गुरुवार, 28 फ़रवरी 2019

मोदी है तो मुमकिन है


मित्रों, पिछले तीन दिन भारतीय उपमहाद्वीप और पूरी दुनिया के इतिहास में काफी महत्वपूर्ण साबित होने जा रहे हैं. इन तीन दिनों में भारत और दुनिया को जो देखने का सुअवसर मिला उसके बारे में आज से ५ साल पहले कोई सोंच भी नहीं सकता था. भारत ने परसों पाकिस्तान के ८० किलोमीटर भीतर तक स्थित आतंकी ठिकानों को न सिर्फ एयर स्ट्राइक करके उड़ा दिया बल्कि पूरी दुनिया के समक्ष उसकी घोषणा भी की और पापिस्तान पाकिस्तान परमाणु बम की धमकी देता रह गया. कल पापिस्तान ने जब भारत के सैन्य ठिकानों पर जवाबी एयर स्ट्राइक करने की कोशिश की तो भारत ने तकनीकी रूप से ६० साल पीछे के विमानों के द्वारा पाकिस्तान के अत्याधुनिक एफ १६ विमान को मार गिराया. दुर्भाग्यवश जिस जाबांज वायुसैनिक ने यह असंभव कारनामा कर दिखाया खुद उसके विमान में भी आग लग गई क्योंकि मिग विमान एयर क्रैश के लिए ही जाना जाता है और उसे पापिस्तान में उतरना पड़ा. हद तो यह हुई कि पापिस्तान की पापी जनता ने अपने ही पायलट की पीट-पीटकर हत्या कर दी।
मित्रों, इसके बाद पापिस्तान ने सोंचा कि वायुसैनिक अभिनन्दन को ढाल बनाकर वो मोदी सरकार को उसी तरह से ब्लैक मेल कर लेगा जैसे १९९९ में कंधार विमान अपहरण के समय वाजपेयी सरकार को किया था. लेकिन मोदी जी की सरकार ने दहाड़ते हुए कहा कि हमारे सैनिक को बिना शर्त अविलम्ब रिहा कर वर्ना गंभीर परिणाम भुगतने को तैयार रह. यह अपार हर्ष का विषय है कि पापिस्तान कल अभिनन्दन को बिना शर्त रिहा करने जा रहा है.
मित्रों, इससे पहले जब बालाकोट में जैश के सबसे बड़े प्रशिक्षण शिविर को भारतीय वायुसैनिकों ने उड़ा दिया तब पापिस्तान की हालत देखने लायक थी. पापिस्तान न तो यह कह सकता था कि भारत ने उसके नागरिकों को मारा है और न ही यह कह सकता था कि नहीं मारा है. अंत में उसने यह कहना शुरू कर दिया कि भारत ने खाली स्थानों पर बम गिराया है मगर उसकी पोल खुद बालाकोट के निवासियों ने ही खोल दी यह कहकर कि ऊपर पहाड़ पर स्थित मदरसे पर बम गिरा है मगर पापिस्तान की सेना उस तरफ किसी को जाने नहीं दे रही. पापिस्तान ने यह बार-बार कहा कि वो पूरी दुनिया की मीडिया को उस स्थान पर ले जाएगी जहाँ भारत ने बम गिराए हैं लेकिन उसने अब तक भी ऐसा नहीं किया है. इस बीच गुप्त सूत्रों से सूचना मिल रही है कि पापिस्तान मारे गए आतंकवादियों के शवों को ठिकाने लगाने में जुटा हुआ है.
