06-03-2014,हाजीपुर,ब्रजकिशोर सिंह। मित्रों,मैं इन दिनों बहुत परेशान
चल रहा हूँ। होऊँ भी क्यों नहीं मेरी सरकार जो खो गई है। आप कहेंगे कि मुझे
थाना जाना चाहिए मगर वहाँ तो पहले से ही सरकार नहीं थी। सरकार को इंटरनेट
पर भी ढूंढ़ा मगर वहाँ भी नहीं मिली।
मित्रों,दरअसल कुछ महीने पहले तक बिहार में सरकार नाम की चीज थी लेकिन अब नहीं है। ऐसा भाजपा के सरकार से हटने के कारण हुआ है या इसका कोई और कारण है मुझे नहीं पता। आज से बिहार में दसवीं की परीक्षा होनेवाली है। हजारों छात्र-छात्राओं को एडमिट कार्ड नहीं मिला। कहते हैं कि उनको स्कूल ने अंडर एज बना दिया है। कैसे बना दिया,क्यों बना दिया और बनानेवालों पर क्या कार्रवाई होगी या नहीं या इन बच्चों का क्या होगा कोई नहीं बता रहा है क्योंकि सरकार खो गई है हुजूर! मैं अब तक भ्रम में था कि बिहार में संवैधानिक सरकार चल रही है। तभी एक दिन ससुराल गया,कुबतपुर (भिखनपुरा)। लैपटॉप लेकर गया कि जेनरेटर की सायंकालीन बिजली से बैट्री चार्ज कर लूंगा और वहीं से समाचार डालूंगा। मगर उस शाम जेनरेटर की बिजली आई ही नहीं। फिर सोंचा कि गांव में बिजली लाई जाए। सो हाजीपुर वापस लौटते ही पहले वैशाली जिले के बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता को फोन लगाया। श्रीमान को बताया कि इस गांव में 8 साल से ट्रांसफार्मर जला हुआ है और ठेकेदार 20000 रुपया घूस में मांग रहा है। महोदय ने छूटते ही कहा कि वे इस बारे में कुछ नहीं कर सकते। मैंने पूछा कि फिर कौन कर सकता है तो बताया गया कि वहाँ ट्रांसफार्मर पॉवर ग्रिड कारपोरेशन ऑफ इंडिया के माध्यम से लग रहा है। फिर इंटरनेट पर खोजखाज कर ग्रिड कारपोरेशन का नंबर निकाला। फोन करने पर फोन उठानेवाले महाशय ने एक नंबर देकर बताया कि इस नंबर पर फोन करिए कोई झा जी उठाएंगे। फिर मैं दिनभर फोन करता रहा मगर किसी ने फोन नहीं उठाया। फिर मैंने सोंचा कि हाजीपुर के सांसद रामसुंदर दास से शिकायत करता हूँ मगर उनका तो फोन ही ऑफ था शायद रमई राम ने मीडिया में कोई बयान दे दिया था जिससे दासजी नाराज हो गए थे। वैसे इससे पहले भी मैं इसी मामले में उनको फोन कर चुका हूँ लेकिन तब भी उनके पीए ने उनसे बात नहीं होने दी थी और टाल दिया था। उनके पुत्र और राजापाकर के विधायक संजय कुमार जी का नंबर तो चुनाव जीतने के बाद से ही हमेशा ऑफ रहता है इसलिए उस दिन भी ऑफ था। बिजली बोर्ड के संजय अग्रवाल को भी फोन मिलाया तो पता चला कि वे मीटिंग में हैं। फिर फोन लगाया बिजली मंत्री को। पीए ने कहा कि मंत्रीजी हाऊस में हैं फैक्स कर दीजिए। अंत में थकहारकर एक समाचार बनाया 17 फरवरी को 'एक गांव सुशासन ने जिसकी रोशनी छीन ली' शीर्षक से और उसको बिहार के मुख्यमंत्री,ऊर्जा मंत्री,संजय अग्रवाल जी,पावर ग्रिड ऑफ इंडिया को भी ईमेल कर दिया। कुछ दिन बाद बिजली विभाग से अधिकारी गांव आए भी और सतही पूछताछ करके वापस चले गए और गांववालों की जीते जी दोबारा बिजली देखने की उम्मीद धरी-की-धरी रह गई। दोबारा भी एक खबर बनाई 3 मार्च को 'फिर किस मुँह से वोट मांगेंगे नीतीश कुमार?' शीर्षक से,फिर से सबको ईमेल किया लेकिन अभी तक ट्रांसफार्मर और ट्रांसफार्मर लगानेवाले ठेकेदार का कहीं अता-पता नहीं है। सोंच रहा हूँ कि अब किसको ईमेल करूँ एंजिला मार्केल को या ओबामा को?
