सोमवार, 23 मार्च 2009

कर्म और उसका फल

आज देश चुनावों की चपेट में है। चारों ओर जीत हार के चर्चे हो रहे हैं। लेकिन क्या मानव के लिए जीत और हार की व्याख्या इतनी आसान है। नहीं। कई बार हम जिसे अपनी जीत मानते हैं वही हमारे लिए सबसे बड़ी हार होती है। जब फल हमारे हाथों में है ही नहीं तो फिर जीत और हार कैसी। निष्काम भाव से कर्म करना ही हमारे हाथों में है।

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