मित्रों, कुल मिलाकर मोदी पापिस्तान को मार भी रहे हैं और हद तो यह है कि रोने भी नहीं दे रहे. यह नया भारत है न कि मनमोहन का २००८ का भारत जब वायुसेना सरकार से एयर स्ट्राइक की अनुमति मांगती रह गई और सरकार ने अनुमति नहीं दी. आज का भारतीय नेतृत्व न सिर्फ पापिस्तान बल्कि चीन से भी आँखों में आँखें डालकर बातें करता है डरने का तो प्रश्न ही नहीं उठता.
मित्रों, वास्तव में भारत की सेना कभी कमजोर थी ही नहीं १९६२ में भी नहीं जब चीन के हाथों भारत को हार का सामना करना पड़ा था तब भी नहीं बल्कि कमजोर था तो हमारा नेतृत्व. यह हमारा सौभाग्य है कि आज भारत का जितना वैश्विक रूतबा है पहले कभी नहीं था. इतिहास के पन्नों को अगर हम पलट कर देखें तो १९६९ में इस्लामिक राष्ट्रों की बैठक में से भारत के प्रतिनिधियों को बैठक स्थल से वापस लौटा दिया गया था क्योंकि पापिस्तान ने बैठक के बहिष्कार की धमकी दी थी और कल उसी इस्लामिक राष्ट्रों की बैठक में भारत पहली बार गेस्ट ऑफ़ ऑनर बनने जा रहा है. पापिस्तान एक बार फिर से बहिष्कार की धमकी दे रहा लेकिन उसकी तरफ कोई ध्यान ही नहीं दे रहा.
मित्रों, तत्काल यह प्रसंग नरकेसरी अभिनन्दन की रिहाई के बावजूद मुझे नहीं लगता कि समाप्त होने है क्योंकि नया भारत तब तक अपने बढ़ते कदम को नहीं रोकेगा जब तक पापिस्तान की धरती से आतंकवाद को जड़-मूल से समाप्त नहीं कर दिया जाता और मसूद, सईद जैसे आतंकी सरगनाओं को भारत के हवाले नहीं कर दिया जाता. पापिस्तान को यह अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कि भारत की दुश्मनी पापिस्तान के साथ नहीं है, बिलकुल नहीं है बल्कि उसकी दुश्मनी सिर्फ और सिर्फ आतंकवाद से है. हालाँकि इस बीच भारत ने पिछले ३ दिनों में विश्व समुदाय को यह जरूर बता दिया है कि भविष्य में विश्व का नेतृत्व कोई और देश नहीं बल्कि हमारा भारत करेगा. सूरज हमेशा पूरब से उगता है और इस बार भी दुनिया को अपनी धमक और चमक से चकाचौंध कर देनेवाला सूरज पूरब से उदित हो रहा है और उसका नाम है भारत. अंत में भारत की जय, भारत की सेना की जय और भारत के उस तेजस्वी नेतृत्व की जय जिसके सिर पर फिलहाल भारत के मान-सम्मान की पगड़ी गर्व से सुशोभित हो रही है. भारतमाता के वीरपुत्र अभिनन्दन के साथ-साथ पूरे भारत का अभिनन्दन.

शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2019

हिंदुस्तान में कितने पाकिस्तान?


मित्रों, आपकी नज़रों में पाकिस्तान क्या है? शायद एक ऐसे मुल्क का नाम जो बेवजह भारत को अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझता है! पर मेरे लिए पाकिस्तान का मतलब है घर में बंटवारा करने या करवानेवाले लोग, दूसरों की संपत्ति पर कब्ज़ा जमाना, दूसरों को धोखा देना अपना धर्म समझनेवाले लोग.
मित्रों, आपके पाकिस्तान का निर्माण हुए ७५ साल बीत चुके हैं लेकिन इन दिनों हमारे देश में जो कुछ भी घटित हो रहा है उसे देखते हुए तो यही लगता है कि इस बीच आपकेवाले हिंदुस्तान में न जाने कितने मेरेवाले पाकिस्तान बन चुके हैं. मेरा मतलब आप शायद समझ गए होंगे कि हिंदुस्तान भी एक मुल्क है जैसे कि पाकिस्तान एक मुल्क है लेकिन मेरे लिए हिंदुस्तान सिर्फ एक मुल्क नहीं है बल्कि मेरा धर्म है, मेरी भक्ति है, मेरी शक्ति है, मेरी पूजा है, मेरा सबकुछ है. मतलब कि मेरे लिए हिंदुस्तान का मतलब है ऐसा घर जिसमें सिर्फ प्रेम ही प्रेम हो, ऐसी पवित्र भावना जो दूसरों के सुख में ही अपना सुख समझती हो हिंदुस्तान है.
मित्रों, तो मैं कह रहा था कि हिंदुस्तान में दुर्भाग्यवश कई सारे पाकिस्तान बन चुके हैं. पुलवामा में प्रेम दिवस के दिन यानि १४ फरवरी, २०१९ को नफरत की खून भरी होली खेली गयी और इसके पीछे था भारत का पडोसी मुल्क पाकिस्तान. पाकिस्तान का तो काम ही नफरत करना है क्योंकि उसका निर्माण ही नफरत की नींव पर हुआ है इसलिए वो अगर ऐसा करता है तो किसी को भी आश्चर्य नहीं होना चाहिए. लेकिन मुझे तब घोर आश्चर्य हुआ जब मैंने पाया कि भारत से नफरत करनेवालों में से कई हमारे पड़ोस में भी रहते हैं. उनमें से कई सिर्फ इसलिए मेरे पड़ोस में पाकिस्तान को आबाद कर रहे हैं, जिंदाबाद कर रहे हैं क्योंकि वे मुसलमान हैं, कईयों ने सिर्फ इसलिए मेरे पड़ोस में पाकिस्तान बना लिया है क्योंकि वे वामपंथी हैं या फिर भाजपा के राजनैतिक विरोधी हैं और वे यह भूल गए हैं कि भाजपा विरोध का मतलब कतई भारत विरोध नहीं होता. उनको नरेन्द्र मोदी से इतनी चिढ है कि वे मोदी की हर बात का तत्काल विरोध करते हैं. इनमें से कई तो कदाचित पाकिस्तान से प्रेम भी करने लगे हैं.
मित्रों, एक और तरह का पाकिस्तान है और वो पाकिस्तान है भारत की राजनीति में काफी लोकप्रिय. इसका इस्तेमाल दक्षिणपंथी राजनीति से जुड़े ऐसे नेता करते हैं जो सिवाय बेहूदा बयानबाजी करने के और कुछ और करना जानते ही नहीं. वो दिन-रात पाकिस्तान-पाकिस्तान की रट लगाए रहते हैं और बात-बात में यह कहते रहते हैं कि इसे पाकिस्तान चले जाना चाहिए, उसे पाकिस्तान भेज दिया जाना चाहिए जैसे उन्होंने लोगों को पाकिस्तान भेजने का ठेका ले रखा है. वे २४ घंटे इस भ्रम में रहते हैं कि पाकिस्तान को गाली देने से हिन्दू खुश हो जाएंगे और उनको वोट दे देंगे. इस तरह की सोंच रखनेवाले कुछ लोग आजकल केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल के पद को सुशोभित कर रहे हैं.
मित्रों, आपको लग रहा होगा कि संज्ञा की तरह पाकिस्तान के पांच ही प्रकार होते होंगे. वैसे मैं भी समझ रहा हूँ यह प्रसंग लंबा होने लगा है. इसलिए एक और प्रकार के पाकिस्तान का जिक्र इस शब्द विलास को समाप्त करने की अनुमति चाहूँगा. दरअसल हमारे भारत में एक और खूंखार प्रजाति है नेताओं की जिनके लिए पाकिस्तान तीर्थस्थल है, वोटबैंक है, दुधारू गाय है, वोटों की एटीएम मशीन है. ये नेता हैं छद्मधर्मनिरपेक्षतावादी गिद्ध सदृश जिनका नेतृत्व आजकल बंगाल की अतिनिर्मम नेता ममता बनर्जी करती हैं. इन लोगों को लगता है कि पाकिस्तान की बड़ाई या बचाव करने से देश-प्रदेश के मुसलमान खुश होते हैं और इन लोगों को अगर ऐसा लगता है शायद काफी हद तक सही भी लगता है क्योंकि ऐसा करने से इनको सचमुच में मुसलमानों का प्रचंड समर्थन मिल जा रहा है. इनके बयान अधिकतर पाकिस्तान को लाभ पहुंचानेवाले होते हैं क्योंकि ये लोग अक्सर अपनी ही सरकार या देशवासियों या अपनी ही सेना पर आरोप लगाते रहते हैं।
मित्रों, मैं समझता हूँ कि अब तक हमने पाकिस्तान की पर्याप्त से भी ज्यादा चर्चा कर ली है. वास्तव में पाकिस्तान इस लायक है ही नहीं कि हम उसके बारे में लिखें. वो तो दुनिया का सबसे घृणित राष्ट्र है, धवल मानवता के चेहरे पर पुती कालिख है जो वेश्या की तरह कभी इसकी गोद में बैठ जाता है तो कभी उसकी गोद में. पहले वो अमेरिका की गोद में बैठा था फिर चीन की गोद में जा बैठा और आजकल सऊदी अरब की गोद में बैठने के चक्कर में है. लेकिन इस बार उसकी दाल गलेगी नहीं जलेगी क्योंकि उसने गलत समय पर भारत से पंगा ले लिया है अब उसे कोई खुदा, भगवान या ईश्वर नहीं बचा सकता.

शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2019

अबकी बार आर या पार


मित्रों, कल जम्मू-कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों पर घात लगाकर हमला किया गया है जिसे कश्मीर में अब तक का सबसे बड़ा हमला बताया जा रहा है. मृतकों की संख्या ४४ हो चुकी है. पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद ने इसकी जिम्मेदारी ली है.
मित्रों, अब समय आ गया है कि हम इस तरह की घटनाओं की सिर्फ निंदा करना बंद करें और आतंक की जड़ पर प्रहार करें क्योंकि यह लडाई किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह से नहीं है बल्कि विचारधारा से है. उस विचारधारा से है जिसको सऊदी अरब वित्तपोषित करता है और फिर उन पैसों से पूरी दुनिया में मस्जिदों और मदरसों का जाल बिछाया जाता है जहाँ बच्चों को बचपन से ही जन्नत के सुनहरे सपने दिखाए जाते हैं.
मित्रों, मैं नहीं जानता कि इस धरती से अलग कहीं स्वर्ग या नरक है या नहीं क्योंकि अब तक तो कहीं और जीवन मिला ही नहीं है लेकिन इतना जानता हूँ कि इस्लामिक कट्टरपंथियों ने धरती को नरक बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है और विडंबना तो यह है कि उनको इस बात का लालच दिया जाता है कि निर्दोषों को मारने के जब वो मरेगा तो मरने के बाद उसे स्वर्ग मिलेगा. इन मूर्खों की समझ में यह क्यों नहीं आ रहा कि जब शरीर ही नहीं रहेगा तो सुख और दुःख का सवाल ही नहीं उठता. और अगर जीवनोपरांत जीवन होता भी है तो भगवान क्या पागल या राक्षस है जो निर्दोषों को मारने और सतानेवालों को ईनाम देगा?
मित्रों, अब कल के हमले की जिम्मेदारी जिस संगठन ने ली है उसके नाम पर गौर फरमाईए-जैश ए मोहम्मद अर्थात मोहम्मद की सेना. मतलब कि इस संगठन का निर्माण ही इस्लाम के प्रवर्तक मोहम्मद साहब के नाम पर हुआ है फिर भी इस्लामिक विश्व मौन है. अगर कुरान या इस्लाम में आतंकवाद के लिए कोई स्थान नहीं है तो बहुत पहले पूरी दुनिया में इसके खिलाफ आवाज उठनी चाहिए थी और लोगों को सडकों पर उतरना चाहिए था लेकिन दुर्भार्ग्यावश ऐसा नहीं हो रहा है जबकि हम उस देश के वासी हैं जहाँ पाकिस्तान से भी ज्यादा मुसलमान रहते हैं. मैं पूछता हूँ कि कल से आज तक या उससे पहले कितनी मस्जिदों के ईमामों ने इस आतंकी हमले की निंदा की? अगर नहीं की तो क्यों नहीं की? मैं केजरीवाल से जो दिल्ली का मुख्यमंत्री है से पूछता हूँ कि क्या इसीलिए वो दिल्ली के मस्जिदों के ईमामों को वेतन देने जा रहा है जिससे कि वे ईमाम इस्लाम में होनेवाले हर सुधार का विरोध करें और आतंकवाद को मौन समर्थन दें?
मित्रों, इस बार हमें आर या पार चाहिए. हम देखना चाहते हैं कि यह सरकार वास्तव में ५६ ईंची है या नहीं. दुर्भाग्य है कि रोजाना हमारे जवान सीमा पार से होनेवाले हमलों में मारे जा रहे हैं. फिर क्यों नहीं एक युद्ध ही लड़ लिया जाए जब हम लगातार युद्ध जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं? साथ ही हमें अपने देश में कुकुरमुत्ते की तरह उग रहे मस्जिदों और मदरसों की भी जाँच करनी होगी और जरुरत पड़ने पर तोडना होगा और बंद करना होगा अन्यथा भविष्य में भारत में भी जैश ए मोहम्मद जैसे संगठन बनने लगेंगे. केरल में इस तरह के संगठनों के बनने के समाचार मिल भी रहे हैं. साथ ही भारत सरकार को बिना कोई देरी किए जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाना होगा क्योंकि जनगणना के आकडे बताते हैं कि मुसलमानों की जनसँख्या हिन्दुओं के मुकाबले कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ रही है. साथ ही देश की राष्ट्रभक्त जनता से अपील करता हूँ कि वे #अबकीबारआरयापार के अंतर्गत जमकर पोस्ट करें जिससे सरकार पर दबाव बनाया जा सके।