मित्रों,इसी बीच मेरे वयोवृद्ध चाचाजी हाजीपुर आए और बताया कि मेरे गांव जुड़ावनपुर बरारी में पिछले 2 सालों से न तो वृद्धावस्था पेंशन का और न ही विधवा पेंशन का ही वितरण हुआ है। मैं सुनकर सन्नाटे में आ गया यह सोंचकर कि ऐसा कैसे हो सकता है? सरकार तो वृद्धों और महिलाओं का बहुत सम्मान करती है। तुरंत बीडीओ को फोन मिलाया। उसने बताया कि हमारी पंचायत का पंचायत सेवक रविशंकर प्रसाद कई महीनों से ड्यूटी पर नहीं आ रहा है। मैंने पूछा कि वेतन कैसे पा जाता है तो उन्होंने बताया कि उनको पता नहीं। फिर किसे पता होगा तो कहने लगे कि यह भी मुझे नहीं पता। फिर मैंने कहा कि शशिभूषण जी आपके प्रखंड कार्यालय में तो लाभार्थियों की सूची होगी न उससे क्यों नहीं बँटवाते हैं तो उन्होंने आश्वासन दिया कि इसी आगामी सोमवार से बँटवा देंगे। लेकिन देखते-देखते कई सोमवार बीत गए पेंशन नहीं बँटा। इसी बीच मेरे चाचाजी फिर से हाजीपुर आए और बताया कि एक-एक व्यक्ति का 10-10 हजार से ज्यादा का पेंशन मद में सरकार पर बकाया हो गया है। मैंने फिर से सरकार को ढूंढ़ने की कोशिश की और इस बार सीधे डीएम को फोन किया। तारीख थी-28 फरवरी। उन्होंने बड़ा छोटा-सा उत्तर दिया कि देखता हूँ। अभी कल चाचाजी ने बताया कि अब तक भी पैसा नहीं मिला है ऊपर से बच्चों को छात्रवृत्ति भी नहीं मिली है। कल ही फिर से मैंने डीएम को फोन लगाया तो फिर से उनका वही उत्तर था कि देखते हैं। वह कैसे देखते हैं कि देखते ही नहीं हैं यह तो उनको ही पता होगा। फिर मैंने राघोपुर विधायक सतीश कुमार को फोन लगाया। उन्होंने फोन तो नहीं उठाया लेकिन उधर से पलटकर फोन जरूर किया। मैंने जब समस्या बताई तो कहा कि वे अकेले क्या करें यहाँ तो हर कोई भ्रष्ट है। पहलेवाला बीडीओ पूरा गोबर था। उसकी बदली करवा दी है। नई बीडीओ आई है अब शायद पेंशन बँट जाए। जब मैंने छात्रवृत्ति का मुद्दा उठाया तो उन्होंने बताया कि सरकार ने ही स्कूलों में कम पैसा भेज दिया है। शिक्षक छात्रों द्वारा पीटे जाने के डर से बाँटने को तैयार ही नहीं हैं सो उन्होंने नियमावली बना दी है कि सबसे पहले पैसा एससी को,फिर अतिपिछड़ों को,फिर पिछड़ों को और अगर फिर भी पैसा बच जाए तो सामान्य वर्ग को दिया जाए मगर शिक्षक फिर भी हंगामे से डर रहे हैं।
मित्रों, तत्क्षण मेरी समझ में आ गया कि जिले के विभिन्न स्कूलों में छात्रवृत्ति को लेकर हंगामा क्यों हो रहा है। यह आग तो खुद सरकार ने ही लगाई है। उसी सरकार ने जिसको मैं ढूंढ़ रहा हूँ और जो मेरे खोजने से भी नहीं मिल रही है। न जाने कहाँ गुम हो गई है हमारी सरकार? कहाँ जाकर ढूंढूँ समझ में नहीं आता? मैं कोई अफीमची तो हूँ नहीं कि पैसा कहीं भी अंधेरे में गिरे उसे उजाले में जाकर ही ढूंढूंगा नहीं तो अमेरिका या जर्मनी जाकर ढूंढ़ता। इसी बीच राघोपुर का पीपा पुल फिर से टूट गया है मगर मुझमें इतनी हिम्मत नहीं बची है कि मैं किसी को फोन करूँ। वैसे आपने अगर कहीं हमारी सरकार को देखा तो जरूर बताईगा। मुझे अपने गांव में पेंशन और छात्रवृत्ति बँटवानी है और अपनी ससुराल में बिजली लानी है। (हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
