शनिवार, 2 अगस्त 2025
क्या मजाक है?
मित्रों, पिछले दिनों चुनाव आयोग द्वारा बिहार में कराए जा रहे एसआईआर को लेकर नाटक क्या खूब महानाटक हुआ। विपक्ष ने सड़क से लेकर संसद तक आसमान को सर पे उठा लिया। चुनाव आयोग ने भी कहा कि चूंकि बिहार के सीमांचल में जनसंख्या से ज्यादा आधार कार्ड बन गया है इसलिए उसे घुसपैठियों के वोटर लिस्ट में शामिल होने की आशंका है। फिर लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच गयी। विपक्ष को लगा कि घुसपैठिए मतदाता सूची से बाहर हो जाएंगे तो उनकी मुश्किलें और बढ़ जाएंगी और फिर से उनकी हार पक्की हो जाएगी।
मित्रों, अब जबकि वोटर लिस्ट का प्रारूप सामने आया है तो पता चला है कि किशनगंज से ज्यादा वोटर तो वैशाली, मुजफ्फरपुर आदि कई जिलों में कम हो गये। कहने का मतलब यह कि कई महीने तक पूरे बिहार की पूरी सरकारी मशीनरी को लगाए रखने के बाद चुनाव आयोग वोटर लिस्ट से सिर्फ मरे हुए और एकसाथ कई स्थानों पर मतदाता बने लोगों को ही हटा पाया घुसपैठिए तो फिर से वोटर लिस्ट में बने रह गये। हम तो इस सारी कवायद पर बस यही कह सकते हैं कि भाई, क्या मजाक है? ऐसा होना भारत के लोकतंत्र के साथ मजाक है या भारत में पिछले 78 सालों से लोकतंत्र के नाम पर मजाक ही चल रहा है और चलता चला जा रहा है?
मित्रों, मजाक तो पिछले दिनों भारत के उपराष्ट्रपति के पद के साथ भी हुआ है। साथ ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इन दिनों विश्व व्यापार संगठन और सारे वैश्विक व्यापारिक नियमों का मजाक बना रखा है। उनका कहना है कि वो कोई अंतराष्ट्रीय व्यापारिक कानून न ही जानते हैं और न ही मानते हैं। बल्कि वो जो कहते और करते हैं वही नियम है, वही कानून है, दैट्स औल। उनके मजाक की हद तो तब हो गई जब उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था मृत अर्थव्यवस्था है। क्या मजाक है भाई? जो सबसे ज्यादा जीवंत है उसी को आप मृत बता रहे हो? इतने सुंदर विरोधाभासी अलंकार का प्रयोग भगवान झूठ न बोलवाए मैंने आजतक नहीं देखा हालांकि तेजस्वी यादव भी इस अलंकार का बखूबी इस्तेमाल कर लेते हैं। चार लाईन हिंदी न बोल सकनेवाले तेजस्वी भी जब नारा लगाते हैं कि बिहार को चाहिए तेजस्वी सरकार और जब महान लालू के पुत्र होने के बावजूद तेजस्वी कहते हैं कि वो बिहार से भ्रष्टाचार मिटाएंगे तब भी गूंगे तक बोल उठते हैं कि क्या मजाक है? वैसे मजाक करने में अपने राहुल बाबा भी कम नहीं हैं जो खुद भी एक मजाक हैं।
मित्रों, इससे पहले कि मेरा यह कथित आलेख भी ज्यादा लंबा होकर पाठकों को लंबा न कर जाए और मजाक न बन जाए मुझे अपनी सहचरी लेखनी को विराम देना होगा। तो हम बहुत जल्द फिर से उपस्थित होते हैं नये मजाक के साथ तब तक आप भी मजाक करते रहिए, क्योंकि भैया ये ज़िन्दगी भी मजाक है, एक भद्दा-सा मजाक।
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