रविवार, 10 फ़रवरी 2019

फिर एक बार मोदी सरकार


मित्रों, पिछले दिनों भारत के राजनैतिक मंच पर काफी कुछ घटित हुआ है. उनमें से कुछ घटनाएँ तो ऐसी भी हैं जो इससे पहले कभी देखी ही नहीं गई. कहते हैं कि जब कोई ईमानदार फंसता है तो उसको कोई नहीं बचाता लेकिन जब कोई बेईमान फंसता है तो दुनिया के सारे बेईमान उसे बचाने के लिए आगे आ जाते हैं.
मित्रों, कुछ ऐसा ही घटित हुआ बंगाल में और कुछ ऐसा ही घटित हो रहा है पूरे देश में भी. इन दिनों सारे निशानदार नेता जबरजस्त और शानदार एकजुटता का परिचय दे रहे हैं. इनमें से ज्यादातर तो ऐसे हैं जिनका पूरा राजनैतिक जीवन ही एक-दूसरे को गालियाँ देते हुए बीता है. मैं गंगा किनारे के गाँव का रहनेवाला हूँ इसलिए गंगा में बाढ़ के आने का मुझे काफी पूरा और पुराना अनुभव रहा है. मैंने देखा है कि जब बाढ़ आती है तो डूबने से बचने के लिए चूहे, सांप, नेवले, बिच्छू सभी एक ही पेड़ पर चढ़ जाते हैं. वो कहते हैं न कि मरता क्या नहीं करता.
मित्रों, कुछ ऐसी ही स्थिति इन दिनों ममता बनर्जी के घर पर जमावड़ा लगाने वाले नेताओं की है. इनमें से को बड़ छोट कहत अपराधू। सुनि गुन भेदु समुझिहहिं साधू॥ इन लोगों में तो कोई गुणभेद है ही नहीं.सब एक से एक बढ़कर एक चोर. अगर इनके इतिहास पर नजर डालें तो इनमें ज्यादातर कांग्रेस के खिलाफ कमाएगा लंगोटीवाला और खाएगा धोतीवाला नहीं चलेगा नहीं चलेगा कहकर सत्ता में आए थे लेकिन आज इनमें से सारे-के-सारे धोतीवाला तो छोडिये कोठीवाला बन गए हैं. ऐसे में जब पहली बार केंद्र में एक ऐसी ईमानदार सरकार आई है जो इनसे इनके बेहिसाब गुनाहों का हिसाब मांग रही है तो ये सारे चौकीदार चोर है का नारा लगाते हुए एक जगह पर जमा हो गए हैं. 
मित्रों, हम समझ सकते हैं कि यह उनकी मजबूरी है लेकिन जनता के लिए उनको वोट देना बिल्कुल भी जनता की मजबूरी नहीं है. जनता ने देखा है कि किस तरह आज तक किसी भी राजनेता को उसी तरह से किसी भी भ्रष्टाचार के मामले में कभी सजा नहीं हुई जैसे कि अगलगी में कुत्ता नहीं जलता है. जनता ने देखा है कि किस तरह केजरीवाल २०१३-१५ में कांग्रेस नेताओं के खिलाफ ३५०-४०० पृष्ठों का आरोप-पत्र लिए घूमता था और किस तरह वही केजरीवाल इन दिनों कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए छान-पगहा तोड़ रहा है. 
मित्रों, हमने माना कि जनता की कुछ नाराजगी है मोदी सरकार के साथ लेकिन क्या जनता विपक्ष से किसी भी तरह की उम्मीद रख भी सकती है? नहीं, कदापि नहीं. बल्कि जनता यह अच्छी तरह से समझती है कि देश के लिए कुछ करने का जज्बा अगर किसी में है तो वो सिर्फ और सिर्फ भारतीय जनता पार्टी में है. कुछ अच्छा अगर सकती है वो सिर्फ और सिर्फ भाजपा ही कर सकती है. जो काम अब नहीं हुए थे उनको अगर आज तक किसी ने किया है तो वो सिर्फ और सिर्फ भाजपा ने किया है वरना किसने सोंचा था कि छगन भुजबल, लालू, सज्जन कुमार जैसे लोग जेल में सड़ेंगे. भारत को बनाना रिपब्लिक कहनेवाले राष्ट्रीय दामाद रोबर्ट वाड्रा से कभी पूछताछ भी होगी और उसके सहित कभी वो पूरी गन्दी गाँधी फैमिली जमानत पर भी होगी जिसको देश को लूटने का खानदानी लाईसेंस मिला हुआ था. किसने सोंचा था कि भारत एफडीआई के मामले में दुनिया का सरताज होगा, किसने सोंचा था कि फोन पर बातचीत मुफ्त में भी हो सकती है और ३ रूपये में १ जीबी मोबाईल डाटा भी मिल सकता है, किसने सोंचा था कि सवर्ण गरीबों की पीड़ा को भी कोई समझेगा और किसने सोंचा था कि किसानों को वेतन भी मिल सकता है, किसने सोंचा था कि पाकिस्तान कंगाल हो सकता है और भारत में हाई स्पीड ट्रेनें चलेंगी. किसने सोंचा था कि एमएसपी को एकबारगी डेढ गुना कर दिया जाएगा, किसने सोंचा था कि देश के सारे परिवारों का बैंकों में खाता होगा और सब्सिडी का पैसा सीधे खाते में जाएगा. किसने सोंचा था कि सारे पेमेंट और ट्रांजैक्शन पलक झपकते मोबाईल से ही हो जाएंगे, किसने सोंचा था कि सौर ऊर्जा और मोबाईल निर्माण के मामले में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर होगा, किसने सोंचा था कि गौमाता के कल्याण के लिए भी कोई आयोग बनेगा, किसने सोंचा था कि तीन तलाक समाप्त भी होगा, किसने सोंचा था कि केंद्रीय और राज्य मंत्रिमंडल की बैठक कुम्भ के मेले में भी हो सकती है, किसने सोंचा था कि राहुल गाँधी कभी मंदिर भी जाएँगे और अखिलेश-मुलायम कुम्भ में स्नान भी करेंगे..........
मित्रों, कुल मिलाकर देश की जनता के समक्ष और कोई विकल्प है ही नहीं इसलिए दोनों मुठ्ठी बांधकर पूरे भारत की जनता को नारा लगाना होगा फिर से जोड़दार फिर एक बार मोदी सरकार.