मित्रों,दरअसल कुछ महीने पहले तक बिहार में सरकार नाम की चीज थी लेकिन अब नहीं है। ऐसा भाजपा के सरकार से हटने के कारण हुआ है या इसका कोई और कारण है मुझे नहीं पता। आज से बिहार में दसवीं की परीक्षा होनेवाली है। हजारों छात्र-छात्राओं को एडमिट कार्ड नहीं मिला। कहते हैं कि उनको स्कूल ने अंडर एज बना दिया है। कैसे बना दिया,क्यों बना दिया और बनानेवालों पर क्या कार्रवाई होगी या नहीं या इन बच्चों का क्या होगा कोई नहीं बता रहा है क्योंकि सरकार खो गई है हुजूर! मैं अब तक भ्रम में था कि बिहार में संवैधानिक सरकार चल रही है। तभी एक दिन ससुराल गया,कुबतपुर (भिखनपुरा)। लैपटॉप लेकर गया कि जेनरेटर की सायंकालीन बिजली से बैट्री चार्ज कर लूंगा और वहीं से समाचार डालूंगा। मगर उस शाम जेनरेटर की बिजली आई ही नहीं। फिर सोंचा कि गांव में बिजली लाई जाए। सो हाजीपुर वापस लौटते ही पहले वैशाली जिले के बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता को फोन लगाया। श्रीमान को बताया कि इस गांव में 8 साल से ट्रांसफार्मर जला हुआ है और ठेकेदार 20000 रुपया घूस में मांग रहा है। महोदय ने छूटते ही कहा कि वे इस बारे में कुछ नहीं कर सकते। मैंने पूछा कि फिर कौन कर सकता है तो बताया गया कि वहाँ ट्रांसफार्मर पॉवर ग्रिड कारपोरेशन ऑफ इंडिया के माध्यम से लग रहा है। फिर इंटरनेट पर खोजखाज कर ग्रिड कारपोरेशन का नंबर निकाला। फोन करने पर फोन उठानेवाले महाशय ने एक नंबर देकर बताया कि इस नंबर पर फोन करिए कोई झा जी उठाएंगे। फिर मैं दिनभर फोन करता रहा मगर किसी ने फोन नहीं उठाया। फिर मैंने सोंचा कि हाजीपुर के सांसद रामसुंदर दास से शिकायत करता हूँ मगर उनका तो फोन ही ऑफ था शायद रमई राम ने मीडिया में कोई बयान दे दिया था जिससे दासजी नाराज हो गए थे। वैसे इससे पहले भी मैं इसी मामले में उनको फोन कर चुका हूँ लेकिन तब भी उनके पीए ने उनसे बात नहीं होने दी थी और टाल दिया था। उनके पुत्र और राजापाकर के विधायक संजय कुमार जी का नंबर तो चुनाव जीतने के बाद से ही हमेशा ऑफ रहता है इसलिए उस दिन भी ऑफ था। बिजली बोर्ड के संजय अग्रवाल को भी फोन मिलाया तो पता चला कि वे मीटिंग में हैं। फिर फोन लगाया बिजली मंत्री को। पीए ने कहा कि मंत्रीजी हाऊस में हैं फैक्स कर दीजिए। अंत में थकहारकर एक समाचार बनाया 17 फरवरी को 'एक गांव सुशासन ने जिसकी रोशनी छीन ली' शीर्षक से और उसको बिहार के मुख्यमंत्री,ऊर्जा मंत्री,संजय अग्रवाल जी,पावर ग्रिड ऑफ इंडिया को भी ईमेल कर दिया। कुछ दिन बाद बिजली विभाग से अधिकारी गांव आए भी और सतही पूछताछ करके वापस चले गए और गांववालों की जीते जी दोबारा बिजली देखने की उम्मीद धरी-की-धरी रह गई। दोबारा भी एक खबर बनाई 3 मार्च को 'फिर किस मुँह से वोट मांगेंगे नीतीश कुमार?' शीर्षक से,फिर से सबको ईमेल किया लेकिन अभी तक ट्रांसफार्मर और ट्रांसफार्मर लगानेवाले ठेकेदार का कहीं अता-पता नहीं है। सोंच रहा हूँ कि अब किसको ईमेल करूँ एंजिला मार्केल को या ओबामा को?
