नई दिल्ली (सं.सू.)। राष्ट्रीय कृषि बाजार को कृषि क्षेत्र के लिए क्रांतिकारी कदम करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि इससे किसानों को भरपूर फायदा होगा। किसानों की अर्थव्यवस्था में बड़ा परिवर्तन आने वाला है। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था से पारदर्शिता बढ़ेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार कृषि से बिचौलियों को समाप्त करने के लिए संकल्पित है।
राष्ट्रीय कृषि बाजार पोर्टल के उदघाटन अवसर पर किसानों को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि यह कदम आर्थिक दृष्टि से कृषि जगत के लिए टर्निंग प्वाईंट होगा। उन्होंने कहा कि अब देश का किसान खुद फैसला करेगा कि उसका माल कब और कहां बिकेगा। उन्होंने देश के सभी राज्यों से आह्वान किया है कि वे इस पहल को प्राथमिकता दें। पीएम ने कहा कि वर्ष 2018 तक देश की सभी कृषि मंडियां राष्ट्रीय कृषि बाजार पोर्टल से जुड़ जाएंगी। इससे बाजार बढ़ेगा।
पीएम मोदी ने कहा कि बाजार के बढ़ने से किसानों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कृषि बाजार पोर्टल से किसान, बिचौलिए और उपभोक्ता तीनों को ही लाभ मिलेगा। किसानों को मंडी में अपना उत्पाद बेचने का विकल्प नहीं रहता था। लेकिन अब वह दूसरे मंडियों में भी अपना उत्पाद बेच सकेगा। इससे उसकी परेसानियां भी कम होंगी। उन्होंने देश के किसानों से भी आग्रह किया है कि वे खेती को टूकडों में बांट कर न देखें। बल्कि कृषि क्षेत्र में सोलर क्रांति का भी लाभ उठाएं।
पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी के किसानों से पीएम ने आग्रह किया है कि वे पुआल जलाना बंद करें। इससे दिल्लीवालों को भी राहत मिलेगी। पर्यावरण बेहतर होगा। उन्होंने किसानों से कहा है कि वे पुआल से बेहत्तर खाद्द बना सकते हैं। इसके लिए कई वैज्ञानिक तरीके हैं। तो गन्ना किसानों से भी पीएम ने कहा है कि वे खेती में ड्रीप सिंचाई का इस्तेमाल करें। खेती में पानी की कम खपत का आग्रह करते हुए पीएम ने किसानों से कहा है कि जो स्वभाव बच्चों का होता है। वही पौधों का भी होता है। इसलिए अफरात पानी के बजाय पौधों में बूंद-बूंद पानी दें। किसानों से उन्होंने खेत की सेहत का भी ध्यान रखने का आग्रह किया है।
इस अवसर पर पीएम के साथ कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह, राज्य मंत्री संजीव बालियान भी उपस्थित थे। राष्ट्रीय कृषि बाजार पोर्टल अभी 8 राज्यों गुजरात, तेलंगाना, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, झारखंड और हिमाचल प्रदेश के 21 मंडियों में शुरू हुआ है। इसे सफल बनाने के लिए राज्यों को अपने मंडी कानून में संशोधन करना पडेगा। पहले चरण में यह पोर्टल 12 राज्यों के 365 मंडियों में 25 सितंबर 2016 तक लागू होगा। मार्च 2018 तक देश की 585 मंडियों को पोर्टल से जोड़ा जाएगा। इसके जरिए 25 कृषि उत्पादों चना, कैस्टर सीड, धान, गेहूं, मक्का, हल्दी, प्याज, सरसों, महुआ फूल, इमली आदि की खरीद बेच की जा सकेगी।
विशेषज्ञ सरकार के इस दावे से पूरी तरह से सहमत नहीं दिख रहे कि यह व्यवस्था कृषि के स्वरुप को ही बदलकर रख देगी।
दावा: कृषि उत्पादों की खरीद-बिक्री में बिचौलियों की भागीदारी नहीं होगी, जिससे किसानों को बेहतर कीमत मिलेगी।
सवाल: यह कौन तय करेगा कि इस प्लेटफॉर्म पर खरीदार बिचौलिया नहीं है। बिचौलियों को रोकने के लिए सरकार ने क्या व्यवस्था की है?
दावा: खरीदारों के लिए खरीद लागत कम होगी, वहीं किसानों को कई मंडी-शुल्कों से राहत मिलेगी।
सवाल: दिल्ली का व्यापारी यदि उत्तर प्रदेश के किसान से फसल खरीदेगा तो उस फसल की ट्रांसपोर्टेशन लागत कौन वहन करेगा। किसानों के पास भंडारण की अपनी व्यवस्था नहीं है, तो वह फसल न बिकने तक उसे कहां रखेगा?
दावा: खरीदार और विक्रेता के लिए गुणवत्ता जांच प्रक्रिया लाई जाएगी।
सवाल: उत्पाद की गुणवत्ता जांच का खर्च कौन वहन करेगा?
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