रविवार, 3 फ़रवरी 2019

बंगाल में राष्ट्रपति शासन में हो चुनाव


मित्रों, भारत का भद्रलोक कहे जानेवाले बंगाल में १९७७ से सत्ताधारित गुंडागर्दी चल रही है. २० मई २०११ को जब साम्यवादियों की रंगदारी भरे लम्बे शासन का ममता बनर्जी ने अंत किया तभी मैंने कहा था कि ममता की जय-जयकार बंद करो और यह सोंचो कि क्या बंगाल में अब सत्ताधारित गुंडागर्दी समाप्त को जाएगी. क्योंकि मुझे तभी ममता के काम करने का तरीका वही लगा था जो साम्यवादियों का था. आज बंगला में कथित ममता का अतिनिर्मम शासन स्थापित हुए ८ साल हो चुके हैं और वहां दिन-ब-दिन विपक्ष समर्थक मतदाताओं का साँस तक लेना दूभर होता जा रहा है.
मित्रों, मैंने इससे पहले भी केंद्र सरकार से बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाकर दम तोड़ते लोकतंत्र की प्राणरक्षा करने की गुजारिश कर चुका हूँ लेकिन न जाने केंद्र सरकार किस बात का इंतजार कर रही है. आज तो बंगाल पुलिस ने पूछताछ के लिए पहुंची सीबीआई की टीम को ही पकड़कर हिरासत में डाल दिया. जब सीबीआई की बंगाल में यह गति है तो ममताविरोधी मतदाताओं के साथ क्या नहीं हो रहा होगा. बेचारे डर के मारे अपने घरों पर अपनी पार्टी का झंडा तक नहीं लगा सकते क्योंकि ऐसा करने पर उनकी हत्या हो जाएगी.
मित्रों, मैं केंद्र सरकार से पूछना चाहता हूं कि क्या बंगाल में संवैधानिक शासन चल रहा है? अगर नहीं तो क्यों वहां राष्ट्रपति शासन लगाने में देर की जा रही है. सीबीआई भारत की सर्वोच्च जांच एजेंसी और संप्रभुता की प्रतीक है. उसके काम में बाधा डाली जा रही है फिर ऐसे में केंद्र सरकार कैसे मुंह ताकती रह सकती है? क्या इस समय बंगाल का पूरा प्रशासन ममता के इशारों पर काम नहीं कर रहा? क्या ऐसे माहौल में बंगाल में निष्पक्ष मतदान की सोंचना दिवास्वप्न देखने के समान नहीं है?
मित्रों, फिर केंद्र सरकार ने तो भारत की एकता, संप्रभुता और संविधान की रखा की शपथ भी ली है. क्या केंद्र सरकार का यह संवैधानिक कर्त्तव्य नहीं है कि वो बंगाल में संविधान और प्रजातंत्र के मौलिक गुण विरोध करने के अधिकार की रक्षा करे? जब जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लग सकता है तो बंगाल में क्यों नहीं? आखिर संविधान में अनुच्छेद ३५६ को शामिल करने का क्या औचित्य रह गया है जबकि केंद्र सरकार संविधान के चीरहरण को भी मूकदर्शक बनी देखती रहेगी?
मित्रों, मैंने अवार्ड वापसी गैंग से भी एक सवाल पूछना चाहता हूँ कि बंगाल में चल रही सत्ताधारित गुंडागर्दी को लेकर उनकी जुबान क्यों नहीं खुल रही? कल अगर वहां राष्ट्रपति शासन लग जाता है तो यही लोग सडकों पर मुहर्रम मनाते और स्यापा करते नजर आएँगे. थू है तेरे दोपाया होने पर तुम लोग तो चौपाया होने के लायक भी नहीं हो. साथ ही थू है ५६ ईंची सीने वाली केंद्र सरकार पर जिसके सत्ता में होते हुए भी पिछले ५ साल से बंगाल में लोकतंत्र कैद है.

