बुधवार, 11 मई 2022
मंत्री जी को शर्म आती है
मित्रों, अभी २ साल भी नहीं हुए जब हम कथित इन्टरनेट आतंकवादियों ने बिहार विधानसभा चुनावों के समय भाजपा को जिताने के लिए अपनी जान लगा दी थी इस आशा में कि इस बार सरकार अच्छा काम करेगी जिससे भ्रष्टाचार घटेगा. लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
मित्रों, आपलोग भी जानते हैं कि बिहार ही नहीं भारत का सबसे भ्रष्ट विभाग राजस्व विभाग है. बिहार में प्रत्येक अंचल में एक अंचलाधिकारी होता है जिसके मातहत कई हल्का कर्मचारी और अंचल निरीक्षक होते हैं. हुआ यह कि मेरी कुछ जमीन वैशाली जिले के महनार अंचल के जगरनाथपुर, हरपुर, भटगामा, गोरिगामा और फटिकवारा में है जिनके दाखिल ख़ारिज के लिए हमने १ जनवरी, 2021 को आवेदन दिया था. इसमें से जगरनाथपुर, हरपुर और भटगामा का दाखिल ख़ारिज जनवरी २०२२ में कर दिया गया. तब अंचलाधिकारी महोदय ने सम्बंधित सभी दस्तावेजों का गहराई से अध्ययन किया था. अभी कल-परसों फटिकवारा का आवेदन (आवेदन संख्या-१७२२, वित्तीय वर्ष-२०२०-२१) उन्होंने इस आधार पर अस्वीकृत कर दिया है कि दस्तावेज अपठनीय है जबकि सारे दस्तावेज वही हैं जो जगरनाथपुर, हरपुर और भटगामा के आवेदन के साथ संलग्न थे. सवाल उठता है कि जो दस्तावेज जनवरी में पठनीय थे अब अपठनीय कैसे हो गए जबकि सीओ साहब वही रमेश प्रसाद सिंह जी हैं? इतना ही नहीं कर्मचारी और सीआई ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि जमीन खतियानी है, जगरानी देवी ने न्यायालय से डिक्री प्राप्त की है और जमीन उनके कब्जे में भी है फिर भी बेवजह आवेदन को मनमाने तरीके से अस्वीकृत कर दिया गया.
मित्रों, जब हमने इस बारे में सीओ से बात की तो उन्होंने यह कहकर फोन काट दिया जो होना था हो गया अब डीसीएलआर के यहाँ अपील करिए, हम कुछ नहीं कर सकते. इस वार्तालाप का ऑडियो भी हमारे पास है. क्या यही वो रामराज्य है जिसके लाने का वादा भाजपा करती है? बिहार के राजस्व मंत्री राम सूरत राय भी भाजपा कोटे से हैं इसलिए यहाँ यह बहाना भी नहीं चलनेवाला कि मंत्री जदयू कोटे से है. मंत्री जी कई बात कह चुके हैं और सार्वजानिक रूप से कह चुके हैं कि उनके विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण उनको शर्म आती है लेकिन स्थिति में बदलाव के लिए कुछ करते नहीं. पूरे विभाग में बिना रिश्वत के पत्ता तक नहीं हिलता. पैसे दो तो दस्तावेज खूब पठनीय हो जाता है और नहीं दो पूरी तरह से अपठनीय हो जाता है. सबकुछ अंधाधुंध तरीके से चलाया जा रहा है. किसी की कोई जवाबदेही नहीं.
मित्रों, पाँचों ऊँगली घी में और सर कढ़ाई में विभागवाले मंत्री जी को क्या सचमुच में शर्म आती है या वो शर्माने का नाटक कर रहे हैं? वैसे स्वयं मोदी जी भी कोरोना टीका लेते समय स्वीकार कर चुके हैं कि नेताओं की चमड़ी मोटी होती है. अगर मंत्री जी को सचमुच शर्म आती है तो महनार के सीओ की संपत्ति की जाँच करवाते हुए पूछा जाना चाहिए कि कर्मचारी और सीआई की रिपोर्ट सकारात्मक होने के बावजूद जगरानी देवी के फटिकवारा का दाखिल ख़ारिज का आवेदन कैसे अस्वीकृत कर दिया गया? इतना ही नहीं सीओ के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करते हुए उक्त दाखिल ख़ारिज को स्वीकृत किया जाना चाहिए. आखिर हम अपील में जाकर सीओ की मनमानी का खामियाजा भुगतते हुए क्यों हजारों रूपये खर्च करें?
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