मित्रों,इसी बीच मेरे वयोवृद्ध चाचाजी हाजीपुर आए और बताया कि मेरे गांव जुड़ावनपुर बरारी में पिछले 2 सालों से न तो वृद्धावस्था पेंशन का और न ही विधवा पेंशन का ही वितरण हुआ है। मैं सुनकर सन्नाटे में आ गया यह सोंचकर कि ऐसा कैसे हो सकता है? सरकार तो वृद्धों और महिलाओं का बहुत सम्मान करती है। तुरंत बीडीओ को फोन मिलाया। उसने बताया कि हमारी पंचायत का पंचायत सेवक रविशंकर प्रसाद कई महीनों से ड्यूटी पर नहीं आ रहा है। मैंने पूछा कि वेतन कैसे पा जाता है तो उन्होंने बताया कि उनको पता नहीं। फिर किसे पता होगा तो कहने लगे कि यह भी मुझे नहीं पता। फिर मैंने कहा कि शशिभूषण जी आपके प्रखंड कार्यालय में तो लाभार्थियों की सूची होगी न उससे क्यों नहीं बँटवाते हैं तो उन्होंने आश्वासन दिया कि इसी आगामी सोमवार से बँटवा देंगे। लेकिन देखते-देखते कई सोमवार बीत गए पेंशन नहीं बँटा। इसी बीच मेरे चाचाजी फिर से हाजीपुर आए और बताया कि एक-एक व्यक्ति का 10-10 हजार से ज्यादा का पेंशन मद में सरकार पर बकाया हो गया है। मैंने फिर से सरकार को ढूंढ़ने की कोशिश की और इस बार सीधे डीएम को फोन किया। तारीख थी-28 फरवरी। उन्होंने बड़ा छोटा-सा उत्तर दिया कि देखता हूँ। अभी कल चाचाजी ने बताया कि अब तक भी पैसा नहीं मिला है ऊपर से बच्चों को छात्रवृत्ति भी नहीं मिली है। कल ही फिर से मैंने डीएम को फोन लगाया तो फिर से उनका वही उत्तर था कि देखते हैं। वह कैसे देखते हैं कि देखते ही नहीं हैं यह तो उनको ही पता होगा। फिर मैंने राघोपुर विधायक सतीश कुमार को फोन लगाया। उन्होंने फोन तो नहीं उठाया लेकिन उधर से पलटकर फोन जरूर किया। मैंने जब समस्या बताई तो कहा कि वे अकेले क्या करें यहाँ तो हर कोई भ्रष्ट है। पहलेवाला बीडीओ पूरा गोबर था। उसकी बदली करवा दी है। नई बीडीओ आई है अब शायद पेंशन बँट जाए। जब मैंने छात्रवृत्ति का मुद्दा उठाया तो उन्होंने बताया कि सरकार ने ही स्कूलों में कम पैसा भेज दिया है। शिक्षक छात्रों द्वारा पीटे जाने के डर से बाँटने को तैयार ही नहीं हैं सो उन्होंने नियमावली बना दी है कि सबसे पहले पैसा एससी को,फिर अतिपिछड़ों को,फिर पिछड़ों को और अगर फिर भी पैसा बच जाए तो सामान्य वर्ग को दिया जाए मगर शिक्षक फिर भी हंगामे से डर रहे हैं।
मित्रों, तत्क्षण मेरी समझ में आ गया कि जिले के विभिन्न स्कूलों में छात्रवृत्ति को लेकर हंगामा क्यों हो रहा है। यह आग तो खुद सरकार ने ही लगाई है। उसी सरकार ने जिसको मैं ढूंढ़ रहा हूँ और जो मेरे खोजने से भी नहीं मिल रही है। न जाने कहाँ गुम हो गई है हमारी सरकार? कहाँ जाकर ढूंढूँ समझ में नहीं आता? मैं कोई अफीमची तो हूँ नहीं कि पैसा कहीं भी अंधेरे में गिरे उसे उजाले में जाकर ही ढूंढूंगा नहीं तो अमेरिका या जर्मनी जाकर ढूंढ़ता। इसी बीच राघोपुर का पीपा पुल फिर से टूट गया है मगर मुझमें इतनी हिम्मत नहीं बची है कि मैं किसी को फोन करूँ। वैसे आपने अगर कहीं हमारी सरकार को देखा तो जरूर बताईगा। मुझे अपने गांव में पेंशन और छात्रवृत्ति बँटवानी है और अपनी ससुराल में बिजली लानी है। (हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
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