शनिवार, 2 फ़रवरी 2019

सबके मतलब का बजट

 

मित्रों, मोदी सरकार का अंतिम तथा अंतरिम बजट आज देश के सामने आ चुका है. बजट हमारे हिसाब से उम्मीद से ज्यादा अच्छा रहा है. हमें ऐसी उम्मीद नहीं थी कि यह सरकार इस तरह का बजट पेश भी कर सकती है. क्या गरीब, क्या किसान, क्या मजदूर, क्या महिला, क्या माई और क्या गाय, क्या खानाबदोश, क्या कूड़ा बीननेवाला, क्या युवा, क्या मध्यम वर्ग सबका अप्रत्याशित रूप से इस बजट में ख्याल रखा गया है. साथ ही ख्याल रखा गया है देश का और देश की सुरक्षा का.


मित्रों, बजट में सबसे अच्छी बात जो है वो यह है कि पहली बार देश के किसानों को सीधा पैसा दिया गया है. हालांकि यह राशि ६००० रूपये सालाना काफी कम है लेकिन कम-से-कम किसी ने तो पहली बार किसानों की जेब में सीधे-सीधे पैसा डालने का काम किया है. अपने बजट भाषण के दौरान गोयल ने असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए बड़ा एलान किया है. बजट पेश करते हुए पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को 3,000 रुपये हर महीनें पेशन दी जाएगी. इस योजना से 10 करोड़ कामगारों को लाभ होगा और यह अगले पांच सालों में असंगठित क्षेत्र के लिए विश्व की सबसे बड़ी पेंशन योजना बन सकती है. इस योजना के तहत, कामगारों को 60 साल की उम्र के बाद 3,000 रुपये की मासिक पेंशन मिलेगी. इस योजना का लाभ लेने के लिए सभी मजदूरों को हर महीने 100 रुपये सरकार के खाते में जमा करवाना होगा. इतना ही नहीं मध्यम वर्ग के लोगों को टैक्स से राहत देते हुए गोयल ने टैक्स की सीमा को 2.5 लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर दिया है. विदित हो कि भारत के कुल ६.८७ करोड़ करदाताओं में से ३ करोड़ ऐसे हैं जिनकी आय ५ लाख सालाना से कम है. अंतरिम बजट में श्रमिकों का बोनस बढ़ाकर 7 हजार रुपए और 21 हजार रुपए तक के वेतन वालों को बोनस दिए जाने की घोषणा की गई है। इसके अलावा पीएम श्रमयोगी मानधन योजना की घोषणा भी की गई है, जिसके तहत 15 हजार रुपए तक कमाने वाले 10 करोड़ श्रमिकों को इस योजना का लाभ मिलेगा। उनकी ग्रेच्युएटी को बढाकर १० से २० लाख कर दिया गया है. पशुपालन और मत्स्य पालन के लिए कर्ज में 2 फीसदी ब्याज छूट की घोषणा की गई है। अंतरिम बजट में ईन्सानों के साथ-साथ गो वंश को लेकर भी बड़ा ऐलान किया गया है। केंद्र सरकार राष्ट्रीय कामधेनु योजना शुरू करेगी। इसके अलावा घूमंतू समाज के लिए एक वेलफेयर बोर्ड बनाने का फैसला किया गया है।  बजट के मुताबिक, सही पहचान होने के बाद सरकार की योजनाओं का लाभ इन्हें भी मिलेगा।

मित्रों, अगर आप भी दो घर खरीदने का प्लान कर रहे हैं तो मोदी सरकार ने बड़ी राहत दी है। गोयल ने फोर्डेबल हाउसिंग को बढ़ावा देने के लिए बड़ा ऐलान किया। टैक्स छूट एक और साल तक रहेगी जारी। 2020 तक रजिस्ट्रेशन कराने वालों को कोई आयकर नहीं देना होगा। इसके अलावा, दूसरे मकान के नोशनल रेंट पर टैक्स नहीं देना होगा। रेंटल इनकम पर टीडीएस को भी 1.8 लाख से बढ़ाकर 2.4 लाख करने का ऐलान किया गया है। इससे रियल स्टेट सेक्टर को एक बार फिर से गति मिलेगी जो पिछले सालों में मंदी से जूझती रही है.

