवाई करनी होगी. साथ ही न केवल बिहार लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों बल्कि उसमें काम करनेवाले अन्य लोगों की संपत्ति की भी जांच हो और ज्यादा पाए जाने पर उनको भी जेल भेला जाए. मगर ऐसा होगा क्या?

बुधवार, 11 मई 2022

मंत्री जी को शर्म आती है

मित्रों, अभी २ साल भी नहीं हुए जब हम कथित इन्टरनेट आतंकवादियों ने बिहार विधानसभा चुनावों के समय भाजपा को जिताने के लिए अपनी जान लगा दी थी इस आशा में कि इस बार सरकार अच्छा काम करेगी जिससे भ्रष्टाचार घटेगा. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. मित्रों, आपलोग भी जानते हैं कि बिहार ही नहीं भारत का सबसे भ्रष्ट विभाग राजस्व विभाग है. बिहार में प्रत्येक अंचल में एक अंचलाधिकारी होता है जिसके मातहत कई हल्का कर्मचारी और अंचल निरीक्षक होते हैं. हुआ यह कि मेरी कुछ जमीन वैशाली जिले के महनार अंचल के जगरनाथपुर, हरपुर, भटगामा, गोरिगामा और फटिकवारा में है जिनके दाखिल ख़ारिज के लिए हमने १ जनवरी, 2021 को आवेदन दिया था. इसमें से जगरनाथपुर, हरपुर और भटगामा का दाखिल ख़ारिज जनवरी २०२२ में कर दिया गया. तब अंचलाधिकारी महोदय ने सम्बंधित सभी दस्तावेजों का गहराई से अध्ययन किया था. अभी कल-परसों फटिकवारा का आवेदन (आवेदन संख्या-१७२२, वित्तीय वर्ष-२०२०-२१) उन्होंने इस आधार पर अस्वीकृत कर दिया है कि दस्तावेज अपठनीय है जबकि सारे दस्तावेज वही हैं जो जगरनाथपुर, हरपुर और भटगामा के आवेदन के साथ संलग्न थे. सवाल उठता है कि जो दस्तावेज जनवरी में पठनीय थे अब अपठनीय कैसे हो गए जबकि सीओ साहब वही रमेश प्रसाद सिंह जी हैं? इतना ही नहीं कर्मचारी और सीआई ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि जमीन खतियानी है, जगरानी देवी ने न्यायालय से डिक्री प्राप्त की है और जमीन उनके कब्जे में भी है फिर भी बेवजह आवेदन को मनमाने तरीके से अस्वीकृत कर दिया गया. मित्रों, जब हमने इस बारे में सीओ से बात की तो उन्होंने यह कहकर फोन काट दिया जो होना था हो गया अब डीसीएलआर के यहाँ अपील करिए, हम कुछ नहीं कर सकते. इस वार्तालाप का ऑडियो भी हमारे पास है. क्या यही वो रामराज्य है जिसके लाने का वादा भाजपा करती है? बिहार के राजस्व मंत्री राम सूरत राय भी भाजपा कोटे से हैं इसलिए यहाँ यह बहाना भी नहीं चलनेवाला कि मंत्री जदयू कोटे से है. मंत्री जी कई बात कह चुके हैं और सार्वजानिक रूप से कह चुके हैं कि उनके विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण उनको शर्म आती है लेकिन स्थिति में बदलाव के लिए कुछ करते नहीं. पूरे विभाग में बिना रिश्वत के पत्ता तक नहीं हिलता. पैसे दो तो दस्तावेज खूब पठनीय हो जाता है और नहीं दो पूरी तरह से अपठनीय हो जाता है. सबकुछ अंधाधुंध तरीके से चलाया जा रहा है. किसी की कोई जवाबदेही नहीं. मित्रों, पाँचों ऊँगली घी में और सर कढ़ाई में विभागवाले मंत्री जी को क्या सचमुच में शर्म आती है या वो शर्माने का नाटक कर रहे हैं? वैसे स्वयं मोदी जी भी कोरोना टीका लेते समय स्वीकार कर चुके हैं कि नेताओं की चमड़ी मोटी होती है. अगर मंत्री जी को सचमुच शर्म आती है तो महनार के सीओ की संपत्ति की जाँच करवाते हुए पूछा जाना चाहिए कि कर्मचारी और सीआई की रिपोर्ट सकारात्मक होने के बावजूद जगरानी देवी के फटिकवारा का दाखिल ख़ारिज का आवेदन कैसे अस्वीकृत कर दिया गया? इतना ही नहीं सीओ के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करते हुए उक्त दाखिल ख़ारिज को स्वीकृत किया जाना चाहिए. आखिर हम अपील में जाकर सीओ की मनमानी का खामियाजा भुगतते हुए क्यों हजारों रूपये खर्च करें?

मंगलवार, 3 मई 2022

नेहरु बनते मोदी

मित्रों, यह कार्टून सिर्फ एक कार्टून नहीं है बल्कि हिन्दुओं के देश हिंदुस्तान में हिन्दुओं की स्थिति को बयान करती पूरी किताब है. आजादी के बाद से ही यह हालत है, यही हालत है. आप चाहें तो फोटोशोप कर नेहरु को हटाकर मोदी को लगा सकते हैं, मोहन भागवत या इन्द्रेश कुमार को लगा सकते हैं सच्चाई में कोई फर्क नहीं पड़ेगा.