मित्रों, बजट में रेलवे, रक्षा, शिक्षा, मनरेगा और स्वास्थय के मद में पहले से ज्यादा आवंटन किया गया है. पहली बार भारत का रक्षा व्यय ३ लाख करोड़ रूपये को पार कर गया है.

मित्रों, कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने पूर्वोत्तर राज्यों के लिए बजट आवंटन को 21 प्रतिशत बढ़ाने का प्रस्ताव किया है। गोयल ने शुक्रवार को लोकसभा में 2019-20 का अंतरिम बजट पेश करते पूर्वोत्तर क्षेत्र में सरकार की विकास पहलों को आगे बढ़ाने के लिए 58,166 करोड़ रुपए का आवंटन करने की घोषणा की। गोयल ने कहा कि बुनियादी ढांचे के विकास से पूर्वोत्तर के लोगों को काफी लाभ मिला है। विदित हो कि पूर्वोत्तर का क्षेत्र देश के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण से तो महत्वपूर्ण है ही चुनावी दृष्टि से भी कम महत्त्व का नहीं है.

मित्रों, अब बात कर लेते हैं कि सरकार खर्च के लिए पैसे कहाँ से लाएगी. सरकार के खजाने में आने वाले हर एक रुपए में 70 पैसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के जरिए आएंगे। इसी तरह सरकार हर एक रूपए के व्यय में 23 पैसे राज्यों को करों एवं शुल्कों में उनके हिस्से के रूप में दिया जाएगा।  वित्त मंत्री पीयूष गोयल द्वारा शुक्रवार को लोकसभा में पेश अंतरिम बजट 2019-20 के अनुसार सरकार की आय का सबसे बड़ा स्रोत माल एवं सेवा कर (जीएसटी) होगा और हर एक रूपए की प्राप्ति में इसका योगदान 21 पैसे होगा। कॉरपोरेट कर से 21 पैसे, आयकर से 17 पैसे और सीमा शुल्क से चार पैसे प्राप्त होंगे। इसी तरह कर्ज एवं अन्य देनदारियों से 19 पैसे, केंद्रीय उत्पाद शुल्क से सात पैसे, गैर कर स्रोतों से आठ पैसे तथा कर्ज से इतर पूंजीगत आय से तीन पैसे प्राप्त होंगे। इसी तरह प्रति एक रुपए के खर्च में केंद्रीय करों एवं शुल्कों में राज्यों की हिस्सेदारियों का अंतरण है और इस मद में 23 पैसे खर्च होंगे। ब्याज भुगतान पर 18 पैसे, रक्षा क्षेत्र पर आठ पैसे, केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं पर 12 पैसे तथा केंद्र द्वारा वित्तपोषित योजनाओं पर नौ पैसे खर्च होंगे। वित्त आयोग तथा अन्य हस्तांतरण पर आठ पैसे, छूट (सब्सिडी) पर नौ पैसे और पेंशन पर पांच पैसे खर्च होंगे। आठ पैसे अन्य मदों पर खर्च होंगे।

मित्रों, कुल मिलाकर हम इस बजट को सर्वस्पर्शी और सर्वसमावेशी कह सकते हैं. भारत के कुल ९० करोड़ मतदाताओं में से इसमें ६० करोड़ लोगों का सीधा ख्याल रखा गया है. इस बजट से सबको लाभ होगा चाहे वो किसी भी जाति-धर्म का हो किसी भी दल का समर्थक हो. मध्यमवर्ग, किसानों, मजदूरों के हाथों में पैसा आने से जहाँ नोटबंदी और जीएसटी के दुष्प्रभाव दूर होंगे वहीँ दूसरे घर पर टैक्स माफ़ी से रियल स्टेट सेक्टर को एक बार फिर से जी नया जीवन मिलेगा. हालाँकि जिस तरह से वित्त वर्ष 2018-19 के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से लगातार चूक के बावजूद वित्त वर्ष 2019-20 के लिए लक्ष्य को उसी स्तर पर कायम रखना आश्चर्यजनक है। सारांश यह कि यह  गरीबों, किसानों, मध्यवर्ग और असंगठित मजदूरों का बजट है. विपक्ष इसे चुनावी बजट कह सकता है लेकिन यह साल यह साल राजनैतिक गुना-भाग का है न कि आर्थिक गुना